हिंदी में भी होगी इंजीनियरिंग की पढ़ाई, क्लासरूम टीचिंग कम प्रोजेक्ट बेस लर्निग पैटर्न पर होगा जोर
भोपाल के अटल बिहारी ¨हदूी विश्वविद्यालय में पहले से ही लागू है यह व्यवस्था। एआइसीटीई के मेंबर सेक्रेटरी ने साझा की जानकारी। शिक्षा में सुधार के लिए शिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण। अब मातृभाषा के बल पर पाठ्यक्रम में मिलेगी दक्षता
लखनऊ(जागरण संवाददाता)। भोपाल के अटल बिहारी ¨हदी विश्वविद्यालय की तर्ज पर इंजीनियरिंग पाठयक्रम को ¨हदी में भी शुरू किया जाएगा। ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआइसीटीई) ने इसे लेकर तैयारी शुरू कर दी है। मातृभाषा में पढ़ाई कर किसी भी पाठ्यक्रम में छात्र दक्षता हासिल कर सकते हैं। इसी मकसद से एआइसीटीई ने इस ओर कदम बढ़ाया है। शुरुआत हिंदी भाषी राज्यों से की जाएगी। शनिवार को गोमती नगर एक शैक्षिक संस्थान के वार्षिकोत्सव में पत्रकारों से बात करते हुए एआइसीटीई के मेंबर सेक्रेटरी आलोक प्रकाश मित्तल ने कहा कि एआइसीटीई का जोर गुणवत्तापरक शिक्षा पर है। उन्होंने तकनीक शिक्षकों में एजुकेशन मैकेनिज्म के अभाव को स्वीकार किया। इस कमी को दूर करने के लिए शिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। इंजीनियरिंग में 50 प्रतिशत सीटें खाली:
उन्होंने कहा कि गुणवत्ता परक शिक्षा का अभाव होने के कारण ही देश भर में 50 प्रतिशत से अधिक सीटें खाली हैं। उन्होंने बताया कि इंजीनियंरिग संस्थानों में करीब 37 लाख रिक्त सीटों के सापेक्ष महज 18 लाख सीटों पर ही दाखिले होंगे।
30 प्रतिशत से कम रहा ग्राफ तो बंद होगा कोर्स:
उन्होंने बताया कि लगातार तीन वर्ष तक 30 प्रतिशत से कम सीटों पर दाखिला होने पर संबंधित कॉलेज पर कार्रवाई की जाएगी। उस कोर्स को बंद किया जाएगा। इस नियम को इसी सत्र 2018-19 से लागू किया जाएगा। ऐसे करीब 800 कॉलेज चिन्हित भी किए जा चुके हैं।
क्लासरूम टीचिंग कम प्रोजेक्ट बेस शिक्षा पर जोर:
प्रो. आलोक प्रकाश ने कहा मौजूदा समय में इंटरनेट पर सभी जानकारी उपलब्ध है। जिसे आसानी से देखा जा सकता है। अब छात्रों के लिए सेल्फ स्टडी पर अधिक समय देना जरूरी है। इसके चलते वर्ष भर के 220 घटे शैक्षिक अवधि को कम कर 160 घटे किया जाएगा। शेष अवधि को प्रोजेक्ट बेस लर्निग पैटर्न के तहत रखा जाएगा।