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KGMU में शुरू हुई सुविधा, सेरेब्रल पाल्सी के इलाज में ऑपरेशन से मिलेगा छुटकारा Lucknow News

एम्स दिल्ली के बाद केजीएमयू में ऑपरेशन से होगा सेरेब्रल पॉल्‍सी का इलाज।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Sat, 17 Aug 2019 07:15 PM (IST)Updated: Sun, 18 Aug 2019 07:16 AM (IST)
KGMU में शुरू हुई सुविधा, सेरेब्रल पाल्सी के इलाज में ऑपरेशन से मिलेगा छुटकारा Lucknow News
KGMU में शुरू हुई सुविधा, सेरेब्रल पाल्सी के इलाज में ऑपरेशन से मिलेगा छुटकारा Lucknow News

लखनऊ [संदीप पांडेय]। शहर में अब सेरेब्रल पाल्सी का आधुनिक विधि से इलाज मुमकिन हो गया है। लिहाजा, पीडि़त बच्चों को ऑपरेशन के साथ-साथ दिल्ली की भागदौड़ से भी छुटकारा मिला। केजीएमयू के डॉक्टर ने इंजेक्शन की डोज देकरकई रोगियों को जन्मजात बीमारी से राहत दिलाई है। 

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केजीएमयू में पीडियाट्रिक आर्थोपेडिक विभाग प्रदेश का इकलौता विभाग है। माहभर पहले यहां 20 बेड का वार्ड शुरू किया गया है। भर्ती की सुविधा होने पर विभागाध्यक्ष डॉ. अजय सिंह ने सेरेब्रल पाल्सी का आधुनिक विधि से इलाज शुरू कर दिया है। यहां भर्ती बच्चों के हाथ-पैर की जकड़ी मांसपेशियों को इंजेक्शन की डोज से शिथिल किया। इसके बाद बच्चे के अंग में ब्रेस (लेदर या प्लास्टिक के उपकरण) लगा दिए।  डॉ. अजय सिंह के मुताबिक सरकारी संस्थानों में इंजेक्शन के जरिये सेरेब्रल पाल्सी के बच्चों के इलाज की सुविधा अभी तक दिल्ली एम्स में ही थी।

20 बच्चों को दी गई डोज

डॉ. अजय सिंह पहले आर्थोपेडिक विभाग में थे। यहां वह सेरेब्रल पाल्सी के बच्चों का इलाज ऑपरेशन के जरिये करते थे। इसमें जकड़ी मांसपेशियों की करेक्टिव सर्जरी कर ठीक करते थे। वहीं अब माहभर में 20 बच्चों का इंजेक्शन के जरिये इलाज किया गया। 

क्या है खास

  •  ऑपरेशन से होने वाला रक्त स्राव का झंझट खत्म
  •  पहले तीन सप्ताह का अस्पताल में स्टे, अब 24 घंटे में डिस्चार्ज
  •  ऑपरेशन से उपकरण लगाकर चार माह बेड रेस्ट, इंजेक्शन में तीन सप्ताह के अंदर ब्रेस निकाल दिए जाते हैं
  •  यह इंजेक्शन एक बैक्टीरिया से बना होता है। बोटोलियम टॉक्सिन नामक यह दवा चेहरे की झुर्रियां दूर करने में भी प्रयोग की जाती है 
  •  पांच से 16 वर्ष तक के बच्चों में इंजेक्शन कारगर। इसकी कीमत 15 हजार रुपये लगभग

 क्या है बीमारी

 सेरेब्रल पाल्सी (सीपी) जन्मजात बीमारी है। यह बच्चे के जन्म के दौरान शरीर में ऑक्सीजन की सुचारू रूप से आपूर्ति न होने से होती है। ऐसे में मानसिक  विकास के साथ-साथ बच्चे का शारीरिक विकास बाधित हो जाता है।


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