Move to Jagran APP

शरीर के अंगों को नियंत्रित करने वाले CV जंक्शन से ट्यूमर हटाना आसान Lucknow News

दिमाग की नसों और स्पाइनल कार्ड को जोड़ता है यह हिस्सा। इससे ही संचालित होता है पूरा शरीर। खराबी से सुन्न होते हाथ-पांव फूलने लगती है सांस। बच्चों की बनावट को भी कर देता खराब।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Sat, 07 Sep 2019 10:11 AM (IST)Updated: Sat, 07 Sep 2019 10:11 AM (IST)
शरीर के अंगों को नियंत्रित करने वाले CV जंक्शन से ट्यूमर हटाना आसान Lucknow News
शरीर के अंगों को नियंत्रित करने वाले CV जंक्शन से ट्यूमर हटाना आसान Lucknow News

लखनऊ [कुमार संजय]। शरीर का कौन सा हिस्सा अहम है? बेहद अटपटा लगने वाला यह सवाल अक्सर चर्चा में आता है लेकिन, मेडिकल साइंस का जवाब दो टूक है...हर अंग। महत्व का स्तर भले कम-ज्यादा हो। खैर, बात फिलहाल उस अंग की, जो दिमाग और बाकी हिस्से को जोड़कर पूरे शरीर को नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभाता है। यानी कंट्रोल रूम कहलाता है। मेडिकल साइंस ने नाम दिया है-सीवी जंक्शन (क्रेनियल वर्टिब्रल जंक्शन), जिसमें और स्कल बेस में पनपने वाले ट्यूमर को एसजीपीजीआइ के डॉक्टरों ने थ्रीडी मल्टी वे एप्रोच से निकालने में महारत हासिल की है। दावा है, अब मरीजों की जिंदगी पर मंडराने वाले खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकेगा।

loksabha election banner

इस उपलब्धि पर संजय गांधी पीजीआइ में न्यूरो सर्जरी विभाग के प्रमुख प्रोफेसर संजय बिहारी बेहद खुश हैं। उनका कहना है, हमने शरीर पर कम जख्म बनाकर ट्यूमर निकालने के तरीके पर लंबे समय तक शोध किया था। आखिर में कामयाबी मिल ही गई। 

बता दें, प्रो. बिहारी के तीन सौ से अधिक शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं। इनमें सौ से अधिक सीवी जंक्शन एनॉमली, सीवी जंक्शन ट्यूमर और स्कल बेस ट्यूमर विषय पर ही हैं। यही कारण है, लंबे समय तक रिसर्च और गतिविधियों के लिए संस्थान के दीक्षा समारोह में राज्यपाल ने उन्हें प्रो. एसआर नायक अवॉर्ड से सम्मानित किया।

कैसे पाई कामयाबी, प्रो. बिहारी की जुबानी

प्रोफेसर बिहारी ने बताया कि सीवी (क्रेनियल वर्टिब्रल) जंक्शन में दो तरह की परेशानी होती है। पहली, बच्चों में जन्मजात बनावट की खराबी। दूसरी, बच्चों और बड़ों में ट्यूमर का बन जाना। चूंकि, सीवी जंक्शन शरीर का बेहद संवेदनशील स्थान है। मामूली चूक हमेशा के लिए मरीज को अपाहिज बना सकती है। इसीलिए ट्यूमर को सुरक्षित निकालने के लिए हमने मल्टी वे एप्रोच तकनीक विकसित की। इसके जरिए सीवी जंक्शन में ट्यूमर की लोकेशन ढूंढकर वहां तक पहुंचते हैं। नाक, मुंह, गर्दन के पीछे व साइड सहित शरीर के अन्य हिस्सों की पड़ताल कर उसे निकाला जाता है। उसके बाद जंक्शन पूरी तरह दुरुस्त हो जाता है। इसके अलावा एन्यूरिज्म, ब्रेन ट्यूमर की मिनिमल इनवेसिव सहित ब्रेन सर्जरी की अन्य तकनीक भी स्थापित की गईं।

शरीर का कंट्रोल रूम है सीवी जंक्शन

प्रो. बिहारी ने बताया कि सीवी जंक्शन शरीर का कंट्रोल रूम है। इससे ही श्वसन तंत्र, दिल, दिमाग, हाथ-पैर सबकुछ नियंत्रित होता है। यहां पर खून की नली के अलावा तंत्रिकाएं भी होती हैं। इन सभी को सुरक्षित रख ट्यूमर निकालना या जंक्शन रिपेयर करना होता है।

यह होती है दिक्कत 

सीवी जंक्शन में परेशानी होने पर हाथ-पैर में कमजोरी के अलावा सांस फूलने लगती है। समय पर इलाज न होने पर हाथ-पांव पूरी तरह सुन्न हो जाते हैं। धीरे-धीरे जीवन दूभर हो जाता है।

फोलिक एसिड की कमी से होती दिक्कत 

प्रो. सिंह के मुताबिक, गर्दन के भीतरी हिस्से पर रीढ़ (स्पाइनल कॉर्ड) और सिर (ब्रेन स्टेम) को जोडऩे वाले सीवी जंक्शन की जन्मजात बनावटी विकृति की परेशानी उत्तर प्रदेश व बिहार में दूसरे राज्यों के मुकाबले अधिक है। इस परेशानी के पीछे गर्भवती महिला में पोषण की कमी बड़ा कारण है। यह बीमारी सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग में अधिक पनपती है। यदि गर्भावस्था के दौरान फोलिक एसिड व पोषण प्रचुर मात्रा में दिया जाए तो राहत संभव है।

सब स्पेशियलिटी विशेषज्ञ तैयार करना बड़ी कामयाबी

प्रो. बिहारी ने कहा कि अब विशेषज्ञता में भी विशेषज्ञता का जमाना है। सब स्पेशियलिटी के रूप में प्रो. अवधेश जायसवाल इंडो स्कोपिक स्कल बेस, प्रो. अरुण कुमार श्रीवास्तव स्पाइन और बच्चों  में क्रैनियासिनोस्टोसिस, प्रो. अनंत मेहरोत्रा एपीलिप्सी, प्रो. जायस सरधारा लंबर स्पाइन और मिनिमल इनवेसिव सर्जरी, प्रो. कमलेश सिंह बैसवारा ट्रॉमा व वस्कुलर सर्जरी, प्रो. वेद प्रकाश मौर्य ट्रामा और स्टीरियोटेक्सी, प्रो. कुतंल दास ब्रेन ट्यूमर और पेरीफेरल नर्व, प्रो. पवन वर्मा मूवमेंट डिसऑर्डर पर सर्जरी शुरू करने जा रहे हैं। प्रो. अमित केशरी और प्रो. रवि शंकर ने न्यूरो ओटोलॉजी में विशेषज्ञता स्थापित की है। यह मेरी और मेरे विभाग की सबसे बड़ी उपलब्धि है।

उनकी उपलब्धियां

  • 7,500 से अधिक सर्जरी
  • 300 से अधिक शोध प्रकाशित
  • 07 किताब के अलावा सौ से अधिक बुक चैप्टर।

50 से अधिक अवॉर्ड व फेलोशिप मिले।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.