कबाड़ हो चुकी गाड़ियां अब बुझाएंगी आग, जानिए कैसे Lucknow News
लखनऊ स्थित फायर स्टेशनों में खड़े-खड़े हो चुकी हैं कंडम। आग बुझाने में होंगी इस्तेमाल।
लखनऊ [सौरभ शुक्ला]। कबाड़ और कंडम हो चुकी 103 चेसिसों के फायर टेंडर बनवाकर अब अग्निशमन विभाग आग पर काबू पाएगा। दो साल से राजधानी के फायर स्टेशनों में खड़े-खड़े कंडम हो चुकीं यह चेसिस दो साल पहले 20 करोड़ रुपये खर्च कर मंगवाई गई थीं। जिन्हें 2018 के फायर सीजन में ही सूबे के सभी फायर स्टेशनों में भेजनी थीं। पर मुख्यालय के अधिकारियों ने इन चेसिसों में फायर टेंडर बनवाने के बजाए बीते वित्तीय वर्ष में 83 और चेसिस खरीदने के लिए शासन से 10 करोड़ रुपये और पास करा लिए थे। 20 अगस्त को दैनिक जागरण में प्रमुखता से छपी खबर 'अग्निशमन विभाग में उठी भ्रष्टाचार की चिंगारीÓ के बाद शासन ने मामले का संज्ञान लिया। जिसके बाद आलाधिकारी जागे और ई- टेंडङ्क्षरग प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। टेंडङ्क्षरग करके इन कंडम गाडिय़ों को आग बुझाने लायक बनाया जाएगा।
हाईलाइटर प्वाइंट : वर्ष 2018 के फायर सीजन एक अप्रैल से 30 जून के बीच फायर टेंडर का रूप देकर सूबे के 342 फायर स्टेशनों को भेजा जाना था
फायर सीजन में होते हैं साल के 45 फ सद अग्निकांड, फायर टेंडर और स्टाफ की कमी के कारण समय से नहीं बुझ पाती आग
राजधानी के चौक, आलमबाग, बीकेटी और पीजीआइ समेत अन्य फायर स्टेशनों में धूल और जंग खा रहीं फायर टेंडर की चेसिस।
जाम हैं इंजन, खराब हो चुकी बैट्री, पाइप और टूट चुकी है बॉडी भी
10-15 साल होती है एक दमकल की लाइफ
विशेषज्ञों के मुताबिक अग्निशमन विभाग में फायर टेंडर की लाइफ 10-15 साल होती है। क्योंकि गाडिय़ों इतना अधिक चलना और उनपर भार लदा होता है जिसके कारण इस समय सीमा के बाद वह खुद ब खुद चलने में दिक्कत करने लगती हैं।
क्या कहते हैं जिम्मेदार
डीजी फायर विश्वजीत महापात्रा ने बताया कि 'शासन के निर्देश पर फायर स्टेशनों में खड़ी 103 चेसिसों से फायर टेंडर बनवाने के लिए ई-टेंडङ्क्षरग प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। जल्द ही इन चेसिसों के फायर टेंडर बनवाकर इन गाडिय़ों को सूबे के सभी फायर स्टेशनों में भेजा जाएगा।