यूपी में नगर निगमों तथा विकास प्राधिकरणों का एक ही होगा मुखिया
नगरों की साफ-सफाई, अवैध निर्माण, अतिक्रमण पर अंकुश व शहरों के सुनियोजित व समन्वित विकास के लिए नगर निगम व विकास प्राधिकरण हैैं।
लखनऊ (जेएनएन)। उत्तर प्रदेश में शहरों के सुनियोजित और समन्वित विकास के मद्देनजर नगर निगमों और विकास प्राधिकरणों का दायित्व एक ही अफसर को सौंपने की तैयारी है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने सूबे में नगर आयुक्त व प्राधिकरण उपाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी एक ही को देने के निर्देश ने दिए हैैं।
केंद्र सरकार में पहले से ही आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय दोनों काम देख रहा है। नीति आयोग ने भी विभागों के पुनर्गठन के बारे में राज्य सरकार को सुझाव दे रखा है। दरअसल, नगरों की साफ-सफाई, अवैध निर्माण, अतिक्रमण पर अंकुश व शहरों के सुनियोजित व समन्वित विकास के लिए नगर निगम व विकास प्राधिकरण हैैं। इसमें किसी तरह की गड़बड़ी पर दोनों ही विभाग एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहराने में देर नहीं करते। ऐसे ही मामले सामने आने के बाद मुख्यमंत्री ने नाराजगी जताते हुए सोमवार को एक बैठक में निर्देश दिया कि नगर निगमों में तैैनात नगर आयुक्तों व विकास प्राधिकरणों के उपाध्यक्षों की जिम्मेदारी एक ही व्यक्ति में निहित किया जाए।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का मानना है कि ऐसा होने पर निर्णय लेने में आसानी होगी। सफाई व विकास संबंधी सभी कार्य सुचारु रूप से किए जा सकेंगे। बैठक में मुख्य सचिव डॉ. अनूप चंद्र पाण्डेय, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव एसपी गोयल सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
उल्लेखनीय है कि तकरीबन तीन दशक पहले नगर निगमों व विकास प्राधिकरणों के लिए शासन स्तर पर अलग-अलग विभाग बनाया गया था। चूंकि तब नगर निगमों का निर्वाचित सदन नहीं होता था इसलिए एक वरिष्ठ आइएएस ही प्रशासक की भूमिका में विकास प्राधिकरण व नगर निगम की कमान संभालता था। निर्वाचित सदन होने के बाद से नगर निगम में मुख्य नगर अधिकारी (वर्तमान में नगर आयुक्त) और विकास प्राधिकरण में उपाध्यक्ष तैनात किए जा रहे हैैं। गौर करने की बात यह है कि ज्यादातर समय दोनों विभागों के एक ही मंत्री रहे हैं। दोनों विभाग के मंत्री रहते लालजी टंडन ने तो शासन स्तर पर आवास एवं शहरी नियोजन आयुक्त बनाया था लेकिन, यह व्यवस्था बाद में खत्म हो गई।