लैब में उपकरण हैं नहीं लेकिन प्रैक्टिकल एग्जाम में पास होंगे सारे विद्यार्थी
प्रायोगिक परीक्षाओं के पहले दिन कई स्कूलों में नहीं पहुंचे परीक्षक, शिक्षा विभाग का हाल ऐसा है कि सबको पता है कैसे होंगे प्रैक्टिकल एग्जाम।
लखनऊ [पुलक त्रिपाठी] । सबको पता है कि यूपी बोर्ड से संचालित राजकीय, सहायता प्राप्त व निजी कॉलेजों में प्रायोगिक परीक्षाएं किस तरह कराई जाती हैं। बिना उपकरण स्कूलों में प्रयोगशालाएं धूल फांक रही हैं। शिक्षा विभाग द्वारा प्रैक्टिकल के लिए सिर्फ तारीख निर्धारित की जाती है। बिना उपकरण छात्र कैसे प्रैक्टिकल देंगे, इस ओर वर्षों से जिम्मेदारों ने निहारने उचित नहीं समझा।
प्रायोगिक परीक्षाओं में परीक्षकों की भूमिका व इस दौरान स्कूलों की ओर से उनके लिए तैयार इंतजाम भी किसी से छिपे नहीं। एक परीक्षक का दर्जनों स्कूल कई दिनों तक इंतजार करते हैं। जब मौका मिला महज चंद घंटों में प्रैक्टिकल करा डाला। साफ है सरकार से लेकर जिम्मेदार तक प्रयोगशालाओं में नहीं बच्चों के भविष्य से प्रयोग कर रहे हैं।
इटौंजा स्थित पंडित राम सेवक त्रिवेदी बालिका इंटर कॉलेज की प्रयोगशाला में विज्ञान किट और लैब नदारद है। जिससे छात्राएं प्रयोगात्मक ज्ञान से वंचित हैं। विज्ञान की पढ़ाई प्रयोगों से नहीं सिर्फ किताब तक सीमित है। यहां लैब के नाम से एक कमरा है। जिसमें एक मेज रखी हुई है। कमरा भी अक्सर बंद रहता है।
मलिहाबाद में संचालित राजकीय और निजी विद्यालयों के बच्चे लैब के अभाव में प्रयोगात्मक परीक्षा से वंचित हैं। जहां राजकीय बालिका इंटर कॉलेज मलिहाबाद में हाईस्कूल की विज्ञान विषय की छात्राएं लेकिन विद्यालय में लैब ही नही। जनता इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य अजीत सिंह ने बताया कि अभी विद्यालय में प्रैक्टिकल की डेट ही नहीं आई। प्रगतिशील जूनियर हाई स्कूल नई बस्ती धनेवा में एक कमरे में प्रैक्टिकल लैब बनी है।
यहां परीक्षकों का होता रहा इंतजार
शनिवार से प्रायोगिक परीक्षाएं होनी थी। इसके बावजूद लालबाग गल्र्स इंटर कॉलेज में परीक्षक नहीं पहुंचे। यहां पैरेंट्स टीचर मीटिंग होती रही। राजकीय बालिका इंटर कॉलेज इंदिरा नगर में भी प्रायोगिक परीक्षाओं की तिथि की जानकारी नहीं थी। इसके चलते विद्यालय में सन्नाटा पसरा था। क्वींस कॉलेज का हाल भी कुछ ऐसा ही रहा। प्रिंसिपल मनोज कुमार ने बताया कि किस तारीख में प्रायोगिक परीक्षा होगी, जानकारी नहीं है।
उपमुख्यमंत्री व माध्यमिक शिक्षा मंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने बताया कि महज एक वर्ष में सब कुछ परिवर्तित हो जाए, संभव नहीं है। स्कूलों की प्रयोगशालाओं की स्थिति सुधार के लिए इस बार बजट का इंतजाम किया जा रहा है। जल्द ही इस दिशा में भी अच्छे परिवर्तन दिखेंगे।