Kanpur kidnapping Case: अब गुमशुदगी के मामलों की मॉनिटरिंग करेंगे वरिष्ठ अधिकारी
Kanpur kidnapping Case कानपुर अपहरण कांड के बाद पुलिस आयुक्त ने लिया निर्णय पॉलीगन व्यवस्था के तहत गुमशुदा की तलाश के निर्देश - हर माह तकरीबन छह बच्चे हो रहे लापता।
लखनऊ, जेएनएन। Kanpur kidnapping Case: कानपुर में युवक की अपहरण के बाद हत्या का मामला सामने आने के बाद पुलिस आयुक्त सुजीत पांडेय ने गुमशुदगी के सभी मामलों की मॉनिटरिंग वरिष्ठ अधिकारियों को करने के निर्देश दिए हैं। लापता लोगों के मामले की जांच के लिए अलग-अलग टीम को लगाया गया है। पुलिस आयुक्त ने संबंधित डीसीपी को गुमशुदगी के सभी मामलों की गंभीरता से छानबीन के बाद रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं।
पुलिस आयुक्त के मुताबिक, राजधानी में गुमशुदगी की सूचना मिलने के बाद फौरन एक पुलिस टीम को पीड़ित परिवार के घर रवाना किया जाता है। इसके बाद पुलिस विभाग का एक अधिकारी परिवार से संपर्क कर लगातार उनसे बातचीत करता है। गुमशुदा के संभावित स्थान पर होने की आशंका के मद्देनजर पुलिस टीम को उसकी तलाश में रवाना किया जाता है। इसके साथ ही गुमशुदगी सेल को डीसीआरबी की मदद से लगातार डाटा अपडेट करने के निर्देश दिए गए हैं। सोशल मीडिया की मदद से गुमशुदा लोगों की तलाश की जा रही है।
पॉलीगान व्यवस्था की मदद से पुलिस कर्मियों को गुमशुदगी की सूचना मिलते ही फौरन सक्रिय होकर संबंधित की खोजबीन करने को कहा गया है। बाजार खाला से लापता हुई मासूम बच्ची की बरामदगी पॉलीगान व्यवस्था की सक्रियता का परिणाम है। घर छोड़ रहे नौनिहाल आंकड़ों के मुताबिक राजधानी में हर माह करीब छह से सात बच्चे लापता हो रहे हैं। इनमें कुछ बच्चों को तो पुलिस बरामद कर लेती है, लेकिन औसतन दो से तीन बच्चों का सुराग नहीं लग पाता है। पिछले पांच साल में राजधानी से 3550 बच्चे लापता हुए। इनमें 245 से अधिक बच्चों को पुलिस नहीं ढूंढ पाई। लापता बच्चे कहां गए। यह रहस्य बरकरार है। वहीं वर्ष 2019 में 280 बच्चों की गुमशुदगी दर्ज हुई थी।