अब सॉफ्टवेयर बताएगा दांत लगने पर कैसी होगी आपकी मुस्कान, मुंह की स्कैनिंग से संभव होगा ट्रीटमेंट
केजीएमयू में डिजिटल डेंटिस्ट्री पर होगा जोर दंत संकाय में आयोजित हुई कार्यशाला।
लखनऊ, जेएनएन। कम उम्र में दांत खराब हो रहे हैं। चेहरे में विकृत आ रही है। इंप्लांट सही तरीके से फिक्स नहीं हो रहे हैं। ऐसे में मुस्कान भी बेढंगी हो रही है, मगर यह सब बीते दिनों की बात होगी। अब विशेष सॉफ्टवेयर मुंह की स्कैनिंग कर ट्रीटमेंट तय कर देगा। वहीं बाद में चेहरा कैसा दिखेगा यह भी पहले पता चल जाएगा।
केजीएमयू के दंत संकाय में शनिवार को इंटरनेशनल एकेडमी ऑफ डिजिटल डेंटिस्ट्री पर कार्यशाला हुई। इस दौरान इजिप्ट के डॉ. हैथम शारशार ने खुद के द्वारा तैयार किए सॉफ्टवेयर का प्रजेंटेशन दिया। यह खास सॉफ्टवेयर केजीएमयू भी लेगा। इसे कंप्यूटर पर अपलोड कराकर मरीज के दांतों के इलाज की सटीक दिशा तय की जा सकेगी। सॉफ्टवेयर से इंट्रा ओरल स्कैनर अटैच होंगे। यह मरीज के मुंह की स्कैनिंग कर कंप्यूटर पर इमेज भेज देंगे। वहीं सॉफ्टवेयर जबड़े की हड्डी की स्थिति कैसी है, कितनी गहराई में है, इंप्लांट किस डायरेक्शन में डालना बेहतर रहेगा, दांत लगने के बाद चेहरा कैसा दिखेगा। मुस्कराने पर दांत कैसे दिखेंगे। यह सब स्कैनिंग के जरिये पहले पता चल सकेगा। इससे दांतों की साइज भी सटीक लगाई जा सकेगी। मरीज में एक्स-रे का झंझट खत्म होगा। इस सॉफ्टवेयर को थ्रीडी फेशियल गाइडेड इंप्लांटोलॉजी कहते हैं। देश में इस सॉफ्टवेयर का पहली बार प्रजेंटेशन किया गया।
सीबीसीटी से टलेगा रेडिएशन का खतरा
डॉ. प्रद्युम्न के मुताबिक, मरीज में दांतों की खराबी पता करने के लिए एक्स-रे कराया जाता है। उसमें भी स्पष्ट न आने पर सीटी स्कैन कराया जाता है। ऐसे में रेडिएशन का प्रभाव मरीज पर अधिक हो जाता है। खासकर बच्चों पर दुष्प्रभाव अधिक पड़ता है। इसलिए अब कोन बीम कंप्यूटेड टोमोग्राफी (सीबीसीटी) आ गई है। इसमें रेडियेशन काफी कम निकलता है।
ब्लॉक हो रही दांतों की नर्व
डॉ. रमेश भारती के मुताबिक, दांतों की नसों में कैल्सियम जम जाने के कारण नर्व ब्लॉक हो जाती है। इससे दांतों में दर्द शुरू हो जाता है। 50 वर्ष पहले होने वाली यह समस्या 30 वर्ष में हो रही है। डेंटल डीन डॉ. अनिल चंद्रा ने कहा कि बच्चों में फास्टफूड, चॉकलेट खाने का चलन बढ़ गया है। वहीं मैदा और चीनी मोटापे के साथ बच्चों के दांतों को भी खराब कर रहा है।