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अब गरीबों का इलाज खुद कराएगी सरकार, बीमा का झझट हुआ खत्म

बीमा का झझट खत्म, प्रधानमंत्री राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा मिशन अब 'एश्योरेंस' मोड पर, टेंडर जारी किए गए।

By JagranEdited By: Published: Thu, 19 Jul 2018 04:33 PM (IST)Updated: Thu, 19 Jul 2018 04:33 PM (IST)
अब गरीबों का इलाज खुद कराएगी सरकार, बीमा का झझट हुआ खत्म
अब गरीबों का इलाज खुद कराएगी सरकार, बीमा का झझट हुआ खत्म

लखनऊ[संदीप पाडेय]। प्रदेश के अस्पतालों में गरीबों का मुफ्त इलाज अब बीमा कंपनियों के सहारे नहीं होगा। सरकार ने इंश्योरेंस के बजाय एश्योरेंस मोड अपनाते हुए इलाज का पूरा खर्च खुद उठाने का फैसला किया है। इसके लिए हॉस्पिटल, मरीज के बीच समन्वय स्थापित करने का काम सरकार द्वारा नामित कंपनी करेगी। योजना के तहत प्रदेश को चार जोन में बाटकर इन कंपनियों के चयन के लिए बुधवार (18 जुलाई) रात को टेंडर जारी कर दिया गया है।

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सरकार ने इलाज की व्यवस्था में यह बदलाव यूपी में लागू होने जा रहे प्रधानमंत्री राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा मिशन (पीएमआरएसएसएम) के तहत किया है। इसमें गरीबों को पाच लाख तक का मुफ्त इलाज मुहैया कराया जाएगा। योजना का लाभ उन निर्धन परिवारों को मिलेगा जो सामाजिक, आर्थिक, जातीय जनगणना (एसइसीसी) वर्ष 2011 की सूची में शामिल हैं। इसके लिए सभी जनपदों के सीएमओ को लाभार्थियों का सत्यापन कर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रलय के पोर्टल पर अपलोड करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। योजना में मरीजों का हॉस्पिटल से समन्वय स्थापित करने के लिए इरडा में सूचीबद्ध इंप्लीमेंटशन सपोर्ट एजेंसी (आइएसए) को बतौर थर्ड पार्टी शामिल किया जाएगा। विभाग ने बुधवार रात को इसके लिए वेबसाइट पर टेंडर भी अपलोड कर दिया है। यूपी में करीब एक करोड़ 18 लाख सात हजार, 68 परिवार इस योजना के हकदार हैं। ऐसे ही लखनऊ में दो लाख 57 हजार 756 परिवार लाभान्वित होंगे। बीती 30 अप्रैल से लाभार्थियों की ऑनलाइन डाटा फीडिंग जारी है। ऐसे मिलेगा लाभ:

योजना के संचालन में मरीजों व हॉस्पिटल के बीच सेतु का काम करने वाली कंपनी यानी आइएसए की भूमिका बतौर थर्ड पार्टी होगी। यह कंपनी स्वास्थ्य सुरक्षा मिशन के पैनल में शामिल अस्पताल में अपना एक कर्मचारी तैनात करेगी, जोकि इलाज के लिए आने वाले गरीब मरीज और उस पर होने वाले खर्च का ब्योरा जुटाएगा। इसके बाद वह मरीज की पूरी जानकारी स्टेट एजेंसी फॉर कॉम्प्रिहेंसिव हेल्थ एंड इंटीग्रेटेड सर्विसेज (साची) को भेजेगा। ऐसे में साची केंद्र सरकार द्वारा बीमारियों के तय पैकेज व अस्पताल के खर्चे का मिलान कर मरीज के इलाज का पैसा अस्पताल को सीधे ऑनलाइन ट्रासफर करेगी।

आयुष्मान मित्र करेंगे मदद:

सरकार गरीब मरीजों के इलाज की सहूलियत का पूरा ध्यान रख रही है। निजी अस्पतालों में कम पढ़े-लिखे मरीज को इलाज में कोई दिक्कत न आए इसके लिए आयुष्मान मित्र तैनात होंगे। इनका मानदेय पैनल में शामिल अस्पताल देंगे। यह कर्मी लाभार्थी के इलाज संबंधी प्रक्त्रिया पूरी कराकर आइएसए से संपर्क करेंगे। प्रीमियम जमा करने से छुटकारा:

दरअसल, पूर्व में संचालित राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा बीमा योजना (आरएसएसबीवाइ) में बीमा कंपनियों ने जमकर मनमानी की थी। इसमें प्रीमियम जमा करने की देरी में यूपी में तमाम मरीजों के हेल्थ कार्ड ब्लॉक कर दिए गए थे। साथ ही बीमा कंपनी द्वारा समय पर क्लेम का भुगतान करने में आनाकानी, हॉस्पिटल की मिलीभगत से चूना लगाने के भी मामले भी प्रकाश में आए थे। ऐसे में सरकार ने पहले की खामियों से सबक लिया है। अब योजना में फूल प्रूफ मॉनीटरिंग की व्यवस्था की जा रही है।

एंजियोप्लास्टी से लेकर हार्ट सर्जरी तक मुफ्त :

योजना के तहत कुल 1350 डिजीज पैकेज तय किए गए हैं। इसमें हार्निया, हाईड्रोसील जैसे सामान्य ऑपरेशन से लेकर हार्ट के जटिल ऑपरेशन तक शामिल किए गए हैं। मरीज अब एंजियोप्लास्टी, बाईपास सर्जरी, नी-रिप्लेसमेंट, हिप रिप्लेसमेंट, कालर बोन फ्रैक्चर, ट्यूमर का भी मुफ्त इलाज करा सकेंगे। हालाकि टर्शियरी केयर में करीब 650 पैकेज हैं। हॉस्पिटल को इन पैकजों के तहत इलाज करने से पहले साची से अनुमति लेनी होगी।

नाम को लेकर भी हुए बदलाव:

योजना का नाम भी अब तक तीन बार बदला जा चुका है। सरकार ने बजट सत्र में आयुष्मान भारत नेशनल हेल्थ प्रोटेक्शन स्कीम (एबीएनएचपीएस) नाम से घोषणा की थी। वहीं मार्च में योजना का नाम आयुष्मान भारत नेशनल हेल्थ प्रोटेक्शन मिशन (एबीएनएचपीएम)नाम दिया गया। वहीं 14 अप्रैल को योजना का नया नाम प्रधानमंत्री राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा मिशन (पीएमआरएसएसएम) में तब्दील कर दिया गया है। ये हैं पात्र:

प्रधानमंत्री राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा मिशन में आवासहीन, बेसहारा, दिव्याग, भूमिहीन, मजदूर, गरीब, अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति, दुर्बल आय वर्ग के परिवार वालों को शामिल किया गया है। क्या कहते हैं ऑफीसर ?

राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा मिशन के स्टेट नोडल ऑफीसर डॉ. एके सिंह के मुताबिक, योजना के लिए अब बीमा कंपनी का चयन नहीं किया जाएगा। इंप्लीमेंटेशन सपोर्ट एजेंसी के लिए टेंडर अपलोड कर दिया गया है। नए नियम के तहत मरीज के इलाज का पूरा खर्च सरकार खुद उठाएगी। यह कार्य सरकारी एजेंसी साची को सौंपा गया है। इससे योजना में पारदर्शिता बढ़ेगी।


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