दिव्यांग ओबीसी वर्ग में कानपुर के नीलेश वर्मा अव्वल
जेईई एडवांस में शारीरिक दिव्यांग (ओबीसी वर्ग) की श्रेणी में नीलेश वर्मा ने अखिल भारतीय स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त किया है। बचपन से नीलेश वर्मा ने लिखने के लिए बाएं हाथ का सहारा लिया।
लखनऊ (जेएनएन)। नीलेश वर्मा ने जेईई एडवांस में शारीरिक दिव्यांग (ओबीसी वर्ग) की श्रेणी में अखिल भारतीय स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त कर शहर का नाम रोशन किया है। बचपन से नीलेश वर्मा ने लिखने के लिए बाएं हाथ का सहारा लिया। इसी सहारे को उन्होंने अपनी ताकत बनाई और अपने माता-पिता की इच्छा पूरी करने के साथ खुद के लिए आइआइटी के दरवाजे खोल दिए। ओंकारेश्वर सरस्वती विद्या निकेतन इंटर कालेज के छात्र रहे नीलेश एनसीईआरटी की राष्ट्रीय प्रतिभा परीक्षा व किशोर वैज्ञानिक प्रोत्साहन योजना में भी अपना परचम लहरा चुके हैं। दामोदर नगर निवासी नीलेश को प्रतिवर्ष 15 हजार रुपये की छात्रवृत्ति मिलती है। वैज्ञानिक बनने की ख्वाहिश रखने वाले नीलेश बताते हैं कि यह छात्रवृत्ति उच्च शिक्षा के दौरान 20 हजार हो जाएगी। आइआइटी कानपुर से कंप्यूटर साइंस से बीटेक की डिग्री प्राप्त करने के बाद वे शोध के क्षेत्र में जाएंगे। उनकी ख्वाहिश वैज्ञानिक बनकर देश को आधुनिक तकनीक देने की है जिससे तरक्की की राह आसान हो सके। नीलेश के पिता ओमप्रकाश वर्मा मध्य प्रदेश में एक प्राइवेट टेक्सटाइल मिल में काम करते हैं। वह अपनी सफलता का श्रेय प्रधानाचार्य राममिलन सिंह व गुरु महेश चौहान को देते हैं। उन्होंने 12वीं में 93.60 फीसद व 10वीं में 93.30 फीसद अंक प्राप्त किए थे।
पिता ने बढ़ाया हौसला, बन गए टॉपर
कानपुर में पहली व कानपुर परिक्षेत्र में छठवीं रैंक प्राप्त करने वाले प्रवरदीप सिंह कंप्यूटर के क्षेत्र में शोध करने की ख्वाहिश रखते हैं। जेईई एडवांस में 113वीं रैंक प्राप्त करने वाले प्रवरदीप सिंह की पहली पसंद आइआइटी कानपुर है। इन दिनों वे अपने माता पिता के साथ गर्मी की छुट्टियां बिताने अंडमान निकोबार गए हुए हैं। काकादेव में रहने वाले प्रवरदीप सिंह ने फोन पर बताया कि यह सफलता उनके गुरुओं के साथ पिता की देन है क्योंकि जब वे हताश हो जाते थे तो उनके पिता रणधीर सिंह हौसला बढ़ा आगे बढऩे के लिए प्रेरित करते थे। उनके पिता एलआईसी में असिस्टेंट एकाउंट ऑफिसर के पद पर कार्यरत हैं।