लखनऊ, [शोभित श्रीवास्तव]। पौधारोपण की जांच में अब किसी भी तरह का घपला नहीं चल पाएगा। पौधे लगाने के बाद यह अधिक संख्या में बचे रहें इसके लिए वन विभाग अपनी अनुश्रवण इकाई से पौधारोपण की जांच कराने जा रहा है। इस बार जांच में तकनीक की मदद ली जाएगी। स्थल चयन कंप्यूटर के जरिए रेंडम तकनीक से होगा। टीम मोबाइल एप के जरिए मौके पर जाकर जांच करेगी।
पौधारोपण की जांच के लिए विशेष एप तैयार
- वन विभाग में अनुश्रवण की 11 इकाइयां हैं। इनमें रेंज अफसर से लेकर फारेस्ट गार्ड तक शामिल हैं। इन सभी को पिछले दो वर्षों (2019-20 व 2020-21) के पौधारोपण की जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
- प्रधान मुख्य वन संरक्षक अनुश्रवण एवं कार्ययोजना कमलेश कुमार ने अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक आइटी विष्णु सिंह के साथ मिलकर पौधारोपण की जांच के लिए विशेष एप तैयार करवाया है।
- इस एप का अंतिम दौर का परीक्षण हो चुका है। दिसंबर के पहले सप्ताह से इस एप के जरिए जांच शुरू हो जाएगी। इसके जरिए पारदर्शी तरीके से जांच हो सकेगी और सटीक आंकड़े सामने आएंगे।
- सबसे पहले कंप्यूटर के जरिए रेंडम स्थल चयन होगा। अभी तक मैनुअल स्थल चयन होने के साथ ही सैंपल गिनती की जाती थी, इसके बाद पूरे क्षेत्र के पौधारोपण को उसी गिनती के हिसाब से गुणा करके निकाला जाता था।
- इसमें गड़बड़ी सबसे अधिक होती थी। किंतु अब 20 हेक्टेयर क्षेत्रफल तक के पौधारोपण स्थलों में लगे सभी पौधों की गिनती करनी होगी।
- एप के जरिए सबसे पहले टीम को मौके पर जाकर लागिन करना होगा। यदि टीम तय स्थान के बजाय दूसरी जगह से लागिन करेगी तो मुख्यालय पर उसकी जानकारी तत्काल मिल जाएगी।
- टीम मौके पर पहुंचकर सबसे पहले जांच करते हुए टीम की तस्वीर अपलोड करेगी। इसके बाद पूरे क्षेत्र के सभी पौधों की गिनती कर उसकी रिपोर्ट दो से तीन घंटे के अंदर हरीतिमा एप पर रियल टाइम अपलोड करनी होगी।
- जांच टीम को पांच बिंदुओं की रिपोर्ट देनी है। इनमें पौधारोपण स्थल का नाम, क्षेत्रफल, रोपित पौधों की संख्या, जीवित पौधों की संख्या व पौधारोपण का जीवितता प्रतिशत हैं। रियल टाइम जांच रिपोर्ट संबंधित डीएफओ से लेकर मुख्यालय में बैठे अफसर तक आनलाइन देख सकेंगे। यदि किसी को जांच रिपोर्ट में आपत्ति हुई तो वह भी कर सकेंगे।
जांच टीम के कार्यों की भी होगी जांच
पौधारोपण की जांच करने वाली टीम के कार्यों की भी जांच की जाएगी। अनुश्रवण इकाईयों द्वारा किए गए कुल सर्वेक्षण का न्यूनतम 10 प्रतिशत स्थलों का सर्वेक्षण दूसरी टीम के जरिए कराया जाएगा। इससे जांच करने वाली टीम भी सावधानी से अपनी रिपोर्ट तैयार करेगी। गड़बड़ी मिलने पर तत्काल संबंधित टीम के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
टीम को भी पहले से नहीं पता होगा कहां करनी है जांच
इस बार जांच की प्रक्रिया ऐसी बनाई जा रही है ताकि जांच टीम फील्ड के अधिकारियों के साथ तालमेल न कर सकें। कौन सी जांच टीम कहां जाएगी इसकी जानकारी उन्हें पहले से नहीं दी जाएगी। जांच टीम के प्रस्तावित भ्रमण की सूचना एक सप्ताह पहले संबंधित प्रभागीय वनाधिकारी एवं वन संरक्षक को दी जाएगी, ताकि संबंधित अभिलेख तैयार किए जा सकें।