Dainik Jagran Samvadi 2019 : पल्लवित होने को हैं साहित्य के नवांकुर संवादी
सृजन के मंच पर नए रचनाकारों ने सुनाईं अपनी रचनाएं। श्रोताओं सहित प्रकाशकों की भी मिली सराहना।
लखनऊ, जेएनएन। नए रचनाकारों को अवसर मुहैया करने के मकसद से शुक्रवार को संवादी के आगाज से पहले 'सृजन' का मंच सजा। इनकी कल्पनाशीलता की उड़ान और लेखन के कसाव ने एक बार भी यह अहसास नहीं होने दिया कि ये साहित्य के नवांकुर हैं। गोमतीनगर स्थित बीएनए प्रेक्षागृह में चयनित रचनाकारों को मंच पर बुलाया गया और उन्होंने अपनी-अपनी रचना के अंश पढ़े। उनकी रचनात्मकता को न सिर्फ श्रोताओं का प्यार मिला, बल्कि प्रकाशकों व साहित्यकारों ने भी उनकी प्रशंसा की।
सृजन, प्रकाशन और प्रकाशक के बीच की संवादहीनता को कम करने का ही एक प्रयास है 'सृजन'। साहित्य में जो पाठक कुछ नया पढऩा चाहते हैं, उनके लिए सृजन का मंच नई उम्मीदें लेकर आया। यह दैनिक जागरण का एक ऐसा उपक्रम था, जहां उन रचनाकारों की खोज की गई जिन्हें पहले कभी प्रकाशित होने का अवसर नहीं मिला। 611 रचनाकारों में से 9 चयनित हुए, जिन्होंने सृजन की परिणति कॉपीराइट बाजार के मंच पर अपनी रचनाएं श्रोताओं और प्रकाशकों के सामने रखीं।
सबसे पहले गोरखपुर के अभीष्ठ देव पांडेय ने अपनी व्यंग्य रचनाओं के बारे में बताया। एक भूत का इंटरव्यू, अखबार का महत्व, अधर्म की स्थापना हो जैसे तमाम व्यंग्य लेखों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि अमूमन विचार रखने के दौरान हम किसी न किसी विचारधारा की ओर झुक जाते हैं। मेरा प्रयास है कि मैं अपने लेखन में निष्पक्ष रह सकूं।
गोरखपुर की दीप्ति पांडेय ने ताली, पेशावर आदि कहानियों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि मुझ जैसे नवागंतुक को जागरण ने यह मंच दिया, यही मेरे लिए बहुत है। मेरी रचनाएं यदि प्रकाशन के लिए चयनित नहीं भी होती हैं तो मुझे कोई दुख नहीं होगा।
जबलपुर की सुषमा रावत ने वो पतंगवाला लड़का, बायोस्कोप, सुभद्रा जैसी कहानियों के बारे में बताया। नितांत जमीनी पात्रों को लेकर बुनी हुई कहानियों के बारे में उनके मेंटर पृथ्वीनाथ पांडेय ने कहा कि शिल्प शिथिल होने के बावजूद सुषमा का कथानक काफी मजबूत था। उनकी कहानियों में चरित्र का वैविध्य है।
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इंदौर के डॉ. विश्वास व्यास ने अपनी व्यंग्य रचनाओं के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि राजनीतिक परिदृश्य ये हटकर मैंने अपने भोगा हुआ यथार्थ शब्दों में चित्रित किया है। अपने एक लेख राय के रायता के बारे में जब उन्होंने बताया तो श्रोता मुस्करा उठे। इसी प्रकार स्पीडब्रेकर, सवाल, तीर्थ यात्रा को भी श्रोताओं ने पसंद किया।
इसके अलावा गाजियाबाद के हरिंदर राणावत ने अपने दो नाटक आखेट व गुरुघंटाल के बारे में बताया। दीपक कुमार त्रिपाठी ने अपनी रचना के कुछ अंश पढ़ते हुए बेंच की निरपेक्षता के बारे में बताया। इस अवसर पर राजकमल प्रकाशन के संपादकीय निदेशक सत्यानंद निरूपम, वाणी प्रकाशन के निदेशक अरुण माहेश्वरी, शिवना प्रकाशन के पंकज सुबीर व हिंदयुग्म प्रकाशन के शैलेष भारतवासी मौजूद रहे।