Move to Jagran APP

अब हाईटेक होंगे पंडित जी, उप्र संस्‍कृत संस्थानम् कराएगा स्किल डेवलपमेंट कोर्स

लखनऊ में धीरे धीरे बदल रहा शादियों का ट्रेंड ऑनलाइन भी हो रही हैं शादी की रस्‍में। विवाह के ट्रेंड के साथ बदल रहे कर्मकांड।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Thu, 21 Nov 2019 10:21 AM (IST)Updated: Thu, 21 Nov 2019 07:10 PM (IST)
अब हाईटेक होंगे पंडित जी, उप्र संस्‍कृत संस्थानम् कराएगा स्किल डेवलपमेंट कोर्स
अब हाईटेक होंगे पंडित जी, उप्र संस्‍कृत संस्थानम् कराएगा स्किल डेवलपमेंट कोर्स

लखनऊ, जेएनएन। परंपरागत विवाह के ट्रेंड में आए बदलाव के साथ ही अब रस्मों में नया ट्रेंड दिखने लगा है। सात फेरे से पहले लैपटॉप लिए 'हाईटेक' पंडित जी एक क्लिक पर विवाह मुहूर्त निकाल रहे हैं। आप अपने फेरे के दिन बताइए और समय के साथ जन्म तिथि बताइए, बस पंडित जी चुटकियों में कुंडली का मिलान कर शुभ मुहूर्त निकाल देंगे। वर्तमान समय में ऐसे पंडितों की संख्या बढ़ती जा रही है। कंप्यूटर से ज्योतिषीय गणना का ट्रेंड बढ़ गया है। सरकार भी इसे लेकर संजीदा है। परंपरागत कर्मकांडी पंडितों के कौशल विकास की कवायद हो रही है। 

loksabha election banner

उप्र संस्कृत संस्थानम् की ओर से ऐसे ज्योतिषाचार्य, कर्मकांडी (पंडित) और योगाचार्यों का 'स्किल डेवलपमेंटÓ किया जाएगा। प्रशिक्षण के लिए हर जिले में ऐसे विशेषज्ञों की नियुक्ति भी होगी। इसके पीछे संस्कृत संस्थानम् का तर्क है कि समाज में कर्मकांड, ज्योतिष और योग के नाम पर लोग गुमराह न हों। कर्मकांड के बारे में ऐसे लोगों को जानकारी न होने से समाज में उनके प्रति असम्मान की भावना भी जागृत हो रही है। इसे दूर करने के लिए यह पहल की जा रही है।

ऐसे बढ़ेगा पंडितों का कौशल

हर जिले में कर्मकांड, ज्योतिष और योग तीनों विधाओं में पारंगत विशेषज्ञों (अनुदेशकों) की नियुक्ति की जाएगी। नियुक्ति के बाद एक अनुदेशक को हर दिन एक घंटे की क्लास लेनी होगी। सरकार की ओर से उन्हें निर्धारित मानदेय भी दिया जाएगा। हर विधा में 30-30 प्रशिक्षणार्थियों को ट्रेनिंग दी जाएगी। तीन महीने की निश्शुल्क ट्रेनिंग पूरी होने के बाद उप्र संस्कृत संस्थानम् के अध्यक्ष डॉ. वाचस्पति मिश्र ने बताया कि कर्मकांड, ज्योतिष और योग को लेकर समाज में फैली भ्रांतियों को दूर करने के लिए ट्रेनिंग दी जाएगी। प्रशिक्षण के लिए चयन प्रक्रिया चल रही है। 

समय के साथ बदलाव जरूरी

कर्मकांड कराने वाले पंडित और ज्योतिषाचार्य भी इस बदलाव को समय की मांग मान रहे हैं। पं. राधेश्याम शास्त्री का कहना है कि बदलाव तो जरूरी है, लेकिन तिथि और नक्षत्रों की गणना अभी भी पुराने तरीके से होती है। ज्योतिषाचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि कुंडली के साथ ही विवाह की तिथियों की गणना कंप्यूटर से हो रही है, लेकिन इसके लिए आपको व्यक्ति की जानकारी सही भरनी होती है। आचार्य शक्तिधर त्रिपाठी भी बदलाव को सही मानते हैं, लेकिन उनका कहना है कि मैनुअल गणना कभी गड़बड़ नहीं होती, कंप्यूटर से इसकी संभावना प्रबल रहती है। आचार्य जितेंद्र शास्त्री ने बताया कि शादी-विवाह में तो अब मंत्रोच्चारण के बजाय पंडित जी पहले से रिकॉर्ड मंत्र को बोलकर शादियां कराते हैं। 

अल्प अवधि के कोर्स भी हो रहे संचालित

गोमतीनगर के राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान में ज्योतिष व कर्मकांड के अल्पसमय के कोर्स भी संचालित हो रहे हैं। आचार्य डॉ.पवन दीक्षित ने बताया कि यहां कंप्यूटर के साथ ही नक्षत्र ज्ञान की आधुनिक मशीनों से निश्शुल्क प्रशिक्षण देकर पंडितों को आधुनिकता का ज्ञान दिया जा रहा है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.