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टेढ़े-मेढ़े दांत हैं तो न शर्माए, ज्यादा उम्र में भी अब हो सकते हैं ठीक

सर्जरी से लेकर लेजर और वायब्रेटर तकनीक से ठीक होते हैं दांत।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Mon, 28 Jan 2019 01:55 PM (IST)Updated: Tue, 29 Jan 2019 09:17 AM (IST)
टेढ़े-मेढ़े दांत हैं तो न शर्माए, ज्यादा उम्र में भी अब हो सकते हैं ठीक
टेढ़े-मेढ़े दांत हैं तो न शर्माए, ज्यादा उम्र में भी अब हो सकते हैं ठीक

लखनऊ, जेएनएन। टेढ़े-मेढ़े दांतों को ठीक करने के लिए अब सिर्फ ब्रेसेज ही नहीं बल्कि कई नई तकनीकें आ चुकी हैं। इन नई तकनीकों की मदद से दांतों को कम समय में सीधा कर सकते हैं। हालांकि किशोरावस्था के बाद दांतों की बनावट को ठीक करना मुश्किल होता है, पर सर्जरी से लेकर लेजर और वायब्रेटर आदि के माध्यम से दांतों की सुंदरता को फिर से पाया जा सकता है। केजीएमयू के आथरेडोंटिक्स विभाग के प्रो.अमित नागर बता रहे हैं ऐसी ही तकनीक के बारे में।

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सर्जिकल ट्रीटमेंट

इसमें मसूड़ा हटाए बिना हड्डी में छेद किया जाता है, दोबारा मसूड़ा बंदकर टांके लगा दिए जाते हैं। एक हफ्ते में दांतों की बनावट सही हो जाती है। साथ ही ब्रेसेज डाल दिए जाते हैं जिससे दांतों का मूवमेंट तेज हो जाता है।

लेजर और वायब्रेटर ट्रीटमेंट

लेजर ट्रीटमेंट में मसूड़े-दांतों और जड़ों की पोजिशन ठीक की जाती है। इसमें केवल एक सप्ताह में ही दांत सीधे किए जा सकते हैं। वहीं वायब्रेटर तकनीक में दांतों के आर्च के यू-शेप का वायब्रेटर डाला जाता है। तकरीबन 20 मिनट तक बैठना पड़ता है। इससे दांतों का मूवमेंट 30 से 50 प्रतिशत तक तेज हो जाता है।

पीआरबीसी ट्रीटमेंट

इस तकनीक में पीआरबीसी यानी प्लेटलेट्स रिच प्लाज्मा को सेंट्रीफ्यूज करके सुई की मदद से मसूड़ों में डाला जाता है। इससे दांतों का मूवमेंट तेज हो जाता है। बाद में इसमें ब्रेसेज लगा दिए जाते हैं। यह तकनीक अभी केजीएमयू में नहीं है।

इनविजिबल प्लेट

इनविजिबल प्लेट महंगी तकनीक है। यह पारदर्शी होती है। यह प्लेट ब्रेसेज की तरह दांतों पर लगा दी जाती है, जिसे सप्ताह भर में बदलना पड़ता है। यह प्लेट तीन से पांच लाख रुपये तक की होती है। यह तकनीक भी काफी कारगर है। केजीएमयू में भी इन सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं।

ब्रेसेज से लगता है दो से ढाई साल का समय

टेढ़े-मेढ़े या बाहर निकले हुए दांतों को ब्रेसेज लगाकर ठीक करने में दो से ढाई साल का समय लगता है। इसे ज्यादातर 11 से 15 साल की उम्र में लगाया जाता है। किशोरावस्था के बाद हड्डियों में कैल्सिफिकेशन हो जाता है जिससे वो सख्त हो जाती हैं। कई बार ध्यान न देने की वजह से भी दांत सही करने की उम्र निकल जाती है। इससे दांतों की बनावट ठीक करने में मुश्किलें आती हैं। ऐसे में सर्जरी से लेकर कई और तकनीक हैं जिनसे ज्यादा उम्र में कम समय में दांत सही किए जा सकते हैं।


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