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अब तीन लाख से अधिक आबादी वाले शहर भी बन सकेंगे नगर निगम

अब तीन लाख से अधिक आबादी वाले शहर भी नगर निगम बन सकेंगे। बशर्ते प्रस्तावित क्षेत्र की 75 फीसद से अधिक जनसंख्या का व्यवसाय गैर कृषि कार्य हो।

By Ashish MishraEdited By: Published: Sat, 07 Apr 2018 10:44 AM (IST)Updated: Sat, 07 Apr 2018 10:44 AM (IST)
अब तीन लाख से अधिक आबादी वाले शहर भी बन सकेंगे नगर निगम
अब तीन लाख से अधिक आबादी वाले शहर भी बन सकेंगे नगर निगम

लखनऊ (जेएनएन)। प्रदेश सरकार ने एक बार फिर नगर निगम व नगर पालिका परिषद के गठन के नए सिरे से मानक तय किए हैं। अब तीन लाख से अधिक आबादी वाले शहर भी नगर निगम बन सकेंगे। बशर्ते प्रस्तावित क्षेत्र की 75 फीसद से अधिक जनसंख्या का व्यवसाय गैर कृषि कार्य हो। प्रस्तावित क्षेत्र में सड़क यातायात का अच्छा नेटवर्क हो। वहीं, नगर पालिका परिषद के लिए आबादी का मानक दो से पांच लाख के बजाय घटाकर दो से तीन लाख कर दिया गया है।

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दरअसल, नगर पंचायत को नगर पालिका परिषद व पालिका परिषद को नगर निगम बनाने तथा मौजूदा नगरीय निकायों का सीमा विस्तार करने के संबंध में सन 1986 के शासनादेश के तहत मानक तय थे। पिछली सपा सरकार ने वर्षों पुराने मानकों को बदलते हुए वर्ष 2014 में नए सिरे से मानक तय किए थे। मौजूदा सरकार ने तेजी से बदलते शहरी परिदृश्य और नागरिकों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराए जाने के मद्देनजर एक बार फिर प्रथम श्रेणी की नगर पालिका परिषद के लिए तय मानकों में बदलाव करने का फैसला किया है। प्रमुख सचिव नगर विकास मनोज कुमार सिंह द्वारा इस संबंध में शासनादेश जारी किया गया है जो कि तत्काल प्रभाव से लागू भी हो गया है।

सरकार द्वारा अब तय किए गए मानक के मुताबिक प्रथम श्रेणी की नगर पालिका परिषद की स्थापना के लिए निर्धारित जनसंख्या के मानक को घटा दिया है। पहले दो से पांच लाख की आबादी वाले क्षेत्र को ही नगर पालिका परिषद बनाया जाता था। इसे घटाकर दो से तीन लाख की आबादी कर दी गई है। हालांकि, नगर पालिका परिषद बनने की शेष शर्तें यथावत रखी गई हैं।

वहीं, नगर निगमों के गठन में जो मानक तय किए गए हैं उनमें प्रस्तावित क्षेत्र में शहरीकरण के गुण, पुलिस थाना, व्यावसायिक केंद्र, विद्यालय एवं अन्य शिक्षण संस्थान, स्वास्थ्य केंद्र, बिजली व्यवस्था व विभिन्न बैंकों की शाखाएं होना प्रमुख हैं। डाकघर, सार्वजनिक शौचालय, परिवहन व्यवस्था आदि की भी स्थिति अच्छी होनी चाहिए। इन सभी बिंदुओं को शामिल करते हुए निकाय के बोर्ड से पारित प्रस्ताव या फिर मंडलायुक्त की संस्तुति सहित स्पष्ट प्रस्ताव सरकार को भेजा जाएगा।

प्रस्ताव में इन बिंदुओं का उल्लेख होगा जरूरी

-क्षेत्र की विगत जनगणना के अनुसार जनसंख्या

-जनसंख्या का घनत्व

-नगर निगम बनने के बाद आय में कितनी होगी वृद्धि

-पिछले तीन वर्षों की आय का ब्यौरा

-प्रस्तावित क्षेत्र में कौन-कौन से शहरी गुण विद्यमान हैं

-नगर निगम बनने से कौन-कौन सी मिलेंगी सुविधाएं

-प्रस्तावित नगर निगम में कितना पड़ता है कृषि क्षेत्र

-मानचित्र के अनुरूप ही सीमा निर्धारण के लिए सीमा रेखा से अंदर की ओर सटी हुई गाटा संख्याओं का दिशावार विवरण

शाहजहांपुर बनेगा सूबे का 17वां नगर निगम

शहरी निकायों के गठन संबंधी नए सिरे से तय किए गए मानक के साथ ही सूबे में कई नए नगर निगमों के गठन का रास्ता साफ हो गया है। सूत्रों के मुताबिक नए मानकों के साथ नगर विकास मंत्री सुरेश कुमार खन्ना के क्षेत्र शाहजहांपुर को जल्द ही राज्य सरकार नगर निगम बनाने जा रही है। 2011 की जनगणना के अनुसार शाहजहांपुर नगर पालिका परिषद क्षेत्र की आबादी तकरीबन सवा तीन लाख है।

नए मानकों के अनुसार तीन लाख से अधिक आबादी वाले शहर चूंकि नगर निगम बन सकते हैं इसलिए इस संबंध में जल्द ही प्रस्ताव कैबिनेट में रखने की तैयारी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में होने वाली कैबिनेट की बैठक में प्रस्ताव को हरी झंडी मिलते ही शाहजहांपुर सूबे का 17वां नगर निगम बन जाएगा। उल्लेखनीय है कि वर्तमान में राज्य में 16 नगर निगम हैं। मौजूदा सरकार में ही मथुरा-वृंदावन और अयोध्या-फैजाबाद नगर निगम बने हैं। 


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