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अब डुबकी लगाना ही नहीं, गोमती किनारे टहलना भी खतरनाक Lucknow News

यूपी सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट कमेटी ने नदी में प्रदूषण बढऩे के लिए मुख्य सचिव से लेकर आला अधिकारियों तक को बताया जिम्मेदार।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Mon, 24 Jun 2019 01:33 PM (IST)Updated: Tue, 25 Jun 2019 09:25 AM (IST)
अब डुबकी लगाना ही नहीं, गोमती किनारे टहलना भी खतरनाक Lucknow News
अब डुबकी लगाना ही नहीं, गोमती किनारे टहलना भी खतरनाक Lucknow News

लखनऊ, जेएनएन। यूपी सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट कमेटी ने गोमती में प्रदूषण पर अब तक की सबसे सख्त टिप्पणी की है। उसने इसके लिए प्रदेश के मुख्य सचिव से लेकर आला अधिकारियों तक को जिम्मेदार ठहराया है। कमेटी ने गोमती में डुबकी लगाने से लेकर इसके किनारों पर टहलने तक से लोगों को परहेज करने की सलाह दी है। साथ ही नदी के 150 मीटर के दायरे में सभी निर्माण कार्य रोकने का आदेश देते हुए 11 जिलों के डीएम को नोटिस जारी किया है कि वे नदी को प्रदूषण से बचाने के लिए जरूरी इंतजाम करें। 

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प्रदेश सरकार से सौ करोड़ जमा कराने की सिफारिश
अनुपालन गारंटी के रूप में राज्य सरकार से 100 करोड़ रुपये जमा कराने के लिए एनजीटी से सिफारिश की गई है।   

कमेटी ने पेश की रिपोर्ट
कमेटी के सचिव एवं पूर्व जिला जज राजेंद्र सिंह ने सोमवार को बताया कि राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते सरकार के मुख्य सचिव और अन्य अधिकारी दायित्वों का निर्वहन करने में विफल रहे हैं। इस दौरान उन्होंने गोमती से संबंधित कमेटी की विस्तृत रिपोर्ट भी प्रस्तुत की है।

इन 11 जिलों के कलेक्टरों को नोटिस
कमेटी ने पीलीभीत, शाहजहांपुर, लखीमपुर खीरी, हरदोई, सीतापुर, लखनऊ, बाराबंकी, फैजाबाद, सुलतानपुर, प्रतापगढ़ और जौनपुर के जिलाधिकारियों को निर्देश जारी किया है कि वे गोमती को प्रदूषण से बचाने के लिए जरूरी इंतजाम करें।

नालों में लगाएं स्टील की जाली
निर्देश में यह भी कहा गया है कि जल निगम और अन्य माध्यमों से अपनी डीपीआर नमामि गंगा परियोजना के तहत भेजे, जिससे गोमती में गिरने वाले नालों के सीवेज को एसटीपी से उपचारित कर गोमती में गिराने की व्यवस्था की जा सके। इसके साथ ही नगर आयुक्तों को निर्देश दिया गया है कि जिला मजिस्ट्रेट और अधिशासी अधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि गोमती में कोई ठोस व जैव चिकित्सीय अपशिष्ट न जाए और सीधे गिरने वाले नालों को स्टील की जाली लगाकर इन्हें गिरने से पहले ही रोकें।  

कई सरकारी एजेंसियों पर 14 करोड़ रुपये का जुर्माना
कमेटी ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पर छह करोड़ चौरासी लाख 75 करोड़ रुपये, उप्र जल निगम पर तीन करोड़ रुपये, लखनऊ नगर निगम पर दो करोड़ रुपये और अन्य दस जिलों के नगर निकायों पर एक-एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है।

कमेटी की अन्य सिफारिशें

  • 11 जिलों के डीएम एसटीपी प्रोजेक्ट बनाने के लिए दो माह में डीपीआर बनाएं
  • एसटीपी बनाने के लिए नगर निगम और जल निगम जल्द डीपीआर दें
  • शारदा सहायक परियोजना से अतिरिक्त जल गोमती को मिले
  • नदी के किनारे से कूड़ा हटाएं और कूड़े के नए ढेर न लगने दें

ये भी जानें

  • साल 2018 में 1,02,026 लाख लीटर सीवेज नदी में
  • लखनऊ नगर निगम क्षेत्र की कुल आबादी है 34 लाख 75 हजार 212  
  • प्रति व्यक्ति हर दिन लगभग 192 लीटर सीवेज 
  • 2018 में लखनऊ में 2,46,375 लाख लीटर सीवेज 
  • एसटीपी आदि ने केवल 1,44,349 लाख लीटर सीवेज को साफ किया। 

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