अब बोल और सुन सकेंगे मूक बधिर बच्चे, यूपी दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग कराएगा मुफ्त ऑपरेशन
तोतली आवाज में मम्मी-पापा सुनने का एहसास एक माता पिता ही कर सकते हैं लेकिन जब उसे कलेजे के टुकड़े के बारे में यह पता चलता है कि वह ताजिंदगी न तो बोल पाएगा और न ही सुन पाएगा। ऐसे में उस माता-पिता पर क्या बीतती होगी?
लखनऊ, [जितेंद्र उपाध्याय]। तोतली आवाज में मम्मी-पापा सुनने का एहसास एक माता पिता ही कर सकते हैं, लेकिन जब उसे कलेजे के टुकड़े के बारे में यह पता चलता है कि वह ताजिंदगी न तो बोल पाएगा और न ही सुन पाएगा। ऐसे में उस माता-पिता पर क्या बीतती होगी? उसके इस दर्द को बयां नहीं किया जा सकता। ऐसे माता पिता के लिए एक अच्छी खबर है।
आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के ऐसे बच्चों का दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग न केवल आपरेशन कराएगा बल्कि उनके पूरे इलाज का खर्चा भी वहन करेगा। इस महत्वाकांक्षी योजना का प्रदेश में लागू करने की तैयारियां पूरी हो गई हैं। पहले चरण में ऐसे 20 बच्चों का चयन भी किया जा चुका है। राजधानी में 10, वाराणसी में छह और कानपुर में चार बच्चों को आपरेशन (कॉक्लियर इंप्लांट सर्जरी) के लिए चुना गया है।
आर्थिक रूप से कमजोर परिवार को मिलेगा लाभः कॉक्लियर इंप्लांट सर्जरी के लिए ऐसे परिवारों का चयन किया जाएगा जिनकी वार्षिक आय ग्रामीण के लिए 86,460 रुपये और शहरी के लिए 1,12920 रुपये होगी। जिला दिव्यांगजन सशक्तीकरण अधिकारी अमित कुमार राय ने बताया कि पहले चरण में विभाग द्वारा संचालित विद्यालयों में पंजीकृत बच्चों का ही चयन किया गया है।
एक बच्चे पर खर्च होंगे छह लाखः कॉक्लियर इंप्लांट सर्जरी कराने के लिए एक बच्चे पर छह लाख रुपये का खर्च आएगा। दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग की ओर से बजट दे दिया गया है। उप निदेशक अनुपमा मौर्या ने बताया कि राजधानी में 10 बच्चों का आपरेशन होगा। एक बच्चे का आपरेशन एसजीपीआइ में सफलता पूर्वक किया गया है। शेष बच्चों के आपरेशन की प्रक्रिया चल रही है।
ऐसे मिलेगा लाभः ऐसे माता पिता जिनको अपने बच्चे का आपरेशन कराना हो वे दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग द्वारा जिले में संचालित मूक बधिर स्कूलों में उनका प्रवेश कराएं। निर्धारित आय प्रमाण पत्र के साथ आपरेशन के लिए आवेदन करना पड़ेगा। जिला दिव्यांगजन सशक्तीकरण अधिकारी की संस्तुति पर वरीयता सूची के आधार पर ही आपरेशन किया जाएगा। पंजीयन के समय बच्चे की उम्र ढाई साल से सात साल के बीच होनी चाहिए। इस उम्र के बच्चों का ही ऑपरेशन सफल होने की संभावना रहती है।
दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग के शल्य चिकित्सा योजना के तहत प्रदेश सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना का पायलट प्रोजेक्ट शुरू हो चुका है। 20 बच्चों के सफल ऑपरेशन के बाद अगले वित्तीय वर्ष में इसे विस्तार दिया जाएगा। प्रदेश सरकार की ओर से पहली बार शुरू की गई इस योजना से आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को लाभ मिलेगा। -केके वर्मा, जिला दिव्यांगजन सशक्तीकरण अधिकारी