बिना रजिस्ट्री कब्जा देने पर रोक, एक सप्ताह का अल्टीमेटम
- राजधानी के बिल्डरों की डीएम कौशलराज ने मीटिंग लेकर दी सख्त हिदायत - प्राविधानों का पा
जागरण संवाददाता, लखनऊ : राजधानी में बिना रजिस्ट्री कराए आवंटियों को कब्जा देने वाले बिल्डरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। जिलाधिकारी कौशलराज शर्मा ने बिना रजिस्ट्री संपत्ति पर कब्जा देने पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही बिल्डरों को एक सप्ताह का समय दिया है कि वे अपनी ऐसी संपत्तियों की रजिस्ट्री करवाएं, जिन पर वे कब्जा दे चुके हैं। इस आदेश को अमली जामा पहनाने के लिए डीएम ने एक कमेटी का गठन भी कर दिया है, जो मौके पर जाकर वास्तविकता को परखेगी। नियमों का पालन न करने वाले बिल्डरों के खिलाफ रेरा, अपार्टमेंट एक्ट और अन्य प्राविधानों के तहत मुकदमा दर्ज करवाया जाएगा।
डीएम ने शुक्रवार को कलेक्ट्रेट स्थित डॉ एपीजे अब्दुल कलाम सभागार में बिल्डरों की मीटिंग ली। उन्होने कहा कि स्टांप और निबंधन विभाग प्रदेश के राजस्व अर्जित करने वाले विभागों में से एक महत्वपूर्ण विभाग है। स्टांप राजस्व से प्राप्त धनराशि से ही राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाएं मूर्त रूप लेती हैं। मगर बिल्डर व रीयल एस्टेट से जुड़े कई लोग अपने प्रोजेक्ट में फ्लैट, भूखंड, भवन, दुकान बेच कर कब्जा देने के बावजूद रजिस्ट्री नहीं करवा रहे हैं। जो घोर आपत्तिजनक है। ये स्टाम्प एक्ट रजिस्ट्रेशन एक्ट उत्तरप्रदेश अपार्टमेंट अधिनियम 2010 और 2016 रेरा के प्राविधानों के प्रतिकूल है। बिल्डरों के इस कृत्य से न केवल आवंटियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है अपितु शासन को प्राप्त होने वाले राजस्व से भी वंचित होना पड़ रहा है। इसके लिए जिलाधिकारी ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिये कि वह किसी भी संपत्ति का कब्जा बिना रजिस्ट्री कराए न दें। जिलाधिकारी ने निर्देश दिये कि सभी संपत्तियों की रजिस्ट्री तत्काल प्रभाव से एक सप्ताह के अंदर कर ली जाए जिसका कब्जा दिया जा चुका है। साथ ही यह निर्देश दिया गया कि अगर शासनादेश का पालन नहीं किया जाएगा तो उनके विरुद्ध तुरंत कार्यवाही करते हुए मुकदमा दर्ज किया जाएगा। इसके लिए एक जांच टीम का भी गठन किया गया है, जो खुद जाकर प्रकरण की जाच करेगी और कब्जा देने वाले तथा कब्जा लेने वाले दोनों पक्षों पर कार्यवाही करेगी। पीआरएस इंफ्राटेक ने बेची अधिग्रहीत भूमि
मोहान रोड के एक पीड़ित कृष्णा नगर निवासी त्रिभुवन नारायण तिवारी बताते हैं कि, पीआरएस इंफ्राटेक नाम की कंपनी के अधिकारियों ने मोहान रोड के कलियाखेड़ा में सस्ती जमीन मासिक किस्तों पर देने का झांसा दिया था। पहले 10 हजार 200 रुपये लिये। इसके बाद में वे पांच हजार रुपये मासिक किस्त लेकर करीब 6.24 लाख रुपये उनसे ऐंठे। अब न तो जमीन दे रहे हैं और न ही उनकी धन वापसी हो रही है। पाश्र्र्वनाथ ने आधों को कब्जा नहीं दिया आधों को सुविधाएं
पार्श्वनाथ प्लैनेट में तो बिल्डर ने 500 में से 250 आवंटियों से पूरा पेमेंट लिया मगर आठ साल से फ्लैटों पर कब्जा नहीं दिया। यही नहीं जिनको कब्जा दिया, उनको सुविधाएं नहीं दीं। इसके साथ ही कंपनी के कई अन्य प्रोजेक्ट में रुपया तो जमा कर लिया गया मगर कब्जा नहीं दिया गया। इस वजह से अनेक मुकदमे दर्ज किये जा चुके हैं।