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गोमती तट पर 2448.42 करोड़ खर्च करना चाहते थे अफसर

योगी सरकार आने के बाद अफसरों की मंशा पर फिर गया था पानी। 656 करोड़ की गोमती रिवरफ्रंट परियोजना पर खर्च कर दिए थे 1513.51 करोड़। इतने खर्च के बावजूद अधूरी रही परियोजना।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Fri, 25 Jan 2019 08:56 AM (IST)Updated: Sat, 26 Jan 2019 08:55 AM (IST)
गोमती तट पर 2448.42 करोड़ खर्च करना चाहते थे अफसर
गोमती तट पर 2448.42 करोड़ खर्च करना चाहते थे अफसर

लखनऊ, (अजय श्रीवास्तव)। गोमती नदी में दुर्दशा के बादल तो छंट नहीं, पाए लेकिन अफसरों ने उसके तट को संवारने में पानी की तरह पैसा बहाया था। कुछ खास लोगों की झोली में ही ठेका डाल दिया गया था और पूरी कमान सिंचाई विभाग के एक अधिशासी अभियंता संभाले थे। गोमती रिवरफ्रंट परियोजना में एक प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी की भी प्रमुख भूमिका रही थी। मनमाने तरह से हो रहे कार्यों के कारण ही सिंचाई विभाग ने 656 करोड़ की गोमती रिवरफ्रंट परियोजना में 1513.51 करोड़ खर्च कर डाले थे।

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इतनी रकम खर्च होने के बावजूद अफसरों ने और बजट खपाने की तैयारी कर ली थी। यह सब मंजूरी अखिलेश सरकार में ही होती रही थी। अधिकारियों ने गोमती तट पर  अतिरिक्त कार्य कराने के लिए 2448.42 करोड़ का पुनरीक्षित बजट बनाया था। मतलब, नौ अरब की रकम और खर्च करने की तैयारी थी। अभी बजट बढ़ाने की तैयारी चल ही रही थी कि विधानसभा चुनाव में अखिलेश सरकार हार गई और भाजपा के सत्ता में आते ही गोमती रिवरफ्रंट परियोजना पर जांच की आंच दिखने लगी। जांच के घेरे में सिंचाई विभाग के साथ ही कई ठेकेदार भी आ गए थे।

इसी तरह सत्ता संभालने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोमती तट का दौरा किया। नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना को भी जांच में लगाया गया था। 27 मार्च को जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोमती रिवरफ्रंट पहुंचे थे तो उन्होंने कह दिया था कि गोमती तट पर हुए एक-एक कार्यों की जांच कराई जाएगी। मुख्यमंत्री ने टिप्पणी की थी कि जितना पैसा गोमती तट को संवारने में खर्च किया गया था, उससे कम में तो गोमती को निर्मल बनाया जा सकता था। 70 करोड़ का फाउंटेन लगाने से बेहतर था कि पहले नदी को साफ कर देते। मुख्यमंत्री ने गोमती तट पर हुए कार्यों के एस्टीमेट का भी परीक्षण करने के निर्देश दिए थे। 

पूर्व की जांच में मिली थी गड़बड़ी

गोमती रिवरफ्रंट परियोजना में खर्च रकम की जांच कराने के लिए मुख्यमंत्री ने न्यायमूर्ति आलोक सिंह की अध्यक्षता में गठित समिति गठित की थी। समिति ने भी गड़बड़ी की तरफ इशारा किया था।

वर्ष 2014-15 में शुरू हुई थी परियोजना

वर्ष 2014-15 में गोमती नदी चैनलाइजेशन परियोजना के लिए 656 करोड़ रुपये की धनराशि आवंटित की गई थी, जो बढ़कर 1,513 करोड़ हो गई थी। इस राशि का 95 प्रतिशत हिस्सा खर्च होने के बावजूद परियोजना का 60 प्रतिशत कार्य पूरा हुआ। 


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