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अब किधर जाएगी शिवपाल यादव की डगमगाई कश्ती

इस बार शिवपाल पूरी तरह से आश्वस्त थे कि मुलायम इसकी घोषणा कर देंगे और इसीलिए प्रेस नोट तक तैयार कर लिया गया था।

By Amal ChowdhuryEdited By: Published: Tue, 26 Sep 2017 01:17 PM (IST)Updated: Wed, 27 Sep 2017 08:26 AM (IST)
अब किधर जाएगी शिवपाल यादव की डगमगाई कश्ती
अब किधर जाएगी शिवपाल यादव की डगमगाई कश्ती

लखनऊ (हरिशंकर मिश्र)। कुनबे में कलह शुरू होने के बाद से हाशिये पर चल रहे पूर्व मंत्री शिवपाल यादव की सेक्युलर मोर्चा के गठन की मंशा पर उनके बड़े भाई मुलायम सिंह वैसे तो पहले भी आघात कर चुके हैं लेकिन, इस बार का झटका जोर का था।

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इस बार शिवपाल पूरी तरह से आश्वस्त थे कि मुलायम इसकी घोषणा कर देंगे और इसीलिए प्रेस नोट तक तैयार कर लिया गया था लेकिन, सोमवार सुबह मुलायम ने अपना इरादा पूरी तरह बदल लिया और पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रहे शिवपाल अब ऐसे मोड़ पर हैं जहां उन्हें खुद ही कोई फैसला लेना होगा। इसीलिए अब सबकी निगाहें उन पर लग गई हैं कि वह कौन सा कदम उठाते हैं।

सेक्युलर मोर्चा के गठन को लेकर इस बार शिवपाल के आश्वस्त होने की वजहें भी थीं। कुछ दिन पहले ही मुलायम ने लोहिया ट्रस्ट से प्रो. राम गोपाल यादव को बाहर कर उनकी इंट्री कराई थी। सपा के राज्य सम्मेलन में मुलायम और उनकी घोर उपेक्षा भी एक आधार बन गया था। इसीलिए शिवपाल के करीबियों ने मुलायम को ठोस कदम उठाने के लिए प्रेरित करना शुरू किया था।

तीन दिन से शिवपाल राजधानी में ही थे और अपने समर्थक नेताओं से मिल रहे थे। रविवार को उन्होंने दो बार मुलायम से भी मुलाकात की थी। तब तक तय था कि मोर्चा का गठन किया जाएगा। सोमवार को लोहिया ट्रस्ट के बाहर इसी वजह से बड़ी संख्या में शिवपाल समर्थकों का जमावड़ा भी लग गया था। लेकिन, सोमवार को मुलायम ने इससे स्पष्ट तौर पर इन्कार कर दिया।

यही वजह थी कि आवास पर मौजूद होने के बावजूद शिवपाल बमुश्किल एक फलांग की दूरी पर स्थित लोहिया ट्रस्ट में आयोजित प्रेस कांफ्रेस में नहीं पहुंचे। मंच पर मौजूद पूर्व मंत्री शारदा प्रताप शुक्ल ने कई बार मुलायम की ओर पढ़ने के लिए एक कागज बढ़ाया भी लेकिन, मुलायम ने इन्कार कर दिया। माना जा रहा है कि यह वही प्रेस नोट था, जिसमें नए दल के गठन की घोषणा की गई थी। इसे बाद में वायरल भी किया गया।

इससे शिवपाल इतने आहत हुए कि उन्होंने दो बजे खुद भी प्रेस कांफ्रेस बुला ली। हालांकि, कुछ वरिष्ठ साथियों से सलाह-मशविरा करने के बाद उन्होंने इसे स्थगित कर दिया। इस बीच अखिलेश ने 'नेताजी जिंदाबाद' का ट्वीट कर उनके जख्मों पर और नमक छिड़क दिया। उल्लेखनीय है कि शिवपाल ने मई में ही सेक्युलर मोर्चा के गठन का ऐलान कर दिया था और छह जुलाई की तारीख भी निर्धारित कर दी थी।

उन्होंने यह तक कहा था कि मुलायम इसके अध्यक्ष होंगे लेकिन, मुलायम ने तब भी उनकी मंशा पूरी नहीं की थी। इसके बाद सितंबर में नए सिरे से यह परवान चढ़ी तो भी उनका चरखा दांव शिवपाल को चित कर गया। ऐसे में अब शिवपाल के अगले कदम पर सबकी निगाहें हैं।

समर्थकों से बोले शिवपाल 'जल्द लेंगे फैसला': मुलायम की प्रेस कांफ्रेस होने के बाद शिवपाल यादव विक्रमादित्य मार्ग स्थित अपने आवास से बाहर नहीं निकले। इस बीच समर्थकों का जमावड़ा वहां बना रहा। बीच-बीच में शिवपाल उनसे आकर मिले। कई समर्थक तो उनसे मिलकर रोने लगे। शिवपाल ने उन्हें ढांढ़स बंधाया और कहा कि जल्द ही वह कोई फैसला लेंगे।

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क्या हो सकते हैं शिवपाल के कदम:

- खुद पहल करते हुए छोटे दलों के साथ मोर्चा का गठन। इससे पार्टी के असंतुष्टों को फोरम मिलेगा और समर्थकों का बिखराव रुकेगा।
- राष्ट्रपति चुनाव के बाद से ही शिवपाल के भाजपा से रिश्ते बढ़े हैं। ऐसे में वह वाया नितीश कुमार भाजपा से जुड़ सकते हैं।
- संभव है कि शिवपाल अब मुलायम से दूरी बनाकर कोई बड़ा कदम उठाएं। क्योंकि मुलायम अखिलेश की राजनीति को दांव पर नहीं लगाएंगे।
- एक विकल्प बहुजन समाज पार्टी के साथ जाने का भी हैं। हालांकि, इस पर वह शायद ही अमल करें। बसपा का अधिनायकवाद उन्हें रास नहीं आएगा।

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