काला अजार के लिए अब विकसित हो सकेगी दवा Lucknow News
सीडीआरआइ के वैज्ञानिक को शोध के लिए मिला यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड।
लखनऊ, जेएनएन। वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआइआर)-केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (सीडीआरआइ) के युवा वैज्ञानिक डॉ. बिद्युत पुरकैत के काला अजार के लिए किए शोध को मान्यता देते हुए यंग साइंटिस्ट अवार्ड से सम्मानित किया गया है। उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में सैकड़ों लोगों की अकाल मौत का कारण बनने वाले काला अजार के लिए अभी तक कोई कारगर दवा उपलब्ध नहीं है।
डॉ. पुरकैत बताते हैं कि इस बीमारी के लिए कोई वैक्सीन भी उपलब्ध नहीं है। फिलहाल, अन्य रोगों में इस्तेमाल की जाने वाली जिन दवाओं (एम्फोटेरिसिन बी) से इसका उपचार किया जाता है, उनके प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाने के कारण इलाज जटिल बन गया है। डॉ. पुरकैत बताते हैं कि यह बीमारी गरीबों में अधिक होती है। इसके होने पर लिवर व स्प्लीन प्रभावित होते हैं। चूंकि, इम्यून सिस्टम पहले से कमजोर होता है, ऐसे में रोग और घातक हो जाता है।
शोध कर खोजा
वह बताते हैं कि ऐसे में नई औषधि की तलाश की जरूरी थी। उन्होंने प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने वाले जीन व उसके मेकेनिज्म को खोजा है। शोध में कुछ नए मॉलीक्यूल मिले हैं, जो औषधि विकास के साथ-साथ प्रतिरोधक क्षमता का पता लगाने के लिए मार्कर की तरह इस्तेमाल किए जा सकते हैं। इससे पहले भी उनके 19 रिसर्च पेपर प्रमुख अंतरराष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित हो चुके हैं।
मिला ये सम्मान
यंग साइंडिस्ट अवार्ड में डॉ. पुरकैत को प्रशस्ति पत्र, 50 हजार रुपये नकद व 45 वर्ष की आयु तक प्रति माह 7500 रुपये विशेष मानदेय मिला है। इसके अतिरिक्त 25 लाख रुपये का अनुसंधान अनुदान भी दिया जाता है।