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अयोध्‍या में पांच हेक्टेयर भूमि का कोई मालिक नहीं, अब तहसील में खंगाले जा रहे अभिलेख

रुदौली तहसील के मवई चौराहा से मवई कस्बा जाने वाली सड़क के किनारे की यह भूमि माजनपुर धनौली हुनहुना व अशरफ नगर समेत चार राजस्व गावों से जुड़ती है। अनुमानित कीमत लगभग 10 करोड़ आंकी जा रही है।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Wed, 22 Sep 2021 06:34 PM (IST)Updated: Thu, 23 Sep 2021 01:21 AM (IST)
अयोध्‍या में पांच हेक्टेयर भूमि का कोई मालिक नहीं, अब तहसील में खंगाले जा रहे अभिलेख
स्वामित्व का पता लगाने के लिए रुदौली तहसील में खंगाले जा रहे अभिलेख।

अयोध्‍या, [आनंदमोहन]। पांच हेक्टेयर भूमि का कोई मालिक नहीं, आप कहेंगे ऐसा संभव नहीं, पर यह सच है। यह जमीन राजस्व अभिलेखों में किसी के नाम दर्ज नहीं है। सरकारी भूमि की श्रेणी से बाहर व शत्रु संपत्ति भी नहीं है। रुदौली तहसील के मवई चौराहा से मवई कस्बा जाने वाली सड़क के किनारे की यह भूमि माजनपुर, धनौली, हुनहुना व अशरफनगर समेत चार राजस्व गावों से जुड़ती है। अनुमानित कीमत लगभग 10 करोड़ आंकी जा रही है। नक्शे में भी न होने से लेखपाल भी सरकारी व गैर सरकारी स्वामित्व न होने से हैरान हैं। स्वामित्व के लिए तहसील के अभिलेख खंगाले जा रहे हैं। पुरखों की बता कर संपूर्ण भूमि पर आसपास के ग्रामीणों का कब्जा है। माना जा रहा है कि चंकबंदी प्रक्रिया के दौरान बचत की यह भूमि राजस्व अभिलेखों में चढऩे से छूट गई। आसपास के ग्रामीण उसी के बाद उस भूमि पर काबिज हो गए।

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नायब तहसीलदार वीरेंद्र कुमार के अनुसार लगभग पांच हेक्टेयर बेनामी जमीन संज्ञान में आई है। हल्का लेखपाल व राजस्व निरीक्षक की रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। ये बेनामी भूमि चंदरोज पहले तब प्रकाश में आई जब हरिश्चंद्र पुत्र छेदीलाल द्वारा कराए जा रहे निर्माण की शिकायत राममिलन ने एसडीएम से की। निर्माण रुकवाने के लिए मौके पर लेखपाल को भेजा गया। दोनों भूमि से संबंधित कोई अभिलेख नहीं दिखा सके। वे सिर्फ पुरखों की भूमि बताते रहे। खतौनी की पड़ताल में भी लेखपाल को यह भूमि ही नहीं मिली। नक्शे में भी नहीं दर्ज थी। उसके बाद कई लेखपाल को लगाकर पैमाइश कराई गई।

पैमाइश कराने पर यह बेनामी निकली। तहसील अमला अब इसे पॉकेट लैंड बता रहा है। हल्का लेखपाल महेंद्र वर्मा ने बताया कि राजस्व निरीक्षक के साथ बेनामी भूमि की रिपोर्ट एसडीएम को भेजी जाएगी। नायब तहसीलदार के अनुसार राजस्व अधिनियम की धारा 105 के तहत बेनामी संपत्ति राज्य सरकार में निहित हो जाती है। जानकारों के अनुसार एसडीएम की रिपोर्ट मिलने के बाद जिलाधिकारी इसे राजस्व परिषद को संदर्भित करेंगे। संभवत: उसी के बाद संबंधित भूमि का स्वामित्व तय हो सकेगा।


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