World Kidney Day: डायबिटीज, ब्लड प्रेशर और मोटापा किडनी के तीन बड़े दुश्मन
वर्ल्ड किडनी डे पर लोहिया संस्थान के नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ.अभिलाष चंद्रा से ने किडनी डिजीज पर जानकारी दी।
लखनऊ, जेएनएन। मोटापा शरीर को गंभीर बीमारियां दे रहा है। यह डायबिटीज, ब्लड प्रेशर की समस्या के साथ-साथ गुर्दा भी खराब कर रहा है। कारण, व्यक्ति में अनियंत्रित वजन से इंफ्लूमेट्री मार्कर बॉडी में बढ़ जाते हैं। खासकर, इंटर ल्यूकिन वन-सिक्स व टीएनएफ अल्फा मार्कर की बढ़ोतरी गुर्दे की कार्य क्षमता पर प्रतिकूल असर डालती है। विश्व गुर्दा दिवस पर यह जानकारी दैनिक जागरण के 'हेलो डॉक्टर' कार्यक्रम में लोहिया संस्थान के नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. अभिलाष चंद्रा ने दी। उन्होंने पाठकों को बीमारी से बचाव के उपाय भी बताए।
सवाल : पेट का कैंसर है। क्रिएटनिन 1.8 है। क्या कीमोथेरेपी हो सकती है।
(विनय भार्गव, लखनऊ)
जवाब : क्रॉनिक डिजीज है। कीमो की कुछ दवाएं गुर्दे को प्रभावित करती हैं। वैसे डोज कम कर कीमोथेरेपी दी जा सकती है। इसके लिए मेडिकल आंकोलॉजिस्ट से परामर्श लें।
सवाल : छह वर्ष से डायबिटीज है। किडनी को बीमारी से कैसे बचाएं।
(मुकेश, दुबग्गा)
जवाब : डायबिटीज के साथ ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखें। शुगर के 60 फीसद मरीजों को बीपी की समस्या रहती है। इससे किडनी की बीमारी के खतरे को कम किया जा सकता है।
सवाल : शुगर का लेवल 500 के करीब है। आंखों में धुंधलापन आ जाता है। किडनी में तो खराबी नहीं हो गई।
(दिलीप, हरदोई)
जवाब : शुगर यदि लगातार अनियंत्रित रहेगा तो पांच से दस वर्ष में गुर्दे की समस्या बढ़ जाएगी। इसमें पहले पेशाब के रास्ते से प्रोटीन आना शुरू हो जाएगा।
सवाल : किडनी में बार-बार स्टोन बन रहा है।
(अनिल, सीतापुर)
जवाब : कई लोगों में बार-बार स्टोन पनपने की दिक्कत रहती है। इसे स्टोन फार्मेशन कहते हैं। मगर, पांच एमएम से कम स्टोन में घबराने की जरूरत नहीं है। पानी अधिक पिएं। कैल्शियम, ऑक्जलेट, फास्फोरस, यूरिक एसिड की जांच कराएं।
सवाल : कुछ समय पहले क्रिएटनिन 2.15 थी। अब 1.7 है। क्या करें।
(गजेंद्र, लखनऊ)
जवाब : जो दवाएं ले रहे हैं। डॉक्टर को दिखाकर उनमें कुछ बदलाव करा लें। खान-पान में सावधानी बरतें। डायबिटीज-बीपी को नियंत्रित रखें।
सवाल : मरीज 26 वर्ष का है। यूरिया 300 व क्रिएटनिन 17 है।
(अरविंद, बाराबंकी)
जवाब : गुर्दा 10 फीसद से भी कम काम कर रहा है। ऐसे में तुंरत डायलिसिस कराएं। केएफटी जांच भी कराएं। डेढ़ वर्ष से बीमारी है तो ट्रांसप्लांट कराने पर विचार करें।
सवाल : उलझन और घबराहट रहती है। नींद की गोली लेते हैं। गुर्दे पर दुष्प्रभाव तो नहीं करेगी।
(अमरीश, गोंडा)
जवाब : चिकित्सक से परामर्श के अनुसार दवा लें। 90 फीसद नींद की गोलियां सुरक्षित होती हैं। घबराएं नहीं।
सवाल : किडनी का इलाज पांच वर्ष से चल रहा है। पेशाब में प्रोटीन निकलता है। क्या जीवन भर दवा खानी पड़ेगी।
(पंकज सिंह, सीतापुर)
जवाब : प्रोटीन लेवल सही है, फिर भी दवा लेते रहें। यह गुर्दे की क्षमता बरकरार रखने में मदद करेगी। इससे कोई नुकसान नहीं है।
सवाल : नौ वर्ष से शुगर है। हाईडोज दवा ले रही हूं। किडनी पर फर्क तो नहीं पड़ेगा।
(सन्ना, अयोध्या)
जवाब : दवाएं सुरक्षित होती हैं। घबराएं नहीं। चिकित्सक को दिखा लें। बीमारी नियंत्रण में होगी तो डोज कम कर देंगे।
साइलेंट किलर है बीमारी, कराएं जांच
डॉ. अभिलाष चंद्रा के मुताबिक डायबिटीज और ब्लड प्रेशर किडनी मरीजों की संख्या और बढ़ा रहे हैं। कई बार लोग बीमारी से अंजान रहते हैं। कारण, गुर्दे पर बीमारी हावी हो जाने पर ही लक्षण महसूस होते हैं। ऐसे में 40 उम्र पार हर व्यक्ति छह माह पर ब्लड में यूरिया, क्रिएटनिन व यूरिन की रूटीन व माइक्रोस्कोपिक जांच कराना चाहिए।
बीमारी के लक्षण
भूख न लगना, उल्टी आना, आंख के पास सूजन आना, हाथ-पैर में सूजन, रात में नींद कम आना, रात में बार-बार पेशाब आना, खून की कमी होना।
ऐसे करें बचाव
नमक का सेवन कम करें, तैलीय खाद्य पदार्थों का इस्तेमाल कम करें, स्मोकिंग व एल्कोहल न लें, ओवर काउंटर ड्रग न लें, बीपी-शुगर कंट्रोल में रखें, डिहाइड्रेशन से बचें।
मरीज बरतें सावधानी
- प्रोटीन 1.8 ग्राम प्रति किलोग्राम बॉडी वेट के हिसाब से लें। स्रोत : दाल, सोयाबीन, अंडा, राजमा, मछली, चिकन
- 30-35 किलो कैलारी प्रति किलो बॉडी वेट से अधिक न हो
- फॉस्फोरस रिच डाइट न लें। स्रोत : पत्तेदार सब्जी, नॉनवेज, मेवा आदि
- पोटेशियम वन एमइक्यू प्रति किलोग्राम बॉडी वेट से अधिक न हो। स्रोत : फल, जूस, आलू, मेवा