यूपी में किसानों की पाठशाला भी ऑनलाइन, द मिलियन फार्मर्स स्कूल के डिजिटल संस्करण की तैयारी
उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही ने बताया कि किसान पाठशालाएं गांवों और खेतों तक उन्नत तकनीकी ज्ञान पहुंचा देने का सशक्त माध्यम बन गई हैं।
लखनऊ [अवनीश त्यागी]। कोरोना संक्रमण के कारण इस बार किसानों की पाठशाला में भी ऑनलाइन पढ़ाई होगी। गांवों में खरीफ फसलों के बारे में जानकारी देने व उनके प्रश्नों का उत्तर देने के लिए कृषि विभाग डिजिटल माध्यमों से किसान पाठशाला (द मिलियन फार्मर्स स्कूल) आयोजित करने की तैयारी में जुटा है। गांवों में स्मार्टफोन धारक किसानों को सूचीबद्ध कर वाट्सएप ग्रुप बनाए जा रहे हैं। यूं तो उत्तर प्रदेश में एक करोड़ वाट्सएप ग्रुप बनाने का लक्ष्य निर्धारित है परंतु 31 जुलाई तक दस लाख वाट्सएप समूह बना लिए जाएंगे। इन समूहों का मकसद शारीरिक दूरी का पालन करते हुए किसानों को खेती से संबंधित सूचनाएं व जानकारी मुहैया करवाना है। ग्राम स्तर पर तैयार किए जा रहे इन समूहों को ब्लॉक तथा ब्लॉक स्तर के समूहों को जिला स्तर पर जोड़ा जाएगा। जिला कृषि अधिकारी इनका संचालन व निगरानी करेंगे।
यूपी के कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही ने बताया कि किसान पाठशालाएं गांवों और खेतों तक उन्नत तकनीकी ज्ञान पहुंचा देने का सशक्त माध्यम बन गई हैं। इसका डिजिटल स्वरूप कामयाब होगा तो कृषि उत्थान की दिशा में क्रांतिकारी कदम होगा। सरकार इसे लेकर बेहद गंभीर है। कृषि निदेशक सौराज सिंह कहते हैं कि कोरोना काल में सामान्य तरीके से पाठशाला आयोजित करना संभव नहीं है। वहीं, कनेक्टिविटी व विद्युत आपूर्ति में बाधा के चलते वीडियो कांफ्रेंसिंग में भी समस्याएं हैं। ऐसे में सबसे सुलभ माध्यम वाट्सएप समूह ही है। इनमें पाठशाला की प्रशिक्षण सामग्री को आसानी से उपलब्ध करवाया जाएगा। वहीं, किसानों के सवालों के जवाब देने की जिम्मेदारी स्थानीय कृषि अधिकारी व कृषि विज्ञान केंद्रों के वैज्ञानिकों की होगी। खरीफ सीजन में किसान पाठशालाओं का यह प्रयोग सफल रहा तो इसको विस्तार दिया जाएगा।
किसान उत्पादक संगठन के गठन पर रहेगा जोर : आमतौर से न्याय पंचायत स्तर पर आयोजित पाठशालाओं में किसानों को नवीनतम शोध व जानकारी देने के साथ परंपरागत खेती के बारे में भी बताया जाता है। पाठशाला के 21 मंत्र होते हैं और पांच दिन अलग-अलग बिंदुओं पर इन पर चर्चा होती है। वर्ष 2019 में रबी सीजन में पाठशाला आयोजन के बाद अब खरीफ की बारी है। इसके लिए जरूरी प्रचार सामग्री इस बार पीडीएफ फाइल बनाकर प्रसारित की जाएगी। कर्मचारियों को प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।
क्या है किसान पाठशाला : उत्तर प्रदेश में वर्ष 2017-18 से किसान पाठशाला आयोजित की जा रही हैं। अब तक इसके पांच संस्करण पूरे हो चुके है। यह पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम दो सत्रों (रबी व खरीफ) में आयोजित किए जाते है। कृषि वैज्ञानिक व प्रशिक्षित कर्मचारी चौपाल, पंचायत भवन या सार्वजनिक स्थानों पर पाठशालाएं आयोजित करते हैं। प्रत्येक पाठशाला में 60 से 100 किसानों की उपस्थिति होती है। उनको कृषि, उद्यान, गन्ना, रेशम, विपणन, पशुपालन, मत्स्य व मधुमक्खी पालन जैसी गतिविधियों के बरे में नवीनतम जानकारी देने के साथ उनकी जिज्ञासा को भी शांत किया जाता है।