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UP विधानसभा में बिजली के निजीकरण को लेकर विपक्ष का जमकर हंगामा

प्रदेश में बिजली के निजीकरण के मुद्दे पर विधानसभा में विपक्ष ने जमकर हंगामा किया। इस फैसले के खिलाफ कांग्रेस के सदस्य वेल में आए।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Mon, 26 Mar 2018 03:32 PM (IST)Updated: Mon, 26 Mar 2018 09:08 PM (IST)
UP विधानसभा में बिजली के निजीकरण को लेकर विपक्ष का जमकर हंगामा
UP विधानसभा में बिजली के निजीकरण को लेकर विपक्ष का जमकर हंगामा
style="text-align: justify;">लखनऊ (जेएनएन)। योगी सरकार द्वारा प्रदेश के पांच शहरों की बिजली व्यवस्था को निजी कंपनियों को सौंपने के विरोध में सोमवार को विधानसभा में जमकर हंगामा हुआ। सदन में चर्चा कराने और फैसला वापस लेने की मांग को लेकर सपा ने वॉकआउट किया तो कांग्रेस वेल में पहुंच गई। बसपा के सदस्य अपनी सीटों पर खड़े हो शोर-शराबा करते रहे। माहौल शांत होता न देख विधानसभा अध्यक्ष हृदयनारायण दीक्षित को करीब आधा घंटा सदन की कार्रवाई स्थगित करनी पड़ी और चर्चा पर निर्णय सुरक्षित रखने का आश्वासन देने पर सदन सुचारु हो सका।
कांगे्रस के अजय कुमार लल्लू ने पांच शहरों लखनऊ, वाराणसी, मुरादाबाद, गोरखपुर और मेरठ की बिजली आपूर्ति व्यवस्था निजी हाथों में सौंपने के निर्णय का विरोध करते हुए इसको जनविरोधी करार दिया। उनका कहना था, सरकार पर निजीकरण के बहाने पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाना चाहती हैं। सपा-बसपा सदस्यों ने भी कांग्रेस का साथ देते हुए निजीकरण का फैसला वापस लेने और सदन में चर्चा कराने की मांग की।
विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने बताया कि राजस्व वसूली व लाइनलॉस को कम करने के लिए वितरण व बिल वसूली का काम निजी कंपनी को सौंपने का फैसला लिया है। विद्युत उत्पादन और ट्रांसमिशन का काम सरकार देखेगी। उन्होंने बताया कि वाराणसी में 28.39, मेरठ में 34.39, गोरखपुर में 30.10 व मुरादाबाद में 32.23 लाइन लॉस होता है। शर्मा ने कहा कि विद्युत व्यवस्था में आमूलचूल सुधारने के लिए सरकारी विभागों पर करोड़ों रुपये की देनदारी की वसूली में तेजी जाएगी। नेता विरोधी दल राम गोविंद चौधरी ने कहा कि तानाशाही फैसले के खिलाफ बिजली कर्मचारी लगातार आंदोलन कर रहे हैं। शनिवार को कई सरकारी भवनों की बिजली भी काट दी गई थी। समय रहते सही फैसला न लिया तो आंदोलन व्यापक होगा। बसपा नेता लालजी वर्मा ने इस फैसले को लागू करने से पहले चर्चा कराने की मांग की।
ऊर्जा मंत्री श्रीकांत ने विपक्ष की मांग मानने से इंकार किया और जनता को परेशानी न होने देने का आश्वासन भी दिया। जिस पर विपक्ष का हंगामा और तेज हो गया। सपा के सदस्य नारेबाजी करते हुए से सदन से बाहर चले गए। कांग्रेस अजय कुमार लल्लू, नरेश सैनी, मसूद अख्तर वेल में पहुंच गए। बसपा सदस्य अपनी सीटों से ही हंगामा करने लगे। विधानसभा अध्यक्ष हृदयनारायण दीक्षित ने कड़े लहजे में कांग्रेस सदस्यों से वेल से चले जाने को कहा परंतु बात नहीं बनी। इस पर दीक्षित ने सदन आधे तक स्थगित किया। बाद में विपक्ष की मांग पर विधानसभा अध्यक्ष ने अपना निर्णय सुरक्षित करने की बात कहकर कार्यवाही को आगे बढ़ाया।

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