मोटापा दिल ही नहीं, अग्नाशय का भी दुश्मन; एसजीपीजीआइ में आया उत्तर भारत का पहला मामला
ओडिशा की रहने वाली चार साल की बच्ची को छह महीनों से बार-बार पेट में दर्द और उल्टी की परेशानी थी। परिजन उसे लेकर एसजीपीजीआइ के पीडियाट्रिक गैस्ट्रोएंट्रोलाजी विभाग पहुंचे। परीक्षण में पीलिया पेट में चोट या नशीली दवाओं के सेवन का कोई इतिहास नहीं था।
लखनऊ, [कुमार संजय]। दिल के लिए खतरनाक माना जाने वाला ट्राइग्लिसराइड एक तरह का फैट है, जो पैंक्रियाज (अग्नाशय) का भी दुश्मन साबित हो सकता है। उत्तर भारत का ऐसा पहला मामला संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआइ) में देखने को मिला। शोध में संस्थान के डाक्टरों ने न केवल पैंक्रियाटाइटिस के नए कारण ट्राइग्लिसराइड का पता लगाया, बल्कि सफल उपचार भी किया।
ओडिशा की रहने वाली चार साल की बच्ची को छह महीनों से बार-बार पेट में दर्द और उल्टी की परेशानी थी। परिजन उसे लेकर एसजीपीजीआइ के पीडियाट्रिक गैस्ट्रोएंट्रोलाजी विभाग पहुंचे। परीक्षण में पीलिया, पेट में चोट या नशीली दवाओं के सेवन का कोई इतिहास नहीं था। रक्त की जांच में सीरम का रंग सफेद मिला, जिसमें ट्राइग्लिसराइड (2,451 मिलीग्राम/ डीएल) और कुल कोलेस्ट्राल 343 मिलीग्राम/ डीएल (डेसीलीटर) था। विशेषज्ञों ने पेट की कंप्यूटेड टोमोग्राफी (सीटी) कराया। पैंक्रियाज (अग्नाशय) में इंट्रा-पैरेंकाइमल द्रव जमा था, इससे भारीपन था, लेकिन फैटी लीवर नहीं था। क्रोनिक पैंक्रियाटाइटिस दिखा, जबकि माता-पिता का लिपिड प्रोफाइल सामान्य था।
बच्ची को मुंह से भोजन बंद करने के साथ ही डेक्सट्रोज इंफ्यूजन के साथ एनाल्जेसिक और इंसुलिन इंफ्यूजन दिया गया। दर्द के समाधान के साथ 72 घंटे के बाद सीरम टीजी घटकर 330 मिलीग्राम/ डीएल हो गया। बच्ची को कम वसा वाले आहार देना शुरू किया और इंसुलिन बंद कर दिया गया। हालांकि, इंसुलिन रोकने के तीसरे दिन टीजी (1108 मिलीग्राम/ डेसीलीटर) में वृद्धि के साथ पेट दर्द की पुनरावृत्ति हुई तो दोबारा इंसुलिन इंफ्यूजन दिया गया। इससे 24 घंटे के भीतर दर्द के गायब होने और टीजी (24 घंटे में 885 मिलीग्राम/डीएल, 96 घंटे पर 354 मिलीग्राम/डीएल) में कमी आ गई। फिर बच्ची को लो फैट डाइट के साथ ओमेगा-3 फैटी एसिड, फेनोफिब्रेट और नियासिन दिया गया।
क्या है ट्राइग्लिसराइड : ट्राइग्लिसराइड रक्त में मौजूद एक प्रकार का वसा होता है। ट्राइग्लिसराइड के उच्च स्तर से हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है। आनुवंशिक विरासत, चयापचय रोग (जैसे मधुमेह) और कुछ दवाओं के कारण रक्त ट्राइग्लिसराइड का स्तर बढ़ सकता है।
क्या है पैंक्रियाटाइटिस : यह अग्नाशय में होने वाली सूजन है, जो ग्रंथि (ग्लैंड) के खराब होने का कारण बनती है। इससे ग्रंथि की स्थाई क्षति हो सकती है और अग्नाशय में पथरी और अल्सर विकसित हो सकते हैं, जो आंत में पाचक रस को प्रवाहित करने वाली नली को बंद कर देते हैं। इससे भोजन को पचाने और ब्लड शुगर को नियंत्रित रखने में कठिनाई आती है। पेट के ऊपरी भाग में गंभीर दर्द होता है। इसका दर्द घंटों या दिनों तक भी रह सकता है। कुछ भी खाने-पीने से दर्द बढ़ जाता है।
इन्होंने किया शोध : संस्थान के पीडियाट्रिक गैस्ट्रोएंट्रोलाजी विभाग के डा. अघ्र्य सामंता, डा. अंशू श्रीवास्तव, इंडोक्राइनोलाजी विभाग की डा. सोनाली वर्मा, पीडियाट्रिक गैस्ट्रोएंटरोलाजी विभाग के डा. मोनिक सेन शर्मा और डा. उज्ज्वल पोद्दार के शोध को इंडियन जर्नल आफ पीडियाट्रिक ने व्हाइट सीरम ए क्लू टू डायग्नोस आफ एक्यूट रिकरेंट पैंक्रियाटाइटिस विषय को स्वीकार किया है।