फोकसः अब उत्तर प्रदेश में पूरी ताकत लगाएंगे मोदी और अमित शाह
छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव परिणामों ने भाजपा की पेशानी पर बल ला दिया है। इस नतीजे ने उत्तर प्रदेश में भी 2019 के लिए खतरे की घंटी बजा दी है।
आनन्द राय, लखनऊ। भाजपा गठबंधन ने उप्र में 2014 में 73 सीटें जीत कर इसे सबसे बड़ा गढ़ बनाया था लेकिन, सामने नई चुनौती खड़ी है। छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव परिणामों ने भाजपा की पेशानी पर बल ला दिया है। इस नतीजे ने उत्तर प्रदेश में भी 2019 के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक समय देंगे। अब सरकार और संगठन का हर वर्ग पर फोकस होगा।
भाजपा 2019 में नरेंद्र मोदी को फिर प्रधानमंत्री बनाने के संकल्प के साथ मैदान में उतर चुकी है। पार्टी के रणनीतिकार किसी भी कीमत पर उत्तर प्रदेश में अपनी 73 सीटों के आंकड़े को घटने नहीं देना चाहते हैं। इसके लिए हर बूथ पर 50 फीसद से ज्यादा वोट पाने का लक्ष्य रखा गया है। भाजपा एक तरफ अपने असंतुष्ट कार्यकर्ताओं को महत्व देगी तो दूसरी तरफ किसानों, छात्रों, युवाओं, बेरोजगारों समेत हर वर्ग को प्रभावित करने की पहल करेगी। 16 दिसंबर को संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली और प्रयागराज में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कार्यक्रम पहले से ही तय है। मोदी वहां कई बड़ी परियोजनाओं की सौगात देंगे। पार्टी मोदी और अमित शाह के हर माह उप्र के दौरे की कार्ययोजना तैयार कर रही है। गुरुवार को दिल्ली में होने वाली बैठक में इसकी रूपरेखा तय हो जाएगी। प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय और प्रदेश महामंत्री संगठन सुनील बंसल समेत कई प्रमुख नेता दिल्ली बुलाए गए हैं। 25 दिसंबर को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर शाह को उत्तर प्रदेश के दौरे पर आना है। भाजपा ने अपने सभी मोर्चों, प्रकोष्ठ और प्रकल्प के कार्यक्रम तय कर दिए हैं। इन कार्यक्रमों के जरिये पार्टी जातीय समीकरण भी मजबूत करेगी। भाजपा ने दलितों और पिछड़ों, महिलाओं, किसानों, अल्पसंख्यकों के लिए मंडल, जिला और क्षेत्र स्तर से लेकर प्रदेश स्तरीय कार्यक्रम भी तय किये हैं।
गठबंधन की संभावना तलाशेगी भाजपा
सपा-बसपा गठबंधन से ही उत्तर प्रदेश में नुकसान का आकलन कर चुकी भाजपा के लिए अब कांग्रेस का उभार भी चुनौती है। 2014 में भाजपा ने अपना दल से गठबंधन किया था लेकिन, अब अन्य छोटे दलों में भी संभावनाओं की तलाश होगी। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष और योगी सरकार के मंत्री ओमप्रकाश राजभर के तेवर विद्रोही हैं लेकिन, उन्होंने राज्यों में भाजपा की पराजय के बाद हमदर्दी दिखाई है। भाजपा राजभर से भी रिश्ते मजबूत बनाने की कोशिश करेगी।