Move to Jagran APP

Shri Ram Janmabhoomi Update: अब रामजन्मभूमि परिसर में होगी शेष शिलाओं की तराशी, काम होगा आसान

Shri Ram Janmabhoomi Update अयोध्या में शिलाओं को लंबे फासले पर ले जाए जाने के झंझट से मिलेगी निजात गत तीन दशक से रामघाट स्थित कार्यशाला में चल रहा था तराशी का काम।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Mon, 29 Jun 2020 05:35 PM (IST)Updated: Tue, 30 Jun 2020 11:45 AM (IST)
Shri Ram Janmabhoomi Update: अब रामजन्मभूमि परिसर में होगी शेष शिलाओं की तराशी, काम होगा आसान
Shri Ram Janmabhoomi Update: अब रामजन्मभूमि परिसर में होगी शेष शिलाओं की तराशी, काम होगा आसान

अयोध्या [रघुवरशरण]। Shri Ram Janmabhoomi Update: मंदिर निर्माण के लिए शेष शिलाओं की तराशी रामजन्मभूमि परिसर में होगी। गत तीन दशक से शिलाओं की तराशी रामजन्मभूमि से करीब डेढ़ किलोमीटर दूर रामघाट स्थित न्यास कार्यशाला में चल रही थी। इस दौरान प्रस्तावित मंदिर के मॉडल को ध्यान में रखकर आधे से अधिक शिलाओं की तराशी की जा चुकी है। अब जबकि 70 एकड़ का अधिग्रहीत परिसर मंदिर निर्माण के लिए गठित ट्रस्ट श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र को अधिगत हो चुका है, तब शिलाओं की तराशी अधिग्रहीत परिसर में ही किये जाने की योजना बनाई जा रही है। 

loksabha election banner

कार्यशाला के प्रभारी अन्नू भाई सोमपुरा कहते हैं '1990 में जब शिलाओं की तराशी शुरू हुई थी, तब रामजन्मभूमि परिसर में जगह मिलने की संभावना नहीं थी। ऐसे में विवशता वश कार्यशाला की स्थापना रामघाट परिक्रमा मार्ग चौराहा पर करनी पड़ी और आज जब संपूर्ण अधिग्रहीत परिसर में मंदिर निर्माण का हक हासिल हो चुका है, तब यह स्वाभाविक है कि बाकी बची शिलाओं की तराशी इसी परिसर में कराई जाए और इस संबंध में समुचित विचार विमर्श किया जा रहा है। 

फिलहाल, मंदिर निर्माण शुरू होने से पूर्व भूमि पूजन की तैयारी चल रही है। तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य भूमि पूजन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कराना चाहते हैं और इसके लिए प्रधानमंत्री का समय लेने की कोशिश चल रही है। 

तराशी गई शिलाओं का स्थानांतरण चुनौतीपूर्ण

रामजन्मभूमि परिसर में शिलाओं की तराशी शुरू कराने के पीछे रामघाट कार्यशाला में तराशी गई शिलाओं को रामजन्मभूमि तक ले जाने की चुनौती है। टनों वजनी शिलाओं का स्थानांतरण यूं भी चुनौतीपूर्ण होता है और तराशे जाने के बाद शिलाओं का स्थानांतरण और भी चुनौतीपूर्ण हो जाता है। शिलाओं को रामघाट से जन्मभूमि तक ले जाने के लिए तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को विशेष वाहन का प्रयोग करना पड़ रहा है और इसके लिए परिक्रमा मार्ग का चयन किया गया है।

हो चुकी है एक लाख घन फीट शिलाओं की तराशी

268 फीट लंबे, 140 फीट चौड़े और 128 फीट ऊंचे प्रस्तावित मंदिर में एक लाख 75 हजार घन फीट शिलाओं का प्रयोग होना है। अब तक एक लाख घन फीट से कुछ अधिक शिलाओं की तराशी हो चुकी है। इसमें प्रमुख रूप से दोनों तल के 212 स्तंभ, प्रथम तल की फर्श, ङ्क्षसह द्वार आदि प्रमुख हैं। मंदिर मुख्यत: पांच प्रखंडों में विभाजित है, इनमें ङ्क्षसहद्वार, रंग मंडप, नृत्य मंडप, पूजन मंडप एवं गर्भगृह हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.