अब मजिस्ट्रेट को देना होगा लंबित मुकदमों का हिसाब, निस्तारण में स्पीड लाने की तैयारी
राजस्व अदालतों में 13 हजार से अधिक वाद लंबित। नियमित कोर्ट संचालन सुनिश्चित कराने का आदेश।
लखनऊ, राजीव बाजपेयी। जमीन-जायदाद के विवादों में राजस्व अदालतों में न्याय पाने का इंतजार लंबा होता जा रहा है। बार-बार के निर्देशों के बावजूद तमाम कोर्ट में नियमित सुनवाई नहीं हो पा रही है, जिससे मुकदमों का बोझ बढ़ता जा रहा है। राजधानी में करीब 13 हजार वाद निस्तारण की कतार में हैं।
राजधानी में राजस्व मामलों के निस्तारण के लिए डीएम से नायब तहसीलदार तक की कोर्ट में सुनवाई होती है। राजधानी में डीएम, एडीएम, तहसीलदार और नायब तहसीलदार कोर्ट में दिसंबर तक 13116 वाद लंबित थे। इनमें करीब 140 मुकदमे पांच साल से अधिक समय से लंबित थे। जनवरी माह की समीक्षा के दौरान डीएम कौशल राज शर्मा ने अफसरों के पेच कसे और नियमित कोर्ट चलाने के निर्देश दिए। डीएम ने पांच साल से अधिक मुकदमों के निस्तारण पर तीन एसडीएम को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है।
नियमित देनी होगी रिपोर्ट
अपर जिलाधिकारी प्रशासन और नोडल अफसर श्रीप्रकाश गुप्ता का कहना है कि पांच साल से अधिक समय से लंबित मुकदमों का निस्तारण कर दिया गया है। कोर्ट में नियमित सुनवाई करने को कहा गया है ताकि निस्तारण में स्पीड आ सके। प्रत्येक सप्ताह मजिस्ट्रेट को निस्तारित मुकदमों का विवरण देने को कहा गया है।
क्यों नहीं चली कोर्ट, बताना होगा
कानून-व्यवस्था या दूसरे सरकारी कार्यों के चलते कोर्ट न चलाने का बहाना नहीं चलेगा। अब मजिस्ट्रेट अगर कोर्ट नहीं करता है तो उसे लिखित में कारण बताना होगा कि इस वजह से कोर्ट नहीं चली। वकीलों की तरफ से इस बात की शिकायतें आ रही थीं कि कुछ अधिकारी कानून व्यवस्था और प्रोटोकॉल ड्यूटी का बहाना बनाकर कोर्ट नहीं करते हैं। इससे मुकदमों के निस्तारण में देरी हो रही है।