भूजल प्रबंधन पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं, एनजीटी ने जताई नाराजगी
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने दिया 18 दिसंबर तक का समय, 28 सालों से आदेशों का अनुपालन न किए जाने से है नाराज।
लखनऊ (रूमा सिन्हा)। भूजल दोहन पर दो दशकों से दिए जा रहे सुप्रीम कोर्ट और खुद के आदेशों को नजरअंदाज किए जाने से एनजीटी नाराज है। एनजीटी ने केंद्रीय जल संसाधन मंत्रलय को फटकार लगाते हुए 18 दिसंबर तक देशभर में भूजल के प्रबंधन के साथ गैरकानूनी दोहन को रोकने के निर्देश दिए हैं।
बीती 12 नवंबर को विक्रांत तोंगड़ व अन्य की याचिकाओं पर केंद्र सरकार की ओर से दायर हलफनामे पर सुनवाई करते हुए जस्टिस आदर्श गोयल की पीठ ने भूजल प्रबंधन के इंतजाम कर पाने में विफल मंत्रलय को अल्टीमेटम दिया है। एनजीटी ने18 दिसंबर की सुनवाई में मंत्रलय व प्राधिकरण को फैसलों के अनुपालन का हलफनामा प्रस्तुत करने को कहा है। कहा है कि सभी 1287 अतिदोहित व क्रिटिकल क्षेत्रों को चिंहित किया जाए। इनमें 172 ब्लॉक यूपी के हैं।
इसलिए है नाराजगी
1996 में देश में भूजल संकट को भांपते हुए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर भूजल रेगुलेशन के लिए गठित केंद्रीय भूजल प्राधिकरण अपनी जिम्मेदारी निभाने में नाकाम रहा है। अधाधुंध दोहन से ग्रामीण इलाकों में भूजल स्तर 15 से 20 मीटर नीचे सरक गया है।
दोहन पर अंकुश नामुमकिन
जल संसाधन मंत्रलय के हलफनामा के मुताबिक दोहन का सर्वाधिक 90 फीसद हिस्सा (228 बीसीएम) सिंचाई में इस्तेमाल हो रहा है लेकिन, इस पर नियंत्रण के लिए मंत्रलय ने हाथ खड़े कर दिए हैं। पांच-पांच फीसद दोहन पेयजल व औद्योगिक क्षेत्र में हो रहा है। दोहन पर अंकुश के लिए तैयार की जा रही गाइड लाइन केवल औद्योगिक सेक्टर पर ही शिकंजा कसेगी।
निरंकुश भूजल दोहन
- भारत पूरे विश्व में भूजल दोहन में टॉप पर
- देश में भूजल दोहन की मात्र बीते 15 वर्षों में 20 फीसद बढ़ी
- वर्तमान में कुल उपलब्ध भूजल का 62 फीसद दोहन हो रहा है
- उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, हिमाचल प्रदेश में भूजल दोहन की दर सर्वाधिक
- प्रदेश में देश के कुल भूजल दोहन का 20 फीसद किया जा रहा है
- नेशनल ग्रीन टिब्यूनल ने दिया 18 दिसंबर तक का समय
- 28 वर्षो से आदेशों का अनुपालन न किए जाने से नाराज