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वेंटिलेटर के लिए अस्पतालों में भटकते रहे अभिभावक, गोद में मासूम ने तोड़ा दम Lucknow News

लखनऊ के अस्पतालों में दम तोड़ रही है वेंटिलेटर की व्यवस्था। गंभीर हालत में रानी लक्ष्मीबाई अस्पताल से ट्रॉमा सेंटर किया रेफर वेंटिलेटर न मिलने से हुई मौत।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Fri, 15 Nov 2019 07:51 AM (IST)Updated: Fri, 15 Nov 2019 07:51 AM (IST)
वेंटिलेटर के लिए अस्पतालों में भटकते रहे अभिभावक, गोद में मासूम ने तोड़ा दम Lucknow News
वेंटिलेटर के लिए अस्पतालों में भटकते रहे अभिभावक, गोद में मासूम ने तोड़ा दम Lucknow News

लखनऊ, जेएनएन। जन्म लेने के बाद मासूम को सांस लेने में तकलीफ होने लगी। ऐसे में रानी लक्ष्मीबाई अस्पताल से उसे ट्रॉमा सेंटर रेफर कर दिया गया। यहां उसे कई घंटे वेंटिलेटर नहीं मिल सका। परिवारीजन सरकारी अस्पतालों के चक्कर काटकर निजी अस्पताल पहुंचे। यहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।

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राजाजीपुरम निवासी प्रतिमा गर्भवती थी। उनका इलाज रानी लक्ष्मीबाई अस्पताल में चल रहा था। प्रसव पीड़ा होने पर पति अभय ने उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया। बुधवार को प्रतिमा ने बच्ची को जन्म दिया। बच्ची को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। ऐसे में गुरुवार को सुबह 10 बजे मासूम को ट्रॉमा सेंटर रेफर कर दिया। ऑक्सीजन सपोर्ट पर ट्रॉमा सेंटर 11 बजे पहुंची मासूम को लेकर परिवारीजन भटकते रहे।

पीआरओ से लेकर अधिकरियों तक से गुहार लगाई। मगर, वेंटिलेटर नहीं मिल सका। एक बजे एनआइसीयू फुल बताकर स्टाफ ने डफरिन अस्पताल ले जाने की सलाह दी। मगर, डफरिन में वेंटिलेटर नहीं था। ऐसे में परिवारीजन बच्ची को लेकर डालीगंज स्थित निजी अस्पताल पहुंचे। यहां डॉक्टरों ने बच्ची को एनआइसीयू में शिफ्ट किया। उसकी जांच की, तो धड़कन बंद मिली। ऐसे में बच्ची को मृत घोषित कर दिया। परिवारीजनों के मुताबिक ट्रॉमा सेंटर में दो घंटे तक दौड़ाया गया, यदि समय पर उपचार मिल जाता तो बच्ची की मौत नहीं होती।

-सिविल में बंद वेंटिलेटर

एक तरफ जहां वेंटिलेटर के अभाव में शिशुओं की मौत हो रही है। वहीं सिविल अस्पताल में दो वर्ष से वेंटिलेटर बंद रखे हैं। यहां दो करोड़ से अधिक बजट व आवश्यक स्टाफ भी दिया जा चुका है। मगर, कुछ उपकरणों की आपूर्ति न होने से यूनिट शुरू नहीं हो सकी।


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