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उत्तर प्रदेश में संकट में फंसे जल पर छाए उम्मीदों के बादल, राज्य में जल्द लागू होगी जल नीति

यूपी में जल शक्ति विभाग बनने के बाद योगी सरकार का जल संरक्षण पर लगातार। जल संसाधनों का सुरक्षित और बेहतर उपयोग करने के लिए नई जल नीति लागू की जा रही है। इससे जल प्रबंधन और संरक्षण की राह मिलेगी।

By Umesh Kumar TiwariEdited By: Published: Fri, 08 Jan 2021 08:00 AM (IST)Updated: Fri, 08 Jan 2021 05:18 PM (IST)
उत्तर प्रदेश में संकट में फंसे जल पर छाए उम्मीदों के बादल, राज्य में जल्द लागू होगी जल नीति
यूपी में संकट में फंसे जल पर उम्मीदों के बादल छाए हैं, जो 2021 में राहत बनकर बरस सकते हैं।

लखनऊ [अवनीश त्यागी]। गंगा-यमुना जैसी नदियों के मैदानी भूभाग वाला उत्तर प्रदेश विश्व में भूजल के धनी भंडारों में शामिल रहा है, लेकिन सिंचाई, पेयजल और औद्योगिक क्षेत्रों में भूजल के अंधाधुंध दोहन से हम बेफिक्र रहे। नीति-निर्धारक आंखें मूंदे रहे और जल संरक्षण के नारे नक्कारखाने में तूती की तरह गूंजते रह गए। खैर, हालात ने हलक सुखाए तो कसरत शुरू हुई। जल शक्ति विभाग बनने के बाद योगी सरकार का इस ओर लगातार जोर है और संकट में फंसे जल पर उम्मीदों के बादल छाए हैं, जो 2021 में राहत बनकर बरस सकते हैं।

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दरअसल, उत्तर प्रदेश में करीब 70 फीसद सिंचाई भूगर्भ जल पर निर्भर है। वहीं पेयजल के लिए 80 फीसद और 85 फीसद औद्योगिक जरूरतों की पूर्ति धरती के भीतर से निकले जल से हो रही है। ताजा अनुमान के अनुसार 287 ब्लाकों में प्रतिवर्ष भूजल स्तर में 20 सेंटीमीटर से अधिक गिरावट हो रही है। 77 ब्लाक में तो यह गिरावट आधा से एक मीटर तक पहुंच गयी है। औरैया, गौतमबुद्धनगर, कानपुर, गाजियाबाद व लखनऊ जैसे शहरों की स्थिति अधिक खतरनाक है, क्योंकि यहां भूजल स्तर में प्रतिवर्ष 77 सेमी से एक मीटर तक दर्ज की गिरावट दर्ज की गयी है।

पांच हजार पीजोमीटर प्रदेश में लगेंगे : मानव निर्मित इस खतरे से निपटने के लिए किए जा रहे प्रयासों को गति देने से वर्ष 2021 में उम्मीदों को पंख लगेंगे। जल संकट से आगाह करते रहने के लिए इस वर्ष करीब पांच हजार पीजोमीटर प्रदेश में लगाए जाएंगे, जिनके जरिये भूजल स्तर का मापन डिजिटल वाटर लेवल रिकार्डर से टेलीमेट्री के माध्यम से प्रत्येक 12 घंटे के अंतराल पर किया जा सकेगा। सटीक भूजल आकलन से योजनाओं को लागू करने में मदद मिलेगी।

औसतन करीब तीन मीटर गिरा भूजल स्तर : अतिदोहित क्षेत्रों में भूजल रिचार्ज की तुलना में 100 प्रतिशत से अधिक भूजल दोहन खतरे की घंटी है। केवल पेयजल योजनाओं से 630 शहरी क्षेत्रों में 5200 मिलियन लीटर तथा ग्रामीण क्षेत्रों में 7800 मिलियन लीटर भू जल दोहन प्रतिदिन हो रहा है। गत 20 वर्ष में प्रदेश का भूजल स्तर औसतन करीब तीन मीटर गिरना भविष्य के खतरे बता रहा है।

अटल भूजल योजना बनेगी वरदान : भारत सरकार के सहयोग से बुंदेलखंड व अन्य जल संकट वाले जिलों में अटल भूजल योजना वरदान सिद्ध होगी। प्रथम चरण में महोबा, झांसी, बांदा, हमीरपुर, चित्रकूट तथा ललितपुर के 20 ब्लाक तथा मुजफ्फरनगर, शामली, बागपत व मेरठ जिलों के छह ब्लाक को शामिल किया गया है। कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही के अनुसार ड्रिप व स्प्रिंकलर प्रणाली के लिए अनुदान राशि बढ़ाना भी प्रस्तावित है।

जल नीति से मिलेगी राह : प्रदेश में जल संसाधनों का सुरक्षित व बेहतर उपयोग करने के लिए नई जल नीति लागू की जा रही है। इससे जल प्रबंधन और संरक्षण की राह मिलेगी। इसके साथ उत्तर प्रदेश ग्राउंड वाटर मैनेजमेंट एंड रेगुलेशन अधिनियम-2019 भी जल संरक्षण में मददगार सिद्ध होगा।

औद्योगिक इकाइयों पर सख्ती : पानी का दुरुपयोग रोकने व वर्षा जल को व्यर्थ न जाने देने के लिए खेत तालाब जैसी योजना को प्रोत्साहित करने के साथ औद्योगिक इकाइयों द्वारा किए जा रहे अंधाधुंध भूजल दोहन को कड़ाई से कम किया जाएगा। जलशक्ति मंत्री डॉ. महेंद्र सिंह का कहना है कि वर्षा और नदियों के जल का अधिकतम उपयोग की कार्ययोजना तैयार की जा रही है।


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