गर्भ से ही चिड़चिड़े व जिद्दी हो रहे बच्चे
महाभारत में उल्लेख है कि अभिमन्यु ने मां सुभद्रा के गर्भ में चक्रव्यूह भेदना सीखा था। यह बदलते दौर में प्रासंगिक है, मगर अब तो कोख में बच्चे चिड़चिड़े और जिद्दी हो रहे हैं।
लखनऊ। महाभारत में उल्लेख है कि अभिमन्यु ने मां सुभद्रा के गर्भ में चक्रव्यूह भेदना सीखा था। यह बदलते दौर में प्रासंगिक है, मगर अब तो कोख में बच्चे चिड़चिड़े और जिद्दी हो रहे हैं।
आगरा में कल 59 वीं आल इंडिया कांग्रेस ऑफ ऑब्स्टे्रटिक एंड गायनकोलॉजी (आइकोग) में गर्भवती महिलाओं के आसपास के माहौल से शिशु में हो रही समस्याओं पर चर्चा की गई। आयोजन सचिव डॉ. जयदीप मल्होत्रा ने बताया जिस घर में ज्यादा क्लेश होता है, उन घरों में जन्म लेने वाले बच्चे चिड़चिड़े हो रहे हैं। यह सभी बच्चे ज्यादा रोते हैं। जिन घरों में खुशनुमा माहौल है, उन घरों के बच्चे खिलखिलाते रहते हैं। अब तो गर्भवती महिलाएं किस तरह के माहौल में रह रही हैं, इसका प्रभाव बच्चों पर पड़ रहा है। स्टडी में यह भी सामने आया है कि गर्भवती महिला और गर्भस्थ शिशु को 20 फीसद वंशानुगत और 80 फीसद माहौल से जुड़ी समस्याएं हो रही हैं।
20 फीसद महिलाओं के निकल रही दाढ़ी-मूंछ
बदलते खान-पान से पोलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस) हो रहा है। इसमें महिलाओं की दाढ़ी-मूंछ निकल रही है। 20 फीसद महिलाएं इससे पीडि़त हैं।
गर्भधारण से महिलाओं में मधुमेह
गर्भवती महिलाओं को 24 से 31 सप्ताह में मधुमेह (गेस्टेशनल डायबिटीज) हो रहा है। इसके चलते प्रसव के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव व गर्भस्थ शिशु की जान को खतरा रहता है। पैनल में मधुमेह रोग विशेषज्ञ डॉ. सुनील बंसल ने कहा कि 24 से 32 सप्ताह के बीच गर्भवती महिलाओं की शुगर की जांच करानी चाहिए।