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साइबर अपराध में संगठित गिरोह की दस्तक

बिहार के नंबरों से यूपी के कई ग्राहकों को कॉल किए जाने की बात सामने आने के बाद जांच एजेंसी और चौकन्नी हो गई हैं।

By Amal ChowdhuryEdited By: Published: Sun, 17 Dec 2017 09:19 AM (IST)Updated: Sun, 17 Dec 2017 09:19 AM (IST)
साइबर अपराध में संगठित गिरोह की दस्तक
साइबर अपराध में संगठित गिरोह की दस्तक

लखनऊ (आलोक मिश्र)। एसटीएफ को मिंत्रा ऑनलाइन के ग्राहकों को ठगने वाले गिरोह की छानबीन के दौरान कई अहम जानकारियां हाथ लगी हैं। छानबीन में यह भी साफ हो गया है कि साइबर अपराध की दुनिया में कई संगठित गिरोह दस्तक दे चुके हैं, जो बड़े पैमाने पर उत्तर प्रदेश व अन्य राज्यों में अपने नेटवर्क फैलाए हैं।

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मिंत्रा ऑनलाइन के नाम पर ठगी करने वाले गिरोह के पकड़े जाने के बाद भी इस कंपनी के नाम पर ठगी का खेल जारी है। अब बिहार में बैठे ठग यूपी के लोगों को निशाना बना रहे हैं। इस कड़ी में एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को भी इनाम में सफारी निकलने का लालच देकर अपने जाल में फंसाने की कोशिश की जा रही है। एसटीएफ अब पूरे मामले में बिहार एसटीएफ की मदद से छानबीन को और आगे बढ़ाने का प्रयास कर रही है। दिल्ली व एनसीआर में संचालित कई कॉल सेंटर की भूमिका की भी पड़ताल की जा रही है।

ध्यान रहे, एसटीएफ ने नौ दिसंबर को दिल्ली के द्वारिका क्षेत्र स्थिति कॉल सेंटर से 18 आरोपितों को गिरफ्तार कर राष्ट्रीय स्तर के गिरोह का भंडाफोड़ किया था। एसटीएफ के एएसपी डॉ.अरविंद चतुर्वेदी के मुताबिक छानबीन में सामने आया है कि आरोपितों के पास से ग्राहकों का डाटा जिस फार्मेट में बरामद हुआ था, वह मिंत्रा डॉटकॉम का ही फार्मेट है।

इससे यही आशंका है कि डाटा कंपनी के ही किसी कर्मचारी के जरिये हासिल किया गया था। मिंत्रा कंपनी के अधिकारी डाटा के बारे में छानबीन करने के साथ ही यह भी पता लगा रहे हैं कि कहीं वह डाटा किसी खास उत्पाद अथवा सेगमेंट के ग्राहकों का तो नहीं है। ऐसे ही अन्य ऑनलाइन कंपनियों के जरिये शॉपिंग करने वाले ग्राहकों का डाटा व पूरा ब्योरा खास फार्मेट में साइबर अपराधियों के पास होने के प्रमाण भी मिले हैं।

इससे साफ है कि कुछ संगठित गिरोह इसके पीछे हैं, जिनके तार आपस में भी जुड़े हैं। बिहार के नंबरों से यूपी के कई ग्राहकों को कॉल किए जाने की बात सामने आने के बाद जांच एजेंसी और चौकन्नी हो गई हैं। इन गिरोह के कॉल सेंटरों से भी गहरे कनेक्शन हैं। जांच में यह भी सामने आया है कि पिछले दिनों पकड़े गए ऐसे गिरोह के अधिक आरोपित ऑनलाइन कंपनियों के पूर्व कर्मचारी हैं। जो कंपनियों में कामकाज के दौरान सिस्टम समझने के बाद पूर्वनियोजित योजना के तहत कॉल सेंटर खोलकर बड़े पैमाने पर ठगी का जाल बिछा रहे हैं।

ई-वॉलेट पर शिकंजा भी जरूरी: साइबर अपराधी सुनियोजित ढंग से ई-वॉलेट के जरिये ठगी की रकम को ट्रांसफर करते हैं। लिहाजा सिम हासिल करने के नियमों की तरह ई-वॉलेट में रजिस्ट्रेशन को लेकर पाबंदी व चेक प्वाइंट बनाने की जरूरत है। सरकार के नियम के अनुसार कोई व्यक्ति एक आइडी पर नौ सिम रजिस्टर करा सकता है लेकिन, ई-वॉलेट के लिए वर्तमान में कोई पाबंदी नहीं है।

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कंपनी के नंबर पर कॉल बैक जरूर करें: साइबर ठग लोगों को कॉल करने के दौरान कॉलर स्पूफिंग के जरिये अलग-अलग ऑनलाइन कंपनियों के टोल-फ्री नंबरों का प्रयोग भी करते हैं। ऐसे में आप किसी कंपनी का नाम व उसके जरिये की गई खरीदारी का ब्योरा सुनने के बाद पूरी तरह यकीन न करें। किसी इनाम अथवा आकर्षक स्कीम के बारे में पहले संबंधित कंपनी के नंबर पर कॉल कर पड़ताल जरूर करें।

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