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यूपी में निषादों को मिल जाता आरक्षण पर कांग्रेस ने ही डुबोई नैया, नदी यात्रा को समाज ने बताया दिखावा

प्रयागराज से नदी यात्रा शुरू कर चुकी कांग्रेस के सामने सवाल खड़ा हो रही है कि निषाद समाज को अधिकार दिलाने की पार्टी की मंशा है तो 2004 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के आरक्षण संबंधी प्रस्ताव को तब केंद्र में बैठी कांग्रेस सरकार ने क्यों मंजूर नहीं किया?

By Umesh TiwariEdited By: Published: Tue, 02 Mar 2021 12:55 PM (IST)Updated: Tue, 02 Mar 2021 12:57 PM (IST)
यूपी में निषादों को मिल जाता आरक्षण पर कांग्रेस ने ही डुबोई नैया, नदी यात्रा को समाज ने बताया दिखावा
निषाद समाज के लोगों ने कांग्रेस की प्रयागराज से शुरू की गई नदी यात्रा को दिखावा बताया है।

लखनऊ [जितेंद्र शर्मा]। उत्तर प्रदेश की राजनीति में तीन दशक से लगातार गोते खा रही कांग्रेस निषादों की 'टूटी नाव' में सवार हो गई है। यह वही नाव है, जिसे अब तक डुबोए रखने का असल कुसूरवार निषाद समाज के लोग कांग्रेस को ही मानते हैं। प्रयागराज से नदी यात्रा शुरू कर चुकी कांग्रेस के सामने सवाल हिलोरें मार रहा है कि यदि निषाद समाज को अधिकार दिलाने की पार्टी की मंशा है तो 2004 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के आरक्षण संबंधी प्रस्ताव को तब केंद्र में बैठी कांग्रेस सरकार ने क्यों मंजूर नहीं किया?

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प्रयागराज के बसवार में अवैध खनन को लेकर पुलिस ने कार्रवाई की। निषाद समाज के लोगों की कुछ नावें भी तोड़ दी गईं, जिसे भाजपा सरकार ने भी पुलिस की ज्यादती मानते हुए नावों की मरम्मत का वादा किया है। वहां पहुंचे तो समाजवादी पार्टी के नेता भी थे, लेकिन मुद्दे तलाश रही कांग्रेस ने इस घटना पर पूरे आंदोलन का ही तानाबाना बुन दिया। सोमवार को बसवार से नदी अधिकार यात्रा शुरू कर दी गई। राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका वाड्रा ने ही अपने दौरे में ऐलान किया था कि कांग्रेस निषादों के अधिकार के लिए नदी अधिकार यात्रा निकालेगी। माना जा रहा है कि इस आंदोलन के जरिए कांग्रेस पिछड़ों और अतिपिछड़ों के वोट बैंक को प्रभावित करना चाहती है।

राष्ट्रीय निषाद संघ के राष्ट्रीय सचिव चौ. लौटनराम निषाद का कहना है कि कांग्रेस घड़ियाली आंसू बहा रही है। संघ की मांग पर तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने 10 मार्च, 2004 को निषाद-मछुआ समुदाय की मल्लाह, केवट, मांझी, बिंद, चाईं, तियर, गोड़िया, धीमर, धीवर, तुरहा, कहार, कश्यप, रैकवार, बाथम आदि जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने का प्रस्ताव तत्कालीन केंद्र सरकार को भेजा था। भारत के महापंजीयक (आरजीआइ) कार्यालय द्वारा मांगने पर विस्तृत मानवशास्त्रीय अध्ययन रिपोर्ट, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान की सर्वे रिपोर्ट आदि भेजने पर भी मामला लटका ही रहा।

कांग्रेस अध्यक्ष ने रख दी थी चुनाव जिताने की शर्त : लौटनराम बताते हैं कि 29 जनवरी, 2009 को राष्ट्रीय निषाद संघ का एक प्रतिनिधिमंडल कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी रायबरेली के एनटीपीसी गेस्ट हाउस में मिला और आरक्षण संबंधी मांग-पत्र दिया। उन्होंने तब कोई निर्णय लेने के बजाए कह दिया कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की मदद कीजिए, फिर आरक्षण दिला देंगे। सरकार फिर बनी, लेकिन आरक्षण नहीं मिला। लौटनराम कहते हैं कि इस समाज की सबसे बड़ी मांग तो आरक्षण की ही रही है। वादा तो भाजपा ने भी किया था, लेकिन प्रदेश में सरकार बनने के बाद योगी सरकार भी भूल गई। वहीं, उत्तर प्रदेश पिछड़ा वर्ग वित्त विकास निगम के अध्यक्ष बाबूराम निषाद कहते हैं कि कांग्रेस कोरी राजनीति कर रही है। मोदी-योगी सरकार ने ही समाज को आवास, शौचालय, रसोई गैस सम्मान निधि जैसी सुविधाएं दी हैं।

कांग्रेस बोली, ये पुराना मुद्दा : कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू का कहना है कि सपा और भाजपा ने अपनी सरकारों में निषाद समाज से बालू खनन का अधिकार छीन लिया। सपा के खनन मंत्री जेल में हैं। वहीं, भाजपा ने गुजरात की कंपनियों को खनन सौंप दिया। कांग्रेस पिछड़ा वर्ग विभाग के प्रदेश अध्यक्ष मनोज यादव बोले कि कांग्रेस द्वारा आरक्षण न दिए जाने का मुद्दा बहुत पुराना है। भाजपा की सरकार केंद्र और राज्य में है, वही दे दे।


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