नीति आयोग ने बताईं किसानों की आय बढ़ाने के प्रयासों की कमियां
नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ.राजीव कुमार ने मंगलवार को राज्य सरकार को किसानों की आमदनी बढ़ाने के रास्ते में आड़े आ रहीं कमियां बताईं।
लखनऊ (जेएनएन)। उत्तर प्रदेश में विकास को गति देने के लिए बनाये गए एक्शन प्लान पर अब तक हुए अमल की समीक्षा करने के लिए आये नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ.राजीव कुमार ने मंगलवार को राज्य सरकार को किसानों की आमदनी बढ़ाने के रास्ते में आड़े आ रहीं कमियां बताईं। लोकभवन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई समीक्षा बैठक में उन्होंने यह कहते हुए राज्य सरकार को राहत दी कि बुंदेलखंड में पानी की समस्या को दूर करने के लिए नीति आयोग एक पैकेज देने पर विचार कर रहा है।
30 फीसद मामलों में किसानों को सही दाम नहीं
बैठक के दौरान नीति आयोग उपाध्यक्ष और उनके साथ आये आयोग के सदस्य व कृषि विशेषज्ञ प्रो.रमेश चंद ने मुख्यमंत्री को बताया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तो बढ़ा है लेकिन, प्रदेश में धान खरीद के 30 फीसद मामलों में किसानों को सही दाम नहीं मिल पा रहा है। इस पर ध्यान देने की जरूरत है। यह भी बताया कि मध्य प्रदेश और बिहार जैसे पड़ोसी राज्यों की तुलना में उप्र में पशुपालकों व किसानों को दूध बेचने पर उसकी कम कीमत मिलती है। उन्होंने इसके लिए डेयरी कोऑपरेटिव बनाने या दुग्ध बाजार में प्रतिस्पर्धा पैदा करने का सुझाव दिया। इस ओर भी सरकार का ध्यान आकर्षित किया कि उप्र में खेती की सिर्फ चार प्रतिशत जमीन ही फल-सब्जियां उगाने के लिए इस्तेमाल की जाती है। अनाज के मुकाबले फल-सब्जियों की खेती से मिलने वाले ज्यादा और त्वरित रिटर्न को देखते हुए उन्होंने फल-सब्जियों की खेती का दायरा बढ़ाने का सुझाव दिया। इस पर मुख्यमंत्री ने सूबे के चार कृषि विश्वविद्यालयों और कृषि विज्ञान केंद्रों को किसानों को फल-सब्जियों की खेती की ओर अग्रसर करने के प्रयास करने का निर्देश दिया।
बुंदेलखंड की जल समस्या से निपटने के लिए पैकेज
नीति आयोग उपाध्यक्ष ने बताया कि बुंदेलखंड की जल समस्या के समाधान के लिए पैकेज दिये जाने की बात चल रही हैै। यह पैकेज बुंदेलखंड के दायरे में आने वाले उप्र और मध्य प्रदेश के क्षेत्रों के लिए होगा। इसके तहत उप्र के महोबा और हमीरपुर में पायलट प्रोजेक्ट शुरू किये जाएंगे। इसके संचालन के लिए जैन संस्थान नामक संस्था का सहयोग लिया जाएगा, जिसने जल संकट से जूझने वाले महाराष्ट्र के विदर्भ आदि क्षेत्रों में अच्छा काम किया है। पेयजल की समस्या से निपटने के लिए नीति आयोग और उप्र सरकार मिलकर एक ज्वाइंट वर्किंग ग्रुप बनाएंगे। यह ग्रुप पानी की समस्या से निपटने के लिए वित्तीय संसाधन जुटाने पर भी विचार करेगा।
सीडीपीओ और डीपीओ के 50 फीसद पद खाली
नीति आयोग उपाध्यक्ष ने मुख्यमंत्री का ध्यान बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग में रिक्त पड़े सुपरवाइजरी कैडर के 50 फीसद पदों की ओर भी खींचा। पोषण तंत्र को सुधारने के लिए उन्होंने सीडीपीओ और डीपीओ के इन पदों को जल्दी भरने का सुझाव दिया। इस पर मुमंत्री ने इन पदों को उप्र लोक सेवा आयोग के जरिये भरने का निर्देश दिया। पुष्टाहार वितरण में फर्जी लाभार्थियों की समस्या से पार पाने के लिए नीति आयोग ने राज्य सरकार को लाभार्थियों का आधार नामांकन कराने का मशविरा दिया।
54000 आंगनबाड़ी केंद्रों को स्मार्टफोन जल्द
नीति आयोग उपाध्यक्ष ने बताया कि उप्र के 1.88 लाख आंगनबाड़ी केंद्रों में से 54000 केंद्रों को जल्द स्मार्टफोन मुहैया कराये जाएंगे। इससे यह केंद्र महिला एवं बाल विकास मंत्रालय से सीधे जुड़ जाएंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश के सिर्फ 29 प्रतिशत आंगनबाड़ी केंद्रों में बिजली की सुविधा है। राज्य सरकार को सलाह दी कि यदि बाकी आंगनबाड़ी केंद्रों को भी बिजली की सुविधा मुहैया करा दी जाए तो जिन स्कूलों में यह केंद्र संचालित हो रहे हैं, वे भी विद्युतीकरण से लाभान्वित होंगे।
एक किमी के दायरे में स्कूलों का हो विलय
डॉ.राजीव कुमार ने बताया कि उप्र के कुल 1.58 लाख परिषदीय स्कूलों में से बहुतेरे ऐसे हैं जिनमें बच्चों की संख्या कम या नगण्य हैं और शिक्षकों की कमी भी है। लिहाजा संसाधनों के बेहतर इस्तेमाल के लिए नीति आयोग ने राज्य सरकार को सुझाव दिया है कि एक किमी के दायरे में आने वाले परिषदीय स्कूलों का आपस में विलय किया जाए।
कृषि से जुड़े 17 में से 13 सुझावों पर अमल
नीति आयोग के सदस्य प्रो.रमेश चंद ने बताया कि आयोग ने उप्र सरकार को कृषि क्षेत्र से जुड़े 17 सुझाव दिये थे। राज्य सरकार इनमें से 15 पर अमल के लिए रजामंद हुई थी। 13 सुझावों पर राज्य सरकार गंभीरता से आगे बढ़ी, जबकि तीन-चार प्रस्तावों पर अपेक्षित प्रगति नहीं हो पायी। उन्होंने कहा कि सरकार ने संकर प्रजाति के बीजों के वितरण और नलकूपों को ज्यादा बिजली मुहैया कराने के साथ मंडी एकट में संशोधन किया है। केंद्र सरकार ने राज्यों को कांट्रैक्ट फार्मिंग का मॉडल एक्ट भेजा है। किसानों की आमदनी बढ़ाने में इन सबका असर आने वाले दिनों में दिखेगा। वहीं आयोग के उपाध्यक्ष ने बताया कि एक्शन प्लान पर राज्य सरकार की कार्यवाही से कमोबेश वह संतुष्ट हैं।
एक्शन प्लान में यह सेक्टर शामिल
पोषण, स्वास्थ्य, शिक्षा, ग्रामीण विकास, पेयजल व स्वच्छता, सिंचाई व जल संसाधन, कृषि और उद्योग।