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NHRC ने UP के कन्नौज जिला अस्पताल मासूम की मौत पर मुख्य सचिव को नोटिस भेज मांगा जवाब

एनएचआरसी ने कन्नौज जिला अस्पताल में इलाज के अभाव में एक साल के मासूम बच्चे की मौत के मामले में यूपी के मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Thu, 02 Jul 2020 09:27 PM (IST)Updated: Thu, 02 Jul 2020 09:44 PM (IST)
NHRC ने UP के कन्नौज जिला अस्पताल मासूम की मौत पर मुख्य सचिव को नोटिस भेज मांगा जवाब
NHRC ने UP के कन्नौज जिला अस्पताल मासूम की मौत पर मुख्य सचिव को नोटिस भेज मांगा जवाब

लखनऊ, जेएनएन। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने कन्नौज जिला अस्पताल में इलाज के अभाव में एक साल के मासूम बच्चे की मौत के मामले में उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब तलब किया है। एनएचआरसी ने मीडिया रिपोर्ट का संज्ञान लेकर नोटिस जारी की है, जिसके अनुसार परिवार जब बच्चे को लेकर जिला अस्पताल कन्नौज पहुंचा तो चिकित्सकों ने उसे छूने से ही मना कर दिया था।

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राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की नोटिस में कहा गया है कि जिला अस्पताल कन्नौज के चिकित्सकों ने बुखार व गले में सूजन से पीड़ित बच्चे के इलाज में लापरवाही बरती। 45 मिनट तक इंतजार कराने के बाद परिवारीजन को बच्चे को इलाज के लिए कानपुर ले जाने को कहा गया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार परिवार जब बच्चे को लेकर जिला अस्पताल कन्नौज पहुंचा तो चिकित्सकों ने उसे छूने से ही मना कर दिया था। हालांकि डीएम व सीएमओ ने इस आरोप को नकार दिया था। उनके मुताबिक बच्चा गंभीर हालत में अस्पताल पहुंचा था। इससे पहले एक दंपती का वीडियो व फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी, जिसमें वे अपने बच्चे के शव से लिपटकर रोते नजर आए थे।

दरअसल कन्नौज जिला अस्पताल में बच्चे की मौत के बाद उसके पिता की बदवासी ने सभी को झकझोर दिया था। सदर कोतवाली के मिश्रीपुर गांव के एक साल के मासूम अनुज का शव लेकर फर्श पर लोटते उसके पिता प्रेमचंद की तस्वीर जिस किसी ने भी देखी उसकी आंखें नम हो आईं। बच्चे के पिता का यही कहना था कि इलाज करने में बरती गई लापरवाही ने उसकी खुशियां छीन लीं। हालांकि अस्पताल प्रशासन ने आरोपों को सिरे से यह कहकर नकार दिया था कि इलाज में किसी तरह की लापरवाही नहीं की गई है। बच्चे को भर्ती करके इलाज किया गया, लेकिन हालत नाजुक होने की वजह कर उसे बचाया नहीं जा सका।

इस पूरे मामले को संज्ञान में लेकर डीएम ने जांच टीम गठित कर दी थी। एसडीएम सदर शैलेश कुमार और मेडिकल अफसरों की टीम ने बारी-बारी से बच्चे के पिता प्रेमचंद, उसकी पत्नी के अलावा अस्पताल के डॉक्टरों से बयान लिया। जांच के बाद टीम का कहना है कि इलाज के दौरान किसी तरह की लापरवाही की बात सामने नहीं आई। एसडीएम शैलेश कुमार के मुताबिक खुद प्रेमचंद ने बताया कि उसका बच्चा पिछले कई दिनों से बीमार था। वह उसका गांव में ही इधर-उधर इलाज करवा रहा था। रविवार की शाम वह बच्चे को नाजुक हालत में लेकर जिला अस्पताल पहुंचा था, वहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।


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