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बायोमेडिकल वेस्ट निस्तारण पर NGT सख्त, कहा- ठोस कार्ययोजना न बनी तो 10 करोड़ की गारंटी जब्त

उप्र सरकार को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में देनी होगी गारंटी। महीने भर का मिला अल्टीमेटम ठोस कार्ययोजना न बनी तो जब्त होगी 10 करोड़ की गारंटी।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Fri, 15 Mar 2019 10:02 AM (IST)Updated: Sat, 16 Mar 2019 08:45 AM (IST)
बायोमेडिकल वेस्ट निस्तारण पर NGT सख्त, कहा- ठोस कार्ययोजना न बनी तो 10 करोड़ की गारंटी जब्त
बायोमेडिकल वेस्ट निस्तारण पर NGT सख्त, कहा- ठोस कार्ययोजना न बनी तो 10 करोड़ की गारंटी जब्त

लखनऊ, [रूमा सिन्हा]। बहुत हुआ। पर्यावरण की बर्बादी और जनस्वास्थ्य से खिलवाड़ अब बर्दाश्त नहीं होगा। 12 मार्च को जैव चिकित्सीय अपशिष्ट प्रबंधन अधिनियम, 2016 के मामले में शैलेश सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए नेशनल ग्रीन टिब्यूनल (एनजीटी) ने प्रदेश सरकार को खरी-खरी सुनाई। एनजीटी ने आदेश दिया कि जैव चिकित्सीय अपशिष्ट (बायोमेडिकल वेस्ट) के निस्तारण में विफल उत्तर प्रदेश सरकार एक हफ्ते के भीतर दस करोड़ रुपये की गारंटी राशि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास जमा कराए। साथ ही ये बताए कि उसने चिकित्सा अपशिष्ट के निस्तारण के लिए क्या ठोस कार्रवाई की। अगर इसमें एक माह के भीतर ठोस कार्रवाई नहीं की गई तो गारंटी के रूप में जमा दस करोड़ की राशि तो जब्त हो ही जाएगी, साथ ही एक मई के बाद से प्रति माह एक करोड़ की पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास जमा करनी होगी।

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45 फीसद संयंत्र नहीं कर रहे काम 

महालेखा नियंत्रक (कैग) की मई, 2017 की रिपोर्ट साफ दर्शाती है कि जैव चिकित्सीय कचरे के उपचार के लिए पर्याप्त इंतजाम कराने में उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पूरी तरह नाकाम रहा है। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के बजाय नोटिस दिया जाता है, जबकि कानून में दोषियों को कड़ी सजा देने का प्रावधान है।

सख्ती 

  • प्रदेश में 8, 366 हॉस्पिटल केयर फैसिलिटीज (एचसीएफ) हैं, जिनमें से 3,362 बिना अनुमति के चल रहे हैं। 
  • प्रदेश में हर दिन 37,498 किलो जैव चिकित्सीय अपशिष्ट उत्पन्न होता है। इसमें से 35,816 किलो को प्रतिदिन निस्तारित व उपचारित किया जाता है
  • पर्याप्त सुविधा न होने के कारण 1,682 किलो कचरा बगैर उपचार यूं ही पड़ा रहकर पर्यावरण के साथ-साथ जनस्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रहा है। 

 

..तो एक मई से हर माह देनी होगी एक करोड़ की क्षतिपूर्ति

एनजीटी ने सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेश को आदेश दिए हैं कि जैव चिकित्सीय अपशिष्ट अधिनियम को लागू करने के लिए 30 अप्रैल तक केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को एक्शन प्लान बनाकर सौंपें। इसमें विफल सरकारों को एक मई के बाद से हर माह एक करोड़ क्षतिपूर्ति देनी होगी।


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