गंगा ही नहीं गोमती को भी हरीतिमा की दरकार..अब कहा बनाएंगे रिवर फ्रंट
पौधरोपण के बजाय रिवर फ्रंट के लिए काट दिए गए पेड़। एनजीटी ने गंगा किनारे ग्रीन बेल्ट विकसित करने के दिए हैं आदेश।
लखनऊ [रूमा सिन्हा]। नदी और हरियाली एक दूसरे के पूरक हैं। इसीलिए नेशनल ग्रीन टिब्यूनल (एनजीटी) ने गंगा के किनारे ग्रीन बेल्ट विकसित करने के आदेश दिए हैं। उधर गोमती के किनारे हरियाली का टोटा है। रिवर फ्रंट के नाम पर नदी किनारे लगे पेड़ ही काट डाले गए। अरबों खर्च करने के बाद भी सच्चाई यह है कि गोमती को न ही प्रदूषण से निजात मिल सकी है और न ही उसका प्रवाह ही बढ़ सका है। दोनों तरफ बनाई गई दीवार से उसका भूजल स्नोतों से भी संबंध टूट चुका है। जिससे नदी ग्राउंड वाटर से रिचार्ज भी नहीं हो पा रही है। ऐसे में नदी किनारे हरीतिमा उसे जीवन दे सकती है। जहा तक गोमती के कैचमेंट की बात करें तो उद्गम स्थल माधोटाडा से शाहजहापुर के बीच नदी पर जबर्दस्त अतिक्रमण है। नदी की भूमि पर खेती हो रही है और कई जगह तो गोमती गायब सी हो गई है। नदी विशेषज्ञ डॉ. वेंकटेश दत्ता कहते हैं कि गोमती यात्र के दौरान वहा के किसान नदी की जमीन वापस करने को तैयार थे। प्रशासन चकबंदी रिकॉर्ड (जिसमें गोमती की जमीन ही गायब है) को दुरुस्त कर नदी की जमीन वापस करा दे तो जलधारा को राहत मिल सकती है। साथ ही नदी किनारे पूरे कैचमेंट में दोनों ओर पलाश, महुआ, सेमल, शीशम आदि का वृहद पौधरोपण किया जाए। इससे नदी को बड़ी राहत मिल जाएगी। वह कहते हैं कि एनजीटी ने गंगा के किनारे बिजनौर से इलाहाबाद के बीच वृहद पौधरोपण के जो आदेश दिए हैं, वह केवल गंगा के लिए ही नहीं बल्कि सभी नदियों के लिए कारगर साबित हो सकते हैं। फिर गोमती तो गंगा की सहायक नदी है। यदि राजधानी में ही गोमती किनारे नजर डालें तो हरियाली नदारद सी है। ऐसे में गोमती किनारे बाकायदा अभियान चलाकर पौधरोपण करने की जरूरत है।
जल निगम ने सिंचाई विभाग को लिखा पत्र
गोमती में शारदा सहायक से पानी छोड़े जाने के लिए जल निगम ने सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता को पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है कि कुकरैल में पानी छोड़ने के बजाय अपस्ट्रीम पर पानी छोड़ा जाए जिससे गोमती को बहाव मिले और प्रदूषण कम हो सके। बताते चलें कि कि सिंचाई विभाग रजौली रजबहा एस्केप से कुकरैल नाले में अतिरिक्त पानी छोड़ रहा है। जिससे कुकरैल नाले में क्षमता से अधिक पानी आ रहा है। जिसे यूं ही गोमती में बहाया जा रहा है। कुकरैल नाले की गंदगी के साथ गिर रहा शारदा का साफ पानी नदी को और गंदा कर रहा है। नदी का गंदा पानी और प्रदूषण बढ़ा रहा जलकुंभी
लखनऊ विवि की प्रो. अमिता कनौजिया बताती हैं कि गोमती में जहा-तहा जलकुंभी नजर आ रही हैं। दरअसल नदी में बहाव नहीं है। साथ ही प्रदूषण बहुत अधिक है। यह दोनों ही स्थितिया जलकुंभी के लिए उपयुक्त हैं। यही वजह है कि नदी में जलकुंभी पनप रही है।