नौ जिलों में आयुष्मान योजना में इलाज के लिए नहीं आया कोई मरीज
उत्तर प्रदेश के नौ जिले ऐसे हैं, जहां आयुष्मान योजना शुरू होने के एक महीने बाद भी इलाज के लिए कोई मरीज नहीं पहुंचा है।
लखनऊ (अमित मिश्र)। उत्तर प्रदेश के नौ जिले ऐसे हैं, जहां आयुष्मान योजना शुरू होने के एक महीने बाद भी इलाज के लिए कोई मरीज नहीं पहुंचा है। योजना के लिए प्रदेश की सरकारी नोडल एजेंसी साचीज की सीइओ संगीता सिंह का दावा है कि इंतजाम पूरे होने के बावजूद यहां के गरीब मरीज दूसरे जिलों में जाकर इलाज करा रहे हैं। बलिया, बलरामपुर, बांदा, चित्रकूट, फतेहपुर, कासगंज, संभल, सिद्धार्थनगर व सोनभद्र के जिलाधिकारियों व संबंधित मंडलायुक्तों को अब स्टेट एजेंसी फॉर कॉम्प्रेहेंसिव हेल्थ एंड इंटीग्रेटेड सर्विसेज (साचीज) की ओर से पत्र भेजकर आयुष्मान के तहत इलाज शुरू कराने के निर्देश दिए जा रहे हैं।
ढूंढ़े नहीं मिल रहे आयुष्मान मित्र
23 सितंबर को शुरू हुई योजना केवल इन नौ में ही नहीं, प्रदेश के सभी जिलों में अब तक ठीक से खड़ी नहीं हो पाई है। यही वजह है योजना में शामिल अस्पतालों की संख्या तो 1190 पहुंच गई, जबकि इलाज केवल 722 लोगों को मिला है। कम से कम 468 अस्पतालों में अब तक योजना से एक भी मरीज का इलाज नहीं हुआ है, जबकि इसके दायरे में प्रदेश के छह करोड़ नागरिक शामिल हैं। केजीएमयू जैसे बड़े संस्थान में जब मरीजों को आयुष्मान मित्र ढूंढ़े नहीं मिल रहे तो अन्य सरकारी व निजी अस्पतालों का हाल अपने आप समझा जा सकता है। केजीएमयू में आयुष्मान मित्रों के तीन क्यॉस्क बनाने के निर्देश थे लेकिन, यहां अभी एक की ही तैनाती है। योजना में शामिल 780 निजी अस्पतालों के लिए भी अब तक केवल 680 आयुष्मान मित्रों की आइडी जेनरेट करने का अनुरोध किया गया है। इसमें भी कितने तैनात हुए, इसका ब्योरा साचीज के पास नहीं है।
सरकारी से तेज निजी अस्पताल
आयुष्मान योजना में जहां 410 सरकारी अस्पतालों के मुकाबले 780 निजी अस्पतालों ने अपनी अधिक भागीदारी दिखाई है तो अब तक उपचारित 722 मरीजों में से भी 567 का इलाज निजी अस्पतालों में हुआ है। इनमें से 121 मरीजों के लिए राज्य सरकार ने निजी अस्पतालों को 12.55 लाख रुपये के भुगतान की मंजूरी दे दी है लेकिन, निजी अस्पतालों की बिलिंग परखने वाला तंत्र अब तक प्रदेश में विकसित नहीं हुआ है। इसी तरह आयुष्मान के लिए प्रदेश में मजबूत हेल्पलाइन बनाने का दावा भी एक महीने में पूरा नहीं हो सका है।