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Pollution: 105 शहरों में से 91 में प्रदूषण की यह कैसी माप, एक मशीन और पूरे शहर का हाल Lucknow News

देश के 105 शहरों में वायु प्रदूषण की नापजोख के इंतजाम हैं लेकिन 91 शहर सिर्फ एक मशीन के ही हवाले हैं। सीपीसीबी की ओर से जारी एक्यूआइ बुलेटिन पर उनकी राय जुदा है।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Wed, 20 Nov 2019 10:48 AM (IST)Updated: Wed, 20 Nov 2019 03:41 PM (IST)
Pollution: 105 शहरों में से 91 में प्रदूषण की यह कैसी माप, एक मशीन और पूरे शहर का हाल Lucknow News
Pollution: 105 शहरों में से 91 में प्रदूषण की यह कैसी माप, एक मशीन और पूरे शहर का हाल Lucknow News

लखनऊ [रूमा सिन्हा]। जिस प्रदूषण को लेकर दिल्ली से लेकर लखनऊ समेत समूचे उत्तर भारत में अफरा-तफरी का माहौल है, उसके सटीक आकलन पर ही गंभीर सवाल उठने लगे हैं। इसलिए क्योंकि देश के 105 शहरों में वायु प्रदूषण की नापजोख के इंतजाम हैं लेकिन, 91 शहर सिर्फ एक मशीन के ही हवाले हैं। यानी एक जगह से ही पूरे शहरों की स्थिति बयां की जा रही है। यही कारण है, सेहत के लिए सतर्क करने वाली इस रिपोर्ट की सटीकता पर वैज्ञानिक भी सहमत नहीं हैं। हर रोज केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की ओर से जारी एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) बुलेटिन पर उनकी राय जुदा है।

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वैज्ञानिकों का मानना है कि एक ही जगह स्थापित मशीन से पूरे शहर के प्रदूषण का आकलन बिल्कुल वैज्ञानिक तरीका नहीं है। इससे आमजन में तो भ्रम की स्थिति पैदा होती ही है। इन आंकड़ों के आधार पर प्रदूषण नियंत्रण की नीति भी बेहतर ढंग से नहीं बन पाती है।

ऐसे नापा जाता प्रदूषण

एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) विभिन्न शहरों पर बोर्ड की ओर से स्थापित ऑटोमेटिक एयर क्वालिटी मॉनीटरिंग मशीन से मापा जाता है। इसके जरिए एम्बियंट एयर (हवा जिसमें हम सांस लेते हैं) की 24 घंटे पर्टिकुलेट मैटर (पीएम) 10 और 2.5, ओजोन, सल्फर डाइ आक्साइड, नाइट्रोजन आक्साइड, कार्बन मोनो आक्साइड आदि की रियल टाइम नापजोख होती है। 24 घंटे के औसत के अनुसार, पीएम 10, 2.5 के साथ किसी एक प्रदूषक के आधार पर एक्यूआइ का आकलन होता है। एक्यूआइ के लिए अलग-अलग श्रेणी तय कर कलर कोड हैं। हर रोज सीपीसीबी से जारी किए जाने वाले बुलेटिन में इसी आधार पर यह बताया जाता है कि किसी शहर का एक्यूआइ स्तर क्या रहा।

विशेषज्ञों की राय

पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ. कुलदीप कुमार कहते हैं कि जब मौजूदा सिस्टम से प्रदूषण की श्रेणी तय की जाती है तो भ्रम उत्पन्न होता है। शहर को महज एक स्थान की मॉनीटरिंग के आधार पर देश का सर्वाधिक प्रदूषित कर दिया जाता है। सीएसआइआर-आइआइटीआर के निदेशक प्रो.आलोक कहते हैं कि बड़े-बड़े शहरों में एक स्थान पर की गई मॉनीटरिंग के आधार पर आकलन गलत है। लखनऊ शहर को ग्रिड में बांटकर आकलन हो।


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