UP Cabinet Decision : अब सिर्फ वरिष्ठता के आधार पर नहीं बन सकेंगे चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के महानिदेशक
UP Cabinet Decision ऐसे निदेशक जिनके रिटायरमेंट में एक वर्ष से कम का समय होगा उन्हें महानिदेशक बनने का मौका नहीं दिया जाएगा वे चाहे जितने वरिष्ठ हों।
लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के महानिदेशक पद पर अब सिर्फ वरिष्ठता के आधार पर चयन नहीं किया जाएगा। अफसर की तैनाती में अब उसकी योग्यता, श्रेष्ठता और प्रशासनिक क्षमता को भी देखा जाएगा। ऐसे निदेशक जिनके रिटायरमेंट में एक वर्ष से कम का समय होगा, उन्हें महानिदेशक बनने का मौका नहीं दिया जाएगा, वे चाहे जितने वरिष्ठ हों।
मंगलवार को कैबिनेट की बैठक में उत्तर प्रदेश चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा नियमावली में निदेशक से महानिदेशक पद पर प्रोन्नति के संबंध में आठवें संशोधन पर मुहर लगा दी गई। इसके मुताबिक निदेशक से महानिदेशक के पद पर वही प्रोन्नत होंगे, जिनके रिटायरमेंट में न्यूनतम एक वर्ष का समय हो।
दरअसल दो स्वास्थ्य महानिदेशकों का कार्यकाल सिर्फ कुछ महीने का ही रहा। कार्यकाल में कम समय होने के कारण महानिदेशक पद पर तैनात अफसर बेहतर ढंग से काम नहीं कर पाते। मंगलवार को ही स्वास्थ्य महानिदेशक के पद से सेवानिवृत्त हुए डॉ.रुकुम केश का कार्यकाल सिर्फ चार महीने का ही रहा और इनसे पहले डॉ.ज्ञान प्रकाश को वरिष्ठतम निदेशक होने के कारण सिर्फ दो महीने के लिए महानिदेशक की कुर्सी सौंपी गई थी।
स्वयं सहायता समूहों के जरिए भी राशन वितरण : राशन वितरण व्यवस्था में मामूली बदलाव करते हुए शासन ने उचित दर की दुकानों के आवंटन में स्वयं सहायता समूहों को वरीयता देने का निर्णय लिया है। कैबिनेट ने आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए उत्तर प्रदेश आवश्यक वस्तु (विक्रय एवं वितरण नियंत्रण का विनियमन) आदेश- 2016 में संशोधन को हरी झंडी प्रदान कर दी। इस संशोधन के बाद प्रदेश में खाद्यान्न वितरण की रिक्त 2256 दुकानों के आवंटन में स्वयं सहायता समूहों को वरीयता प्रदान की जाएगी। कोरोना महामारी में उचित दरों की दुकानों का उपयोग देखते हुए सरकार ने इनके जरिए अधिकतम लोगों को रोजगार का मन बनाया है।
प्रदेश में खाद्यान्न वितरण के लिए वर्तमान में कुल 80,089 उचित दर की दुकानें स्वीकृत हैं, जिसमें 2256 विभिन्न कारणों से रिक्त हैं। वर्तमान रिक्तियों में अनुकंपा के आधार पर प्रस्तावित रिक्तियों को छोड़कर शेष रिक्तियों में स्वयं सहायता समूहों को वरीयता दी जाएगी। इसके तहत अब दुकान मालिक की परिभाषा में स्वयं सहायता समूह को भी शामिल किया गया है। इस बदलाव से स्वयं सहायता समूहों को आर्थिक मजबूती मिलेगी। इसके अलावा मिट्टी तेल के फुटकर विक्रेता, जिनके लाइसेंस खाद्य एवं रसद विभाग द्वारा निरस्त किए गए थे, उन्हें भी उचित दर की दुकानों के आवंटन में वरीयता मिलेगी। स्वयं सहायता समूह को प्रथम तथा मिट्टी तेल के फुटकर विक्रेता को द्वितीय वरीयता प्रदान की जाएगी।