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पांच सदी की सबसे बड़ी साध पूरी करके हुई सुबह पर नई नवेली लगी अयोध्या

Ayodhya Ram Mandir Verdict 2019 अंत भला तो सब भला बोलकर अयोध्या वासियों ने नई सुबह का किया स्वागत।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Sun, 10 Nov 2019 04:09 PM (IST)Updated: Sun, 10 Nov 2019 04:09 PM (IST)
पांच सदी की सबसे बड़ी साध पूरी करके हुई सुबह पर नई नवेली लगी अयोध्या
पांच सदी की सबसे बड़ी साध पूरी करके हुई सुबह पर नई नवेली लगी अयोध्या

अयोध्या [मुकेश पांडेय]। तिमिर चीर कर जैसे ही भगवान भास्कर आकाश में उजाला बिखेरते हैं, सरयू तट पर स्नान-ध्यान के लिए इकठ्ठा युवा और वृद्ध अंजुली में जल भर कर अर्घ्य देने लगते हैं। मानो वे देश के सबसे बड़े विवाद का निपटारा गौरवमयी ढंग से करने के लिए आभार जता रहे हों। ऐसा लग रहा था कि पांच सदी की सबसे बड़ी साध पूरी होने से सरयू झूम और इतरा रही हो।  

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सुप्रीम निर्णय के बाद पहली सुबह अयोध्या के साथ ही देश के लिए नई उम्मीद लेकर आई तो सरस सलिला सरयू में स्नान, आचमन, पूजन और दान के लिए बड़ी तादात में श्रद्धालु जमा हो गए। अध्र्य के बाद श्रावस्ती जिले के भिनगा से आए पंकज मिश्र ने यह कह कर अपने उद्गार बयां किए, अंत भला तो सब भला। उन्हीं के साथ आए बलरामपुर के योगेंद्रमणि त्रिपाठी ने तपाक से कहा, सबसे अच्छी बात फैसले को सभी पक्ष का आदर देना है। यही खड़े अयोध्या के प्राथमिक शिक्षक अभिषेक दुबे कहते हैं कि अब जल्द निर्माण शुरू हो। इससे अयोध्या की तकदीर भी संवर जाएगी। 

सरयू तट के सन्निकट मुलाकात होती है राममंदिर आंदोलन से जुड़े महंत मनमोहन दास से। वे यहां नित्य की भांति सरयू दर्शन के लिए आए थे। बातचीत के दौरान कहने लगे कि घटना का इतिहास कहते, सुनते और साक्षी बनते जीवन गुजरने को है। प्रसन्नता के इन पलों को शब्दों में पिरोना आसान नहीं...। वे कहते हैं कि जब इस वक्त अवर्णनीय अपार खुशी मिल रही है तो भगवान राम जब वनवास से लौटे होंगे तो निश्चित ही अयोध्यावासियों के लिए खुशी का ठिकाना नहीं रहा होगा। 

घाट के निकट चाय की दुकान पर बैठे साकेत महाविद्यालयछात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष अभिषेक मिश्र अपने साथियों काशीराम रावत, विमल मौर्य, बब्लू यादव, रोहित मिश्र के साथ वार्ता में मशगूल थे। आपसी बातचीत में अभिषेक सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर यूं खुशी जताते हैं कि हमारी संस्कृति, हमारा संस्कार और विरासत ऐसी है, जो हर परिस्थिति में ²ढ़ रखती है। देखो, कहीं अशांति नहीं है। हर कोई फैसले के साथ खड़ा है। मुस्लिम समाज भी काफी हद तक इस निर्णय को आत्मसात कर चुका है। वे साकेतवासी महंत रामचंद्रदास परमहंस, अशोक ङ्क्षसहल जैसे दिग्गजों को भी याद करते हैं। उनके अन्य साथी भी उनकी बात का समर्थन यह कहकर करते हैं कि वर्षों का इंतजार खत्म हुआ है। इसलिए हमें इस क्षण को जिम्मेदारी से स्वीकारना चाहिए।


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