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अब गंदगी फैलाना प्लाट मालिकों को पड़ेगा भारी, नगर निगम वसूलेगा जुर्माना

नगर निगम सदन ने कार्यकारिणी समिति से 27 जून को पास हुए सभी प्रस्तावों को दे दी मंजूरी, हंगामे के बीच मेयर ने की पुष्टि।

By JagranEdited By: Published: Sun, 12 Aug 2018 01:42 PM (IST)Updated: Sun, 12 Aug 2018 03:43 PM (IST)
अब गंदगी फैलाना प्लाट मालिकों को पड़ेगा भारी, नगर निगम वसूलेगा जुर्माना
अब गंदगी फैलाना प्लाट मालिकों को पड़ेगा भारी, नगर निगम वसूलेगा जुर्माना

लखनऊ(जागरण संवाददाता)। नगर निगम सदन ने 27 जून को नगर निगम कार्यकारिणी समिति से पास प्रस्तावों को मंजूरी दे दी। शोर शराबे के बीच मेयर ने कार्यकारिणी समिति के निर्णयों की पुष्टि की। मेयर ने बताया कि कार्यकारिणी समिति की बैठक में सभी प्रस्तावों को मंजूरी दे दी गई है। भूखंड पर गंदगी पाए जाने पर नगर निगम भूखंड मालिक से जुर्माना वसूल सकेगा। अगर जुर्माना लगने के बाद भूखंड पर दोबारा गंदगी पाई जाती है तो जुर्माने की राशि दो गुनी हो जाएगी। जुर्माने की राशि तय नहीं है। गंदगी फैलाने वाले ठेला और खोमचे वालों पर भी जुर्माना लगेगा।

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स्कूल परिसर के व्यावसायिक उपयोग पर लगेगा शुल्क :

हाउस टैक्स से राहत पाने वाले स्कूलों में अगर व्यावसायिक गतिविधियां होती पाई गई तो नगर निगम शुल्क वसूलेगा। अभी तक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए स्कूलों को शासनादेश के तहत हाउस टैक्स से छूट मिली हुई है। स्कूल परिसर के बाहर फुटपाथ और सड़क पर पार्किंग कराने पर भी नगर निगम शुल्क वसूलेगा। हवाई अड्डे पर लगेगा यात्री कर :

अमौसी एयरपोर्ट से उड़ने वाले विमान और हेलीकाप्टरों से यात्री कर वसूला जाएगा। हवाई पट्टियों हवाई अड्डों पर प्रति व्यक्ति पर सौ रुपए और चाटर्ड विमानों और हेलीकाप्टर की प्रति उड़ान पर तीन हजार की दर से कर लगेगा। नगर निगम अधिनियम के संशोधित नियम (172) में यह प्रावधान है कि नगर निगम सीमा में आने वाले हेलीपैड पर उतरने और उड़ान भरने वाले हेलीकाप्टरों अथवा अन्य प्रकार के यानों से कर वसूला जा सकता है। नगर निगम के हर वार्डों के नए परिसीमन की सीमाओं पर वार्ड का नाम, मेयर और पार्षद का मोबाइल नंबर लिखा जाएगा। अभी वार्ड की सीमा को लेकर दुविधा बनी हुई है। इससे सबसे अधिक सफाई व्यवस्था प्रभावित हो रही है।

निजी चिकित्सा संस्थानों का लाइसेंस शुल्क बढ़ा:

नगर निगम कार्यकारिणी समिति ने निजी चिकित्सा संस्थानों का लाइसेंस शुल्क बढ़ा दिया है। इसमें प्रसूति गृह, निजी अस्पताल, नर्सिंग होम, पैथोलॉजी, एक्सरे सेंटर, डेंटल क्लीनिक, प्राइवेट क्लीनिक और ब्लड बैंक शामिल हैं।

होटलों का लाइसेंस शुल्क बढ़ा :

शहर में चल रहे होटल, गेस्ट हाउस, जलपान गृह, आइसक्रीम फैक्ट्री, आटा चक्की, प्रेक्षागृहों और शराब की दुकानों का लाइसेंस शुल्क बढ़ाया गया है। शूटिंग रेंज में भी निशानेबाजी का शुल्क बढ़ाकर पांच सौ रुपए किया गया है। प्रेक्षागृहों पर टैक्स बढ़ा (प्रति शो) :

