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रायबरेली ब्राह्मण नरसंंहार पर स्वामी के बयान बने सरकार का सिरदर्द

रायबरेली के अप्टा गांव में पांच ब्राह्मण युवकों की हत्या के मामले में श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।

By Nawal MishraEdited By: Published: Sat, 08 Jul 2017 11:07 PM (IST)Updated: Sun, 09 Jul 2017 04:37 PM (IST)
रायबरेली ब्राह्मण नरसंंहार पर स्वामी के बयान बने सरकार का सिरदर्द
रायबरेली ब्राह्मण नरसंंहार पर स्वामी के बयान बने सरकार का सिरदर्द

लखनऊ (जेएनएन)। रायबरेली के अप्टा गांव में पांच युवकों की हत्या के मामले में श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान सरकार के लिए सिरदर्द बने हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पीड़ितों के घरवालों को आर्थिक सहायता की घोषणा की थी लेकिन स्वामी प्रसाद मौर्य ने उन्हें ही शूटर ठहरा दिया। हालांकि पुलिस मारे गए युवकों को बेदाग मान रही है। पुलिस के मुताबिक नरसंहार में मरे पांच में से चार पर कोई मुकदमा नहीं था। 

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26 जून शाम अप्टा गांव में पांच ब्राह्मण युवकों की हत्या के पीछे चुनावी रंजिश व पैसों का लेन-देन बताया गया। पुलिस तफ्तीश हुई। मुख्यमंत्री ने पीडि़त परिवार को आर्थिक मदद का एलान किया, मगर उनकी सरकार में श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने मारे गए युवकों को अपराधी ठहराया। उन पर अभियुक्तों का पक्ष लेने का आरोप घटना के बाद से लग रहा था। विवेचना के बीच मंत्री की टिप्पणी से ब्राह्मणों में नाराजगी फैली। इससे बेफिक्र मौर्य ने शुक्रवार को कुशीनगर में पूर्व के बयान से आगे निकलकर कहा कि मारे गए युवक शूटर थे। 

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कानून की नजर में बेदाग 

दूसरी ओर पुलिस के दस्तावेज खंगालने पर साफ हो गया कि मारे गए युवकों में शामिल प्रतापगढ़ के देवरा संग्रामगढ़ निवासी अनूप मिश्र, अंकुश उर्फ भास्कर मिश्र, नरेश शुक्ल और कौशांबी के सांतों निवासी बृजेश शुक्ल के विरुद्ध पुलिस थाने में शिकायती पत्र तक नहीं दिया गया था। वे कानून की नजर में बेदाग थे। अलबत्ता रोहित शुक्ल केखिलाफ जरूर वर्ष 2000 में संग्रामगढ़ थाने में बलवा, आगजनी का मुकदमा दर्ज किया गया। गुंडा एक्ट की कार्रवाई हुई। इसी साल जानलेवा हमले, एससी एसटी समेत अन्य धाराओं में भी मुकदमा दर्ज किया गया। वर्ष 2004 में संग्रामगढ़ थाने से फिर निरोधात्मक कार्रवाई हुई। देवरा प्रधानी के चुनाव के दौरान उसके विरुद्ध नवाबगंज थाने में जानलेवा हमले का मुकदमा दर्ज हुआ। ये मुकदमे ऐसे नहीं है कि जिससे उसे शूटर कहा जा सके। विपक्ष मंत्री के बयान को ब्राह्मण विरोधी ठहराकर सरकार को कटघरे में खड़ा रहे हैैं। कांग्रेस के प्रवक्ता अमरनाथ अ्रग्रवाल का कहना है कि विवेचना के दौरान मंत्री मारे गये युवकों को शूटर ठहराकर श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य इंसाफ का गला घोटने का प्रयास कर रहे हैैं। यह भी जांच होनी चाहिए आखिर एक मंत्री पीडि़तों पर झूठा आरोप क्यों लगा रहा है?

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आर्थिक मदद का एलान 

पूर्व मंत्री  मनोज कुमार पांडेय ने बताया कि सामूहिक हत्या की पुलिस जांच कर रही है। मुख्यमंत्री ने पीडि़तों को आर्थिक मदद का एलान किया है, ऐसे में राज्य सरकार के एक मंत्री मारे गए युवकों को शूटर ठहराकर न सिर्फ जांच प्रभावित करने का प्रयास कर रहे है बल्कि झूठ के जरिये पीडि़त परिवार को लांक्षित करने का प्रयास कर रहे हैं। मंत्री के झूठ का पर्दाफाश करने के लिए समाज एकजुट है। न्याय की लड़ाई में कदम पीछे नहीं किए जाएंगे। अपर पुलिस महानिदेशक आनंद कुमार ने कहा कि अभी कार्यभार संभाला है। घटना की तफ्तीश की पूरी जानकारी नहीं है। पुलिस निष्पक्षता से कार्य करेगी। वह इस प्रकरण की पड़ताल करेंगे। दोषियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई होगी।


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