World COPD Day 2019 : जवानी में हो रही बुढ़ापे की बीमारी, अस्थमा और सीओपीडी में करें पहचान
World COPD Day 2019 अस्थमा के मरीजों में हो रहा ओवर लैप सिंड्रोम 40-55 वर्षीय मरीजों में सीओपीडी बीमारी पाई जा रही।
लखनऊ, जेएनएन। उम्र की ढलान पर होने वाली बीमारी अब जवानी में हो रही है। लक्षणों में समानता की वजह से व्यक्ति अस्थमा का ही इलाज करा रहे हैं। मगर, ओवर लैप सिंड्रोम की हो रही समस्या से अब सतर्क रहना होगा।
वल्र्ड सीओपीडी डे बुधवार को है। ऐसे में पल्मोनरी क्रिटिकल केयर मेडिसिन में प्रेस कांफ्रेंस की गई। विभागाध्यक्ष डॉ. वेद प्रकाश के मुताबिक सीओपीडी (क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिसीज) को ओल्ड एज (बुढ़ापा) की बीमारी माना रहा है। यह बीमारी अधिकतर 60 वर्ष के मरीजों में पाई जाती है। वहीं अब इसके लक्षण 30-35 की उम्र से ही महसूस होने लगते हैं। साथ ही अस्थमा के 40-55 वर्षीय मरीजों में सीओपीडी बीमारी पाई जा रही है। यह समस्या ओवर लैप सिंड्रोम की वजह से हो रही हैं। उन्होंने कहा कि सीओपीडी मौत का तीसरा बड़ा कारण हो गई है। पहले डब्लूएचओ की लिस्ट में यह पांचवें नंबर पर थी।
-प्रोटीन की कमी से सीओपीडी
डॉ. वेद प्रकाश के मुताबिक दमा, वायुप्रदूषण के साथ-साथ एल्फा-वन एंटीट्रिप्सिन प्रोटीन भी सीओपीडी का कारण है। यह प्रोटीन लिवर में बनता है। मगर आनुवांशिक दिक्कतों के चलते जिन व्यक्तियों में यह प्रोटीन कम होता है। उनके फेफड़े की संरचना व कार्यक्षमता दोनों प्रभावित हो जाती हैं। इससे व्यक्ति कम उम्र में ही सीओपीडी की चपेट में आ जाता है। इस दौरान डॉ. अंकित ने बीमारी से बचाव के उपाय बताए।
-सीओपीडी के कारण व लक्षण
डॉ. वेद प्रकाश के मुताबिक सांस फूलना, बलगम आना, खांसी आना, छाती में जकडऩ, सीटी बजना सीओपीडी के प्रमुख लक्षण हैं। इसके कारण, धूमपान, तंबाकू का सेवन, प्रदूषण व बायोमास फ्यूल आदि हैं।
-प्रदूषण को कम करने पर करें फोकस
केजीएमयू के प्रवक्ता डॉ. संदीप तिवारी ने कहा कि प्रदूषण बड़ी समस्या बन गई है। इससे सांस संबंधी रोग बढ़ रहे हैं। खासकर, सीओपीडी मरीजों के लिए धूल-धुआं काफी घातक होता है। ऐसे में पब्लिक ट्रांसपोर्ट, व्हीकल शेयङ्क्षरग को बढ़ावा दिया जाए। प्रदूषण नियंत्रण के लिए अन्य ठोस उपाय किए जाएं।