अफसरों की लापरवाही, अब रोडवेज में MST प्रक्रिया पांच मार्च से ठप
05 मार्च से व्यवस्था ठप रोजाना क्षेत्रीय प्रबंधक कार्यालय के चक्कर लगा रहे दैनिक यात्री। 500 नए एमएसटी औसतन बनते हैं हर माह 2000 का होता है नवीनीकरण।
लखनऊ, [नीरज मिश्र]। परिवहन निगम के अफसरों की लापरवाही से दैनिक यात्रियों का नया एमएसटी (मंथली सीजन टिकट) बनना बंद हो गया है। वजह ये है कि पांच मार्च को परिवहन निगम का आइसीआइसीआइ बैंक से करार खत्म हो गया है। आइसीआइसीआइ बैंक एक अन्य कंपनी के साथ मिलकर यात्रियों को कार्ड जारी करता है। पुराने एमएसटी का नवीनीकरण तो किसी तरह हो जा रहा है लेकिन नए दैनिक यात्री रोजाना एमएसटी बनवाने की आस में क्षेत्रीय प्रबंधक कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं।
परिवहन निगम के अकेले लखनऊ क्षेत्र में प्रति माह औसतन पांच सौ नए एमएसटी बनते हैं। साथ ही हर माह नवीनीकरण के लिए आने वाले दैनिक यात्रियों की संख्या भी दो हजार के आसपास होती है। रोडवेज के दैनिक यात्रियों को यह सुविधा आइसीआइसीआइ बैंक के जरिये उपलब्ध कराई जाती है। इसमें बैंक दैनिक यात्रियों को कार्ड मुहैया कराता है। लेकिन, 5 मार्च से यह प्रक्रिया ठप पड़ी है।
कारण ये है कि पांच मार्च को बैंक के साथ पांच साल का समझौता पूरा हो गया। लेकिन, अधिकारियों को इसकी सुध पहले नहीं आई। नतीजतन, समय से बैंक के साथ करार का नवीनीकरण आगे नहीं बढ़ सका। इसका खामियाजा दैनिक यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है। जब लगातार दौड़ रहे दैनिक यात्रियों ने नाराजगी जताई तब रोडवेज प्रशासन हरकत में आया। पता चला कि बैंक के बड़े जिम्मेदार मुंबई से आने हैं। उसके बाद ही फौरी तौर पर तीन माह का करार आगे बढ़ पाएगा। यानी अभी कई दिनों तक यह समस्या बरकरार रहने वाली है।
लखनऊ रीजन में एक माह में बनते हैं 2,568 कार्ड
लखनऊ क्षेत्र में ही 2,568 कार्ड हर माह औसतन बनाए जाते हैं। इनमें नया एमएसटी यानी पंजीयन के अलावा नवीनीकरण, स्मार्ट कार्ड आदि मुख्य हैं। फरवरी माह में 482 नए कार्ड बनाए गए थे। इस माह लोग परेशान हैं और उनके कार्ड अभी तक नहीं बन पाए हैं।
क्या कहते हैं अफसर?
परिवहन निगम (संचालन) मुख्य प्रधान प्रबंधक राजेश वर्मा का कहना है कि बैंक का समझौता खत्म हो गया है। यह सही है कि समय से करार का नवीनीकरण नहीं हो पाया है। बैंक प्रबंधन से बातचीत हो गई है। जल्द ही व्यवस्था फिर बहाल हो जाएगी।