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यूपी में श्रम कानूनों से छूट के लिए अभी करना होगा इंतजार, राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजे गए छह विधेयक

नई औद्योगिक इकाइयों को कारखाना अधिनियम 1948 तथा उत्तर प्रदेश औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 के विभिन्न प्राविधानों से 1000 दिनों की छूट पाने के लिए अभी इंतजार करना होगा।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Fri, 11 Sep 2020 01:01 AM (IST)Updated: Fri, 11 Sep 2020 01:02 AM (IST)
यूपी में श्रम कानूनों से छूट के लिए अभी करना होगा इंतजार, राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजे गए छह विधेयक
यूपी में श्रम कानूनों से छूट के लिए अभी करना होगा इंतजार, राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजे गए छह विधेयक

लखनऊ, जेएनएन। नई औद्योगिक इकाइयों और कारखानों को कारखाना अधिनियम, 1948 तथा उत्तर प्रदेश औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 के विभिन्न प्राविधानों से 1000 दिनों की छूट पाने के लिए अभी और इंतजार करना होगा। इन श्रम कानूनों से नई इकाइयों को एक निश्चित अवधि तक छूट दिलाने के मकसद से मॉनसून सत्र में विधानमंडल से पारित कराये गए कारखाना (उत्तर प्रदेश संशोधन) विधेयक 2020 तथा उत्तर प्रदेश औद्योगिक विवाद (द्वितीय संशोधन) विधेयक 2020 समेत छह विधेयकों को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए केंद्र सरकार को भेजा गया है। इनमें से चार विधेयक केंद्रीय अधिनियमों में संशोधनों से संबंधित हैं, जबकि दो उप्र औद्योगिक विवाद अधिनियम में संशोधन से जुड़े हैं।

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उत्तर प्रदेश औद्योगिक विवाद अधिनियम (पूर्व में संयुक्त प्रांत औद्योगिक विवाद अधिनियम) को बनाने और लागू करने के लिए केंद्र सरकार की मंजूरी ली गई थी। लिहाजा केंद्रीय अधिनियमों की तरह इसमें भी संशोधन के लिए केंद्र की मंजूरी बाध्यकारी है। राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद राज्यपाल की अनुमति से यह विधेयक अधिनियम की शक्ल लेंगे।

उत्तर प्रदेश विधानमंडल के मॉनसून सत्र में दोनों सदनों से 27 विधेयक पारित कराये गए थे। इनके अलावा बजट सत्र में उच्च सदन में पारित न हो सके उत्तर प्रदेश लोक सेवा (आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण) अधिनियम, 2020 मॉनसून सत्र में विधान परिषद से पारित हुआ था। मॉनसून सत्र में पारित जो विधेयक केंद्र सरकार की मंजूरी के लिए भेजे गए हैं, उनमें कारखाना (उत्तर प्रदेश संशोधन) विधेयक 2020, उत्तर प्रदेश औद्योगिक विवाद (संशोधन) विधेयक 2020, उत्तर प्रदेश औद्योगिक विवाद (द्वितीय संशोधन) विधेयक 2020, भवन और अन्य सन्निर्माण कर्मकार (नियोजन तथा सेवा-शर्त विनियमन) (उत्तर प्रदेश संशोधन) विधेयक 2020, उत्तर प्रदेश सरकारी संपत्ति (प्रबंधन और निस्तारण) विधेयक 2020 तथा कारागार (उत्तर प्रदेश संशोधन) विधेयक 2020 शामिल हैं। शेष 22 विधेयक राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की मंजूरी मिलने के बाद सरकारी गजट में अधिसूचित कर दिये गए हैं।

राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजे गए बाकी चार विधेयकों में से एक उत्तर प्रदेश औद्योगिक विवाद (संशोधन) विधेयक 2020 है, जिसमें औद्योगिक विवादों के लिए एक साल की समयसीमा तय करने और 100 से कम कामगारों वाली औद्योगिक इकाइयों में बैठकी (ले ऑफ) को प्रतिबंधित करने के प्राविधान किये गए हैं। दूसरा, भवन और अन्य सन्निर्माण कर्मकार (नियोजन तथा सेवा-शर्त विनियमन) विधेयक 2020 है, जिसमें निर्माण क्षेत्र के श्रमिकों को आवासीय सुविधा के लिए अनुदान देने की व्यवस्था की गई है। कारागार में मोबाइल फोन और अन्य बेतार सुविधाओं के उपयोग के लिए दंड प्राविधानों को और कठोर बनाने के लिए कारागार (उत्तर प्रदेश संशोधन) विधेयक 2020 को पारित कराया गया है।

सरकारी अनुदानों/पट्टों पर नहीं लागू होगा संपत्ति अंतरण अधिनियम : केंद्र सरकार की ओर से सरकारी अनुदान अधिनियम, 1895 को निरस्त किये जाने के कारण सरकारी संपत्तियों के रखरखाव के लिए राज्य सरकार ने उत्तर प्रदेश सरकारी संपत्ति (प्रबंधन और निस्तारण) विधेयक 2020 को पारित कराया है। इस विधेयक में प्राविधान है कि सरकारी अनुदानों और पट्टों पर संपत्ति अंतरण अधिनियम, 1882 लागू नहीं होगा। संपत्ति अंतरण अधिनियम केंद्रीय अधिनियम है। लिहाजा इस विधेयक को भी राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए केंद्र सरकार को भेजा गया है।


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