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गायत्री प्रजापति के अवैध निर्माण पर कानूनी कार्यवाही का आदेश

एलडीए के वकीलों ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि गायत्री प्रजापति के अवैध निर्माण पर विधिसम्मत कार्यवाही करने के लिए सरकार और एलडीए तैयार हैं।

By Nawal MishraEdited By: Published: Thu, 15 Jun 2017 09:27 PM (IST)Updated: Thu, 15 Jun 2017 11:37 PM (IST)
गायत्री प्रजापति के अवैध निर्माण पर कानूनी कार्यवाही का आदेश
गायत्री प्रजापति के अवैध निर्माण पर कानूनी कार्यवाही का आदेश

लखनऊ (जेएनएन)। राजधानी के रुचि खंड में अपने रसूख का इस्तेमाल कर अवैध निर्माण करने वाले पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति की दुश्वारियां बढ़ गई हैं। उनके बेटे ने हाईकोर्ट की अवकाशकालीन खंडपीठ के सामने राहत की गुहार लगाई लेकिन, इसके उलट अदालत ने अवैध तरीके से बनाई गई बिल्डिंग को नियमानुसार कार्यवाही कर अब तक नहीं ढहाए जाने पर राज्य सरकार व लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) को गुरुवार को कड़ी फटकार लगाई। बेंच के सख्त रुख को देखते हुए राज्य सरकार व एलडीए के वकीलों ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि प्रजापति के अवैध निर्माण के खिलाफ विधिसम्मत कार्यवाही करने के लिए सरकार और एलडीए तैयार हैं। इस पर कोर्ट ने एलडीए चेयरमैन को कार्यवाही कर 19 जून को व्यक्तिगत हलफनामे के जरिये रिपेार्ट पेश करने का आदेश दिया है। 

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यह आदेश जस्टिस विवेक चौधरी की बेंच ने गायत्री प्रजापति के बेटे अनुराग प्रजापति की याचिका पर पारित किया। याचिका कोर्ट में राहत पाने के लिए दाखिल की गई थी किंतु उल्टे वह प्रजापति के ही खिलाफ चली गई। कोर्ट ने सुनवाई करते हुए पाया कि गायत्री प्रजापति के अवैध निर्माण की जानकारी एलडीए के अफसरों को थी लेकिन, मंत्री के रसूख के चलते उनके खिलाफ कार्यवाही नही की गई। गायत्री व एलडीए के अफसरों की मिलीभगत पर तंज कसते हुए कोर्ट ने राज्य सरकार व एलडीए के उन अफसरों पर कार्रवाई की बात कही जिन्होंने गायत्री के अवैध निर्माण को अनदेखा किया। अनुराग प्रजापति ने एलडीए के चेयरमैन द्वारा पारित 23 मई, 2017 के आदेश को चुनौती दी थी कि जिसमें चेयरमैन ने उनकी अपील यह कहकर खारिज कर दी थी कि उक्त प्लाट गायत्री प्रजापति व उनके बेटे अनुराग प्रजापति के नाम ज्वाइंट था और अपील अकेले अनुराग की ओर से दाखिल थी।

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याची की मांग थी कि उक्त आदेश को खारिज कर चेयरमैन को मेरिट पर सुनवाई करने का आदेश दिया था। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि प्रजापति ने जो नक्शा पास होने के लिए दिया था, वह खारिज हो चुका था और दूसरा कोई नक्शा पास होने के लिए विचाराधीन नही था। मंत्री ने अपने रसूख की धौंस देकर अवैध निर्माण किया था और आवासीय की बजाय कामर्शियल बिल्डिंग खड़ी कर दी थी। कोर्ट ने कहा कि वैसे तो वह याचिका को खारिज कर इति कर लेता परंतु यह मामला अलग है क्योंकि इससे इस बात में संशय है कि एलडीए के अफसर कानून का पालन करवाएंगे। 

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