- मल्टीप्लेक्स : 600 रुपये

- वातानुकूलित सिनेमाघर : 300 रुपये

- साधारण सिनेमाघर : सौ रुपये

वार्डो में बनेगी मार्ग प्रकाश व्यवस्था के लिए कमेटी:

नगर निगम सदन में शनिवार को इस बात का फैसला किया गया है कि मार्ग प्रकाश व्यवस्था को पूरे शहर में दुरस्त किया जाएगा। जिसके लिए सभी 110 वार्ड में कमेटियों का गठन होगा। इस कमेटी में निगम का जेई, निजी कंपनी का अधिकारी और क्षेत्रीय पार्षद शामिल होगा। इस मुद्दे पर सदन में भारी हंगामा हुआ।

अधिकाश पार्षदों ने निजी कंपनी के कामकाज के तरीके पर सवाल उठाए। जिसके बाद में नगर आयुक्त ने कहा कि करीब 800 शिकायतें नगर निगम के पास एलईडी लाइटों को लेकर हैं। इसलिए हम अपनी टीम को साथ में लगाकर मार्ग प्रकाश व्यवस्था को दुरस्त करवाएंगे। हर जोन के लिए अलग टोल फ्री नंबर और आफिस का इंतजाम कंपनी को करना पड़ेगा। पूरे शहर का सर्वे होगा। एक एक पोल को परखा जाएगा। जिसमें गठित टीम का वैरीफिकेशन ही मान्य होगा। डेयरी पर भारी जुर्माने पर सपा और भाजपा आमने-सामने :

शहर में डेयरियों के संचालन के मुद्दे पर सपा और भाजपा पार्षद आमने सामने आ गए। दोनों ने आरोप लगाया कि सपा पार्षद दल के नेता यावर हुसैन रेशू ने ये प्रकरण उठाया। जिसमें उन्होंने कहा कि गरीब डेयरी वालों पर शहर में संचालन को लेकर जो भारी जुर्माना लगाया जा रहा है, वह बहुत गलत है। उनकी पाच हजार की गाय होती है और उसका दोगुना से ज्यादा जुर्माना होता है। क्या यही भाजपा की गोरक्षा है। जिसके जवाब में भाजपा सदस्यों ने जुर्माना 25 हजार रुपये कर देने की माग की। महापौर संयुक्ता भाटिया ने कहा कि जुर्माना सही है। हमारी सारी नालिया शहरी इलाकों की डेयरियों से निकलने वाले गोबर के चलते जाम हो रही हैं। जिसके बाद सपा और भाजपा के पार्षदों ने जम कर नारेबाजी शुरू कर दी।

दोपहर बारह बजे से शुरू हुआ सदन देर रात तक चला। सदन में मौजूद 110 में से 95 पार्षदों ने दूषित जलापूर्ति, जलभराव, सीवर लाइन चोक होने, जर्जर सड़क का ही मुद्दा उठाया, लेकिन मुख्य निशाने पर घर-घर से कूड़ा उठाने का ठेका पाई इको ग्रीन और एलक्ष्डी लाइटों को लगा रही कंपनी ईईसीएल ही रही। सभी पार्षदों का आरोप था कि निजी कंपनी एलक्ष्डी लाइटें नहीं लगा रही हैं और जो लगाई गई हैं, वह खराब हो गई हैं। निजी कंपनी के लोग एलक्ष्डी स्ट्रीट लाइट की शिकायत करने पर कोई कार्रवाई भी नहीं करते हैं और अभद्रता से बात करते थे। बारिश और सड़कों पर गढ्डे होने से सड़कों पर लाइट न होने से दुर्घटनाएं हो रही हैं और लोगों की नाराजगी पार्षदों के प्रति हो रही है। इसी तरह पार्षदों ने कूड़ा प्रबंधन का काम देख रही इको ग्रीन पर आरोप लगाया कि वह मैनुवल बिल बनाकर शहरवासियों से भुगतान ले रहे हैं, जो गलत है। इसके अलावा पूरे माह का शुल्क वसूला जा रहा है लेकिन इको ग्रीन के कर्मचारी दस दिन भी कूड़ा नहीं ले रहे हैं। शहरवासियों के सामने कूड़ा निस्तारण की समस्या खड़ी हो गई। दोनों कंपनियों के अधिकारियों को जवाब देने के लिए सदन में बुलाया गया।


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