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नई शिक्षा नीति 2020: यूपी के विश्वविद्यालयों में बदलेगी छात्र मूल्यांकन प्रणाली, सुझाई गईं ये छह विधियां

New education policy उत्तर प्रदेश के राज्य और निजी विश्वविद्यालयों में छात्र मूल्यांकन प्रणाली बदलेगी। यह बदलाव नई शिक्षा नीति 2020 के तहत होना है। शासन ने विश्वविद्यालयों के कुलसचिवों को छात्र मूल्यांकन की छह विधियां भी सुझाई हैं।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Sat, 28 Aug 2021 06:00 AM (IST)Updated: Sat, 28 Aug 2021 11:01 AM (IST)
नई शिक्षा नीति 2020: यूपी के विश्वविद्यालयों में बदलेगी छात्र मूल्यांकन प्रणाली, सुझाई गईं ये छह विधियां
उत्तर प्रदेश के राज्य और निजी विश्वविद्यालयों में छात्र मूल्यांकन प्रणाली बदलेगी।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। उत्तर प्रदेश के राज्य और निजी विश्वविद्यालयों में छात्र मूल्यांकन प्रणाली बदलेगी। यह बदलाव नई शिक्षा नीति 2020 के तहत होना है। शासन ने विश्वविद्यालयों के कुलसचिवों को छात्र मूल्यांकन की छह विधियां भी सुझाई हैं। इन्हीं के अनुरूप मूल्यांकन के मानक, उनका वेटेज और प्रक्रिया तय की जानी है। निर्देश है कि एकेडमिक व एक्जीक्यूटिव काउंसिल में चर्चा करके जल्द मूल्यांकन प्रणाली तय की जाए।

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उच्च शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए छात्रों का समयबद्ध व सतत मूल्यांकन जरूरी है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भी इस ओर विशेष जोर दिया गया है। इसीलिए यूपी के राज्य व निजी विश्वविद्यालयों में छात्रों की मूल्यांकन की प्रणाली तय होने जा रही है। शासन ने छह सांकेतिक सिद्धांत विश्वविद्यालयों को भेजे हैं, ताकि उन्हीं के अनुरूप छात्र मूल्यांकन की विधियां बनाई जा सकें। किस मानक को कितना वेटेज दिया जाना चाहिए और छात्रों का आकलन करने के लिए क्या प्रक्रिया बनाई जानी चाहिए, ऐसे बिंदुओं का जल्द समाधान करने के भी निर्देश दिए गए हैं। अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा मोनिका एस गर्ग ने कुलसचिवों व उच्च शिक्षा निदेशक को सुझाया है कि विश्वविद्यालय छह मानकों पर मूल्यांकन कर सकते हैं।

  • यह हैं छह मानक
  • 1. शैक्षणिक मूल्यांकन
  • 2. कौशल मूल्यांकन
  • 3. शारीरिक मूल्यांकन
  • 4. व्यक्तित्व मूल्याकंन
  • 5. बहिर्मुखी मूल्यांकन
  • 6. स्वमूल्यांकन

प्रक्रिया भी तय : शासन ने शैक्षणिक मूल्यांकन को दो हिस्सों सतत आंतरिक व बाहरी मूल्यांकन में बांटा है। आंतरिक मूल्यांकन में शैक्षणिक गतिविधियों से संबंधित कार्य कराए जाएंगे। जैसे, प्रोजेक्ट, सेमिनार, रोल प्ले, क्विज आदि। राष्ट्रीय पर्वों व अन्य महत्वपूर्ण दिवसों पर सामाजिक कार्यों में सहभागिता को शामिल किया जा सकता है। बाहरी मूल्यांकन परीक्षा के माध्यम से हो सकता है। कौशल मूल्यांकन में प्रशिक्षण का महत्व है। इसमें संबंधित कार्य में 60 प्रतिशत व परीक्षा में 40 फीसद के आधार पर मूल्यांकन किया जा सकता है। इसे भी दो भागों में बांटा गया है। व्यक्तित्व मूल्यांकन भाषा, साफ्ट स्किल व खास मौकों पर प्रतियोगिता से होगा। इसी तरह शारीरिक मूल्यांकन खेल, योग, स्वास्थ्य परीक्षण व मनोवैज्ञानिक क्षमता से होगी, जबकि बहिर्मुखी मूल्यांकन के लिए छात्रों को एक्स्ट्रा करिकुलर गतिविधियों में प्रोत्साहित कर इसके परिणाम को अंकपत्र में शामिल करने को कहा गया है। स्वमूल्यांकन में छात्रों का आत्मबल बढ़ाने का प्रयास होना चाहिए। यानी छात्र स्वेच्छा से जब कोई ई-कंटेट पढ़ता है तो उसे चार-पांच सवालों का जवाब देना होगा, तब वह अगला चैप्टर पढ़ सकता है।


